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पंचायती राज अधिनियम के अंतर्गत पेसा नियमावली बनाने पर कृषि मंत्री को थी आपत्ति

Ranchi : पंचायती राज अधिनियम के अंतर्गत पेसा नियमावली बनाने पर कृषि मंत्री की आपत्ति थी, जिसे सरकार ने खारिज कर दिया था. उसके बाद कैबिनेट ने नियमावली को मंजूरी दी. कृषि मंत्री ने अपनी आपत्ति जताते हुए यह कहा था कि झारखंड पंचायती राज अधिनियम 2001 के प्रावधानों के तहत पेसा नियमावली नहीं बनायी जा सकती है. विभिन्न विभागों द्वारा दिये गये सुझाव और आपत्तियों की समीक्षा के लिए गठित समिति ने कृषि मंत्री की आपत्तियों को सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के आधार पर खारिज कर दिया था.

 

राज्य सरकार ने झारखंड हाईकोर्ट द्वारा पेसा नियमावली नहीं बनाने तक लघु खनिजों सहित बालू घाटों के आवंटन पर रोक लगा दी थी. साथ ही अवमानना की कार्यवाही शुरू की थी. इसके बाद सरकार ने पेसा नियमावली को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया शुरू की. इसके लिए पेसा नियमावली 2024 के प्रारूप को राज्य के 17 विभागों को भेजा गया. साथ ही संबंधित विभागों से इस प्रारूप पर उनकी आपत्तियां और सुझाव मांगे गये. 

 

सरकार के अनुरोध पर सिर्फ तीन विभागों ने पेसा नियमावली 2024 के प्रारूप पर पूरी तरह सहमति दी. इसमें स्वास्थ्य, चिकित्सा एवं परिवार कल्याण, पर्यटन कला संस्कृति खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग और महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग का नाम शामिल है. शेष 14 विभागों की ओर से अपनी अपनी अपत्तियां और सुझाव सरकार को दिये गये. इन आपत्तियों और सुझावों की समीक्षा के लिए समिति का गठन किया गया था. आपत्तियों की समीक्षा के दौरान सबसे गंभीर आपत्ति कृषि मंत्री की पायी गयी. 

 

सरकार ने पंचायती राज अधिनियम 2001 में निहित प्रावधानों के तहत पेसा नियमावली का प्रारूप तैयार किया था. कृषि मंत्री ने इस पर आपत्ति दर्ज कराते हुए यह कहा था कि पंचायती राज अधिनियम  2001 के प्रावधानों के अंतर्गत पेसा नियमावली नहीं बनायी जा सकती है. 

 

पंचायती राज अधिनियम राज्य के गैर अनुसूचित क्षेत्र में प्रभावी होता है. अनुसूचित क्षेत्रों पर पेसा अधिनियम 1996 के प्रावधान प्रभावी होते हैं. इसलिए पेसा के प्रावधानों के अनुरूप एक अधिनियम या नियमावली बनायी जाये जो सिर्फ अनुसूचित क्षेत्रों के लिए प्रभावी हो. यानी कृषि मंत्री ने पेसा नियमावली  के मामले में झारखंड पंचायती राज अधिनियम 2001 की वैधानिकता को चुनौती दी थी.

 

कृषि मंत्री की इस आपत्ति को खारिज करने के लिए कई उदाहरण पेश किये गये. इसमें पांचवी अनुसूची में शामिल अन्य राज्यों द्वारा अपने-अपने राज्य के लिए पंचायती राज अधिनियम के तहत पेसा नियमावली बनाने के अलावा सुप्रीम कोर्ट के फैसले को शामिल किया गया. 

 

कृषि मंत्री की आपत्ति की समीक्षा के दौरान या पाया गया कि 10 मे से आठ राज्यों ने पंचायती राज अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत पेसा नियमावली बनायी है. इसमें हिमाचल प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलांगना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र शामिल है. 

 

समीक्षा के दौरान सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में कृषि मंत्री की आपत्ति को खारिज कर दिया गया. इसमें यह कहा गया कि केंद्र सरकार बनाम राकेश कुमार के मामले की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि पेसा के प्रावधानों के आलोक में झारखंड पंचायती राज अधिनियम 2001 संवैधानिक रूप से वैध है.

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