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टेरर फंडिंग कथा 1 : सोनू अग्रवाल- कोयला कारोबार से टेरर फंडिंग का आरोपी तक का सफर

Ranchi :  नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआइए) के स्पेशल कोर्ट में तीन कोयला कारोबारियों के खिलाफ आरोप गठित किया गया है. झारखंड और पश्चिम बंगाल के बड़े कारोबारी सोनू अग्रवाल उर्फ अमित अग्रवाल, महेश अग्रवाल और अजय सिंह को टेरर फंडिंग का आरोपी बनाया गया है. एनआइए के आरोप पत्र में इन तीनों कारोबारियों के बारे में चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं.

घाटो से कोयला ट्रांसपोर्टिंग का काम शुरू किया

सबसे पहला आरोपी सोनू अग्रवाल उर्फ अमित अग्रवाल है. सोनू अग्रवाल मूल रूप से पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर का रहने वाला है. वर्ष 2004-05 के आसपास सोनू अग्रवाल का नाम झारखंड में चर्चा में आया. कुछ ही दिनों में पुलिस अफसर, राजनेता, रेलवे, सीसीएल, कोल ट्रांसपोर्टर सबके बीच चर्चित नाम बन गया. उसने सबसे पहले रामगढ़ जिला के घाटो से कोयला ट्रांसपोर्टिंग का काम शुरू किया था. रामगढ़ में अपना पैर जमाने के बाद वह कोल ट्रांसपोर्टिंग के कारोबार में बिना रुके आगे बढ़ता चल गया. कुछ ही दिनों में सोनू अग्रवाल का नाम झारखंड, बिहार, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के बड़े कारोबारियों में शामिल हो गया.

चतरा से शुरू हुई सोनू अग्रवाल के आरोपी बनने की कहानी

चतरा में कई कोल परियोजनाएं चालू हुए. सोनू अग्रवाल को मगध व आम्रपाली कोल परियोजना से कई बड़ी कंपनियों के लिए कोल ट्रांसपोर्टिंग का काम मिला. यहीं से शुरू हुई टेरर फंडिंग केस में सोनू अग्रवाल के आरोपी बनने की कहानी. आरोप है कि मगध व आम्रपाली प्रोजेक्ट में काम करने वाले कोल ट्रांसपोर्टरों ने उस इलाके में सक्रिय उग्रवादी संगठन टीपीसी से हाथ मिला लिया. ट्रांसपोर्टिंग का काम तो बड़ी कंपनियां लेती थी, लेकिन काम टीपीसी के उग्रवादी करने लगे. प्रति टन 300 से अधिक रुपये की लेवी की वसूली होने लगी. वर्ष 2015 में पुलिस मुख्यालय के स्तर से हुई एक कार्रवाई के बाद टीपीसी के उग्रवादियों के खिलाफ चतरा के विभिन्न थानों में मामला दर्ज किया गया. वर्ष 2018 में एनआइए ने टंडवा थाना में दर्ज एक प्राथमिकी की जांच अपने हाथ में ले लिया और जांच शुरू की.

लेवी के लिए फंड जुगाड़ करने का खेल

एनआइए की जांच में खुलासा हुआ कि लेवी मांगने और लेवी के लिए फंड जुगाड़ करने का खेल संगठित (ऑर्गेनाइज्ड) तरीके से हो रहा था. कोयले की ट्रांसपोर्टिंग और इस कारोबार में जुड़े व्यवसायियों से जिस राशि की वसूली होती थी, वह संगठित तरीके से बांटा जाता था. उस राशि से टीपीसी के उग्रवादी हथियार और गोला बारूद समेत अपने संगठन के लिए अन्य उपकरण खरीदते थे. जांच के बाद एनआइए ने कोर्ट में कई लोगों के पर चार्जशीट दाखिल की. जिसमें उनके ऊपर लगे आरोपों की विस्तृत जानकारी दी गई है.
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