Ranchi: फांसी टुंगरी स्थित पहाड़ी मंदिर परिसर में सावन प्रारंभ होते ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी है. चारों ओर भक्ति और श्रद्धा का विशेष वातावरण देखने को मिल रहा है. हालांकि इसी परिसर में स्थित प्राचीन शेषनाग गुफा आज भी सरकारी और सामाजिक उपेक्षा की शिकार बनी हुई है.
पहले पूजा आदिवासी पाहन ने की
सावन माह की शुरुआत पर गुफा में सर्वप्रथम पूजा आदिवासी पाहन पुजारी सुरेश पाहन ने की. श्रद्धालुओं ने प्रतीकात्मक शेषनाग को बेलपत्र, फूल, सिंदूर और टीका अर्पित किया. भोलेनाथ को आरती दिखाई गई और भक्तों ने पाहन के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त किया.
मुख्य मंदिर बनकर तैयार, पर शेषनाग गुफा बदहाल
पुजारी सुरेश पाहन ने बताया कि मुख्य शिव मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है. लेकिन शेषनाग गुफा अब भी अपने पुराने, जर्जर रूप में ही है. उन्होंने कहा कि सावन के बाद गुफा के विकास कार्य की संभावना है, लेकिन फिलहाल
• केवल छज्जे का प्लास्टर हुआ है,
• दीवारें टूट-फूट की स्थिति में हैं,
• रंग-रोगन नहीं हुआ है,
• और कोई ठोस निर्माण कार्य अब तक नहीं हुआ है.
श्रृंगार और आरती हो रही, पर संरचना उपेक्षित
श्रद्धालुओं ने गुफा में स्थापित शिवलिंग और नागदेवता को जल अर्पित किया. श्रृंगार, भजन-कीर्तन और आरती जैसे धार्मिक अनुष्ठान हो रहे हैं. लेकिन गुफा के संरक्षण और सौंदर्यीकरण के लिए अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है.
मंदिर विकास समिति तक सीमित हैं प्रयास
स्थानीय लोगों का कहना है कि अब तक जो भी कार्य हुए हैं, वे केवल पहाड़ी मंदिर विकास समिति के सीमित प्रयासों का परिणाम हैं. सरकार या प्रशासन की ओर से कोई बड़ा या ठोस कदम नहीं उठाया गया है. यदि समय रहते प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया, तो यह ऐतिहासिक और आस्था से जुड़ी गुफा आने वाले वर्षों में पूरी तरह उपेक्षित हो सकती है.
गुफा के बाहर जगह-जगह चूहों के बिल
श्रद्धालुओं के अनुसार, गुफा के आसपास की भूमि में जगह-जगह चूहों के बिल दिखाई दे रहे हैं, जिससे गुफा की स्थायित्व और स्वच्छता पर प्रश्न खड़े हो रहे हैं. सावन माह के शुभारंभ से ही श्रद्धालु गुफा में प्रवेश कर, स्थापित त्रिशूल और शेषनाग पर फूल-माला, टीका और सिंदूर चढ़ा रहे हैं.