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टेरर फंडिंग पार्ट 7: जानें कौन है टेरर फंडिंग का मास्टरमाइंड सोनू अग्रवाल,जिसे अबतक गिरफ्तार नहीं कर पायी NIA

Ranchi: मगध आम्रपाली कोल परियोजना से टेरर फंडिंग मामले की जांच एनआईए कर रही है. बहुत ही कम समय में फर्श से अर्श तक पहुंचने वाले टेरर फंडिंग के मास्टरमाइंड ट्रांसपोर्टर सोनू अग्रवाल को अबतक एनआइए गिरफ्तार नहीं कर पायी है. गौरतलब है कि टेरर फंडिंग मामले के आरोपी विनीत अग्रवाल, महेश अग्रवाल और अमित अग्रवाल उर्फ सोनू अग्रवाल को राहत देने से इनकार कर दिया था. उनकी ओर से दायर अलग-अलग क्रिमिनल अपील याचिकाओं को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था. जिसके बाद एनआईए ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कोलकाता से महेश अग्रवाल को गिरफ्तार किया जबकि सोनू अग्रवाल और विनीत अग्रवाल को एनआईए अबतक गिरफ्तार नहीं कर सकी है. इसे भी पढ़ें -रांची">https://lagatar.in/ranchi-municipal-corporation-team-and-upper-market-shopkeepers-came-face-to-face-the-team-had-reached-to-seal-many-shops/">रांची

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टेरर फंडिंग का मास्टरमाइंड है सोनू अग्रवाल

झारखंड और पश्चिम बंगाल का सफेदपोश कारोबारी सोनू अग्रवाल. जिसके बारे में कहा जाता है कि चतरा के टंडवा में हुए टेरर फंडिंग का पूरा चक्रव्यूह उसने कोलकाता, दुर्गापुर और दिल्ली जैसे शहरों से रहते हुए रचा. जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि 10 रुपये के नोट से करोड़ों की लेवी उठवाने और उसे तय जगह पर पहुंचाने का हाईप्रोफाइल सिस्टम भी सोनू अग्रवाल ने ही डेवलप किया था.

10 का नोट और वसूल की जाने वाली राशि सोनू अग्रवाल ही तय करता था

सोनू अग्रवाल को एनआईए ने टेरर फंडिंग मामले का 21वां आरोपी बनाया है. सोनू अग्रवाल मगध आम्रपाली प्रोजेक्ट में कोयले का उठाव कर रही ट्रांसपोर्टिंग कंपनी मेसर्स श्री बालाजी ट्रांसपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड का मालिक है. एनआईए ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि सोनू अग्रवाल अपने व्यवसाय के सुचारू संचालन के लिए ग्राम समिति के सदस्यों और टीपीसी को लेवी का भुगतान करने के लिए स्थानीय व्यापारियों और अन्य व्यापारियों से नकद राशि की व्यवस्था करता था. उसने सह-आरोपी सुधांशु रंजन उर्फ छोटू सिंह के साथ आतंकवादी गिरोह टीपीसी के लिए आक्रमण गंझू द्वारा लेवी मांगे जाने पर पैसे जुटाने की आपराधिक साजिश रची थी. व्यापारियों को 10 का नोट और वसूल की जाने वाली राशि सोनू अग्रवाल ही तय करता था.

सोनू अग्रवाल के घर से विदेशी मुद्रा हुआ था बरामद

एनआईए ने आठ अक्टूबर 2018 को सोनू अग्रवाल के आवास में भी छापेमारी की थी. छापेमारी में आम्रपाली तथा मगध एरिया कमेटी को दी गई राशि से संबंधित दस्तावेज, बैंक अकाउंट तथा फिकस्ड डिपोजिट से संबंधित विवरण, वेली राशि की कटौती, कम्प्यूटर, हार्डडिस्क, मोबाइल फोन, कंपनियों के एकाउंट्स दर्ज डायरियां, टीपीसी और पीएलएफआई के दी गई राशियों का विवरण, भारतीय मुद्रा में 68 लाख रूपये, दस हजार सिंगापुरी डालर, 1300 अमेरिकी डालर, तथा 86 हजार बंद हो चुके नोट जब्त किये गये थे.

सोनू अग्रवाल को झारखंड पुलिस ने आधा दर्जन बॉ़डीगार्ड दे रखा था

सोनू अग्रवाल को गलत तरीके से सरकारी अंगरक्षक दिए गए थे. झारखंड पुलिस मुख्यालय ने सोनू अग्रवाल और अरुण कुमार गुप्ता नाम के व्यक्ति को बॉडीगार्ड दिए जाने के मामले में सीआईडी मुख्यालय से रिपोर्ट मांगी थी. सीआईडी ने पूरे मामले में जांच कर अपनी रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को भेज दी थी. रिपोर्ट में पाया गया है कि सोनू अग्रवाल को रांची पुलिस से दो जबकि हजारीबाग जिले से एक बॉडीगार्ड मिला था. बगैर अनुमति बंगाल ले जाये गए थे, बॉडीगार्ड सीआईडी ने राज्य के सभी जिलों के एसपी से यह पूछा था की सोनू अग्रवाल और अरुण कुमार गुप्ता को कौन-कौन से बॉडीगार्ड दिए गए थे. साथ ही यह भी पूछा गया था कि यदि बॉडीगार्ड कभी राज्य के बाहर गए तो क्या इसकी अनुमति ली गई थी. सीआईडी की जांच में यह बात आयी है कि बगैर अनुमति के सोनू अग्रवाल के बॉडीगार्ड को पश्चिम बंगाल ले जाया गया था. वहां सोनू अग्रवाल और उसके बॉडीगार्ड के द्वारा मारपीट की घटना भी की गई थी. मारपीट किए जाने के बाद एक महिला ने इस मामले की शिकायत झारखंड पुलिस मुख्यालय में भी की थी. इसे भी पढ़ें –शशि">https://lagatar.in/shashi-tharoor-does-not-like-pm-modis-o-mitro-said-this-virus-is-more-dangerous-than-omicron-variant/">शशि

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