Anupriya Kumari
Ranchi : किसान मुनाफा कमाने के लिए हरी सब्जियों की खेती करते हैं. कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण पिछले तीन हफ्ते से की नियमों के साथ झारखंड में लॉकडाउन लगे हुए हैं. इस लॉकडाउन में जहां किसानों को दिन के दो बजे तक ही सामान बेचने की छूट दी गई है. ऐसे में हरी सब्जियों की बिक्री उचित दामों पर नहीं हो पा रही है. लॉकडाउन पूरी तरह से ना होने के बावजूद भी किसान हरी सब्जियों को औने-पौने दामों में बेचने पर मजबूर हैं. इससे किसानों के सामने भुखमरी और कर्ज की समस्या खड़ी हो गई है. कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण हालात यह हो गई है कि जिन हरी सब्जियों की कीमत कभी कम नहीं होती थी, आज वही हरी सब्जियां 5-10 रुपये किलो बिक रहे हैं.
बिक्री नहीं होने से बढ़ रही किसानों की परेशानी
कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण हालात यह हो गई है कि जिन हरी सब्जियों के दाम आसमान छूते थे, आज वही हरी सब्जियां 5-10 रुपये किलो बिक रही हैं. भिंडी, नेनुआ, टमाटर, करेला, झिंगा, कटहल इन सभी सब्जियों के दाम आसमान छूते थे, लेकिन आज स्थिति यह हो गई है कि ये सब्जियां औने पौने दामों पर बेचे जा रहे हैं.
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सब्जियां पहले अब
खीरा 20 से 25 प्रति किलो 5 से 8 रुपये प्रति किलो
भिंडी 15 से 20 रुपये किलो 5 रुपये किलो
नेनुआ 20 रुपये प्रति किलो 5 से 8 रुपये प्रतिकिलो
झिंगा 25 रुपये किलो 8 से 10 रुपये किलो
टमाटर 10-15 रुपये किलो 2 से 3 रुपये प्रतिकिलो
सब्जियों के इन दामों से अनुमान लगा सकते हैं कि सब्जी किसानों को इन से मुनाफा तो दूर उनकी लागत तक नहीं निकल रही है. ऐसे में किसानों के सामने भुखमरी की नौबत उत्पन्न हो गई है.
किसानों को रहा घाटा, मुनाफा कमा रहे हैं व्यापारी
बातचीत के दौरान पलामू जिला के ओरिया गांव के किसान ललित का कहना है कि टमाटर खेतों में सड़ रहे हैं. तोड़ने के बाद भी खरीदार नहीं मिल रहे हैं. इस कारण क्विंटल भर टमाटर खेतों में सड़ रहे हैं. वहीं, धनंजय का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान लोगों ने घर से निकलना बंद कर दिया. मंडी की सब्जी और शहर में ठेले पर मिलने वाली सब्जी में जमीन आसमान का अंतर है. मंडी में जहां नेनुआ 5 से 8 रुपये किलो बिक रहे हैं, तो वहीं घर-घर जाकर कर ठेले पर बेचने वाले 20 से 30 रुपये किलो बेच रहे हैं. इस तरह जहां हमलोग नमक के दाम पर सब्जी बेचकर भुखमरी की कगार पर आ गए हैं. वहीं ठेले और व्यापारी वाले मन मुताबिक मुनाफा कमा रहे हैं.
ओरिया गांव के निवासी छोटू का कहना है कि मैंने 1 एकड़ में टमाटर लगाया है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से इसका सही दाम नहीं मिल रहा. व्यापारी खरीद भी रहे हैं तो 2 से 3 रुपये किलो ही बेच पा रहे हैं. नौबत तो ऐसी आ गई कि सारे टमाटर खेतों में सड़ रहे हैं. उनका कहना है कि सुबह खेतों में जाकर सब्जियां तोड़ते ही सुबह के 10 बजे जाते हैं, उसके बाद बाजार पहुंचते 11:30 -12 बज जाते हैं और सरकार के नियमानुसार 2:00 बजे तक ही मंडी में सब्जियां भेज सकते हैं. ऐसे में कोरोना का डर और धूप की वजह से लोग घरों से बाहर निकलकर मंडी में सब्जियां नहीं ले रहे हैं और मंडी में व्यापारी थोक के भाव से कम दामों पर लेकर चले जा रहे हैं. कई बार तो व्यापारी सब्जियां भी नहीं लेते हैं क्योंकि बाजार में बहुत ज्यादा मात्रा में सब्जियां उतर रही हैं. किसानों को उनकी तैयार फसल के खरीदार नहीं मिल रहे और अगर मिल भी रहे हैं तो फसल के दाम नहीं मिल पा रहे.