NewDelhi : देश की आर्थिक वृद्धि दर और कॉरपोरेट आय को लेकर भारतीय इक्विटी बाजारों का बुरा दौर समाप्त हो चुका है. ग्लोबल ब्रोकरेज कंपनी गोल्डमैन सैश का यह मानना है. गोल्डमैन सैश ने अपने नोट में कहा कि अमेरिका की ओर से पारस्परिक टैरिफ के कारण पैदा हुए वैश्विक चुनौतियों के चलते बाजार में अस्थिरता अधिक बनी रहेगी. भारत की जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में 6.4 प्रतिशत पर रही है.
जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में 6.4 प्रतिशत पर रही
भारत की जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में 6.4 प्रतिशत पर रही है. ब्रोकरेज के अर्थशास्त्रियों के अनुसार इसकी वजह निजी खपत में सुधार होना है. कहा कि भारत की जीडीपी वृद्धि दर में गिरावट निचले स्तर पर पहुंच गयी है. अब इसमें रिकवरी ही देखने को मिलेगी. जनवरी में विभिन्न क्षेत्रों में हाई-फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स ने ग्रामीण गतिविधि में तेजी दिखाई. जनवरी में विभिन्न क्षेत्रों में हाई-फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स ने ग्रामीण गतिविधि में तेजी दिखाई.
भारत का लंबी अवधि का आउटलुक मजबूत बना हुआ है
गोल्डमैन सैश के अनुसार अगली चार तिमाहियों में वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत से 7 प्रतिशत के बीच रहने की उम्मीद है और कैलेंडर वर्ष 2025 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर सालाना आधार पर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है. पिछले सप्ताह एचएसबीसी की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत का लंबी अवधि का आउटलुक मजबूत बना हुआ है.
निजी निवेश बढ़ने से भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी
इन्फ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चरिंग में सरकारी निवेश और निजी निवेश में वृद्धि एवं रियल एस्टेट चक्र में सुधार के कारण निवेश चक्र मध्यम अवधि में तेजी की ओर रहने का अनुमान है. निजी निवेश बढ़ने से भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी. साथ ही विकास को भी सपोर्ट मिलेगा. उम्मीद जताई गई कि रिन्यूएबल एनर्जी और इससे जुड़ी सप्लाई चेन में निजी निवेश बढ़ने और उच्च गुणवत्ता वाले टेक्नोलॉजी उपकरणों के स्थानीयकरण से भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी. इससे विकास को भी सपोर्ट मिलेगा.
सरकार जीडीपी वृद्धि दर को बढ़ाने को लेकर लगातार काम कर रही है
भारत सरकार जीडीपी वृद्धि दर को बढ़ाने को लेकर लगातार काम कर रही है. केंद्र सरकार का पूंजीगत व्यय वित्त वर्ष 25 में 7 प्रतिशत रह सकता है. वित्त वर्ष 26 में इसके 10 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताया गया है. इसके अलावा आरबीआई मौद्रिक नीति में भी ढील दे रहा है, जिससे विकास दर को बढ़ावा मिलेगा.
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