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ब्रिकेट बना कोयले और लकड़ी का विकल्प, प्लांट से उत्पादन शुरू, मिल रहा रोजगार

Ranchi : आकांक्षी जिले में शुमार लोहरदगा">https://lagatar.in/389-sub-inspector-second-phase-training-from-limited-exam-from-april-3/37505/">लोहरदगा

जिला एक बार फिर से चर्चा में है. चर्चा का विषय बना है कोयले और लकड़ी के विकल्प के रूप में ब्रिकेट का तैयार होना. रोजगार देने के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अभिनव सोच और कार्ययोजना पर लोहरदगा जिले ने साथ दिया है. यहां सिर्फ ब्रिकेट ही तैयार ही नहीं हुआ, बल्कि किस्को प्रखंड अंतर्गत पाखर पंचायत के तिसिया गांव में ब्रिकेटिंग प्लांट की स्थापना कर उत्पादन भी शुरू कर दिया गया है. उम्मीद जतायी जा रही है कि वह दिन दूर नहीं, जब लोहरदगा जैसा पिछड़ा जिला ब्रिकेट">https://lagatar.in/police-seized-25-cases-of-illegal-cough-syrup-from-the-transport-office-investigation-ongoing/37543/">ब्रिकेट

का उत्पादन कर पावर प्लांट, उद्योगों, ढाबों, ईंट भट्ठों, होटल एवं घरेलू कार्य में ईंधन के रूप में आपूर्ति करने में सक्षम होगा. बता दें कि ब्रिकेट ईको फ्रेंडली होने के साथ-साथ ताप एवं व्यय जैसे बिंदुओं पर भी कोयला की तुलना अधिक गुणवत्तापूर्ण है. इसे भी पढ़ें : रांची">https://lagatar.in/police-seized-25-cases-of-illegal-cough-syrup-from-the-transport-office-investigation-ongoing/37543/">रांची

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वन संरक्षण को भी बढ़ावा

ब्रिकेट उत्पादन के माध्यम से लोहरदगा के किस्को प्रखंड अंतर्गत पाखर पंचायत के तिसिया गांव एवं जंगल पर निर्भर कम से कम 15-20 अन्य गांव के लोगों को आय का एक नया साधन मिल रहा है. भविष्य में इसके बढ़ने की पूर्ण संभावना है. वर्तमान में स्थानीय स्त्री-पुरुष जंगल में गिरे सूखे पत्ते लाने और ब्रिकेटिंग प्लांट में बेचने का कार्य कर रहे है. इस काम के लिए उन्हें 2 रुपये प्रति किलो की दर पर भुगतान किया जा रहा है. इस कार्य के माध्यम से लोगों की दैनिक आय में 100 से 300 रुपये तक की वृद्धि हो रही है और उनका आर्थिक सशक्तिकरण हो रहा है. दूसरी ओर, इस ईंधन के प्रयोग से जंगल में सूखे पत्तों के कारण लगने वाली आग में, जलावन के लिए लकड़ी की अवैध कटाई पर रोक एवं प्रदूषण स्तर में कमी आएगी.

ब्रिकेट क्या है , कहां लगा है प्लांट

ब्रिकेट का उत्पादन सूखे पत्तों, पुआल, डंडियों, कृषि उत्पाद और वन के व्यर्थ प्रदार्थों से किया जाता है. ब्रिकेट की ऊष्मा लगभग कोयले के समान है. 5000 हेक्टेयर वन क्षेत्र से घिरे तिसिया गांव में 35 लाख की लागत से ब्रिकेटिंग प्लांट का अधिष्ठापन किया जा चुका है. प्लांट में ट्रायल के रूप में 15 टन ईंधन का उत्पादन किया जा रहा है, जिसकी आपूर्ति जिले के कुछ चिह्नित ईंट भट्ठों में करने की तैयारी की जा चुकी है. ट्रायल के बाद इसे अन्य कारोबारों और लोगों को उपलब्ध करवाया जायेगा. ब्रिकेट का उपयोग ढाबों, ईंट भट्ठों, होटल, पावर प्लांट, अन्य उद्योगों एवं घरेलू कार्य, इत्यादि में किया जा सकता है. इसे भी पढ़ें : ओरमांझी">https://lagatar.in/rs-1-5-crore-and-5-kg-gold-recovered-from-ormanjhi-caught-in-vehicle-checking/37554/">ओरमांझी

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