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श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का 417वां प्रकाश पर्व आज, 1 सितंबर 1604 भादो पूर्णिमा को हुआ था पहला प्रकाश

Jamshedpur : सिख समुदाय मंगलवार को पूरी दुनिया में अपने 11वें जीवंत गुरु श्री गुरुग्रंथ साहिब जी का 417 वां प्रकाश पर्व बड़े ही श्रद्धा के साथ मना रहा है. सिखों ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष मत्था टेका और उन्हें नए सुंदर आकर्षक पोशाके रूमाले भेंट किए. इस मौके पर श्री गुरुग्रंथ साहिब जी की पालकी गुरुद्वारा साहिब एवं दर्शनी ड्योढ़ी प्रवेश द्वार को प्राकृतिक फूलों से सजाया गया है, जिसकी सुगंध से पूरा वातावरण सुगंधित हो उठा है. साकची गुरुद्वारा में श्री गुरुग्रंथ साहिब जी की पालकी की शोभा एवं छटा देखते ही बन रही है. इसे भी पढ़ें : रामगढ़">https://lagatar.in/ramgarh-acb-arrested-mandu-bdo-for-taking-45-thousand-bribe/">रामगढ़

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प्रधान हरविंदर सिंह मंटू के अनुसार मंगलवार को ग्रंथी, रागी सिंह, श्री गुरुग्रंथ साहिब जी के महत्व पर प्रकाश डालेंगे और मानवता एवं सेवा का संदेश देंगे. श्री गुरुग्रंथ साहिब को पांचवें गुरु श्री अर्जुन देव जी ने संपूर्ण किया था और इसमें सिखों के नौ गुरुओं के साथ ही हिंदू भक्तों भट्ट ब्राह्मण मुस्लिम पीरों की वाणी संकलित है जो निराकार ब्रह्म के उपासक रहे हैं. 29 अगस्त 1604 ईस्वी में यह संपूर्ण हुआ और 1 सितंबर 1604 भादो की पूर्णिमा में पहली बार श्री गुरुग्रंथ साहिब जी का प्रकाश श्री दरबार साहिब स्वर्ण मंदिर में किया गया. ऐसे में श्री गुरु ग्रंथ साहिब समस्त मानव जाति के हैं और हम सिख यह दावा नहीं कर सकते हैं कि यह केवल हमारा है. [wpse_comments_template]

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