Basant Munda
Ranchi: राजधानी की सड़कों पर कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए रोजाना 12-12 घंटे तक ड्यूटी करने वाली ट्रैफिक पुलिस खुद बुनियादी सुविधाओं के लिए जूझ रही है. खासकर महिला पुलिसकर्मी, जो देर तक ड्यूटी करती हैं. इनके लिए न शौचालय की व्यवस्था है, न पीने का पानी, न ही बैठने की कोई उचित व्यवस्था. मजबूरी में उन्हें होटल, पेट्रोल पंप और दुकानों का सहारा लेना पड़ता है.
ये है राजधानी का हाल
मिशन चौक
यहां तैनात पांच होमगार्ड, दो एसआई और तीन महिला पुलिसकर्मी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में कार्य कर रहे हैं. पुरुष पुलिसकर्मी अस्थायी रूप से प्लास्टिक से बने वाशरूम का उपयोग कर रहे हैं, जबकि महिला पुलिसकर्मियों को नजदीकी संत मरिया महागिरजाघर के शौचालय का सहारा लेना पड़ता है.
प्लाजा चौक
यहां पांच महिला ट्रैफिक पुलिसकर्मी तैनात हैं, जो पेट्रोल पंप के शौचालय पर निर्भर हैं. विभाग की ओर से कोई स्थायी व्यवस्था अब तक नहीं की गई है. पास के काली मंदिर चौक और मेन रोड पर तैनात सात पुलिसकर्मी डेली मार्केट थाने का शौचालय उपयोग करते हैं. लेकिन वह 300 मीटर दूर होने के कारण बार-बार जाना संभव नहीं होता. अधिकतर बार नजदीकी होटल या दुकानों का सहारा लेना पड़ता है.
उर्दू लाइब्रेरी चौक
यहां दो महिला और दो पुरुष पुलिसकर्मी 12 घंटे की ड्यूटी करते हैं. लेकिन न शौचालय है, न बैठने की कोई व्यवस्था. थकान की स्थिति में वे दुकानदारों की मेहरबानी पर निर्भर रहते हैं. पानी के लिए भी उन्हें इधर-उधर भटकना पड़ता है.
रतन टाटी पीपी चौक
इस चौक की स्थिति भी चिंताजनक है. यहां वॉशरूम की कोई सुविधा नहीं है. महिला पुलिसकर्मियों को आसपास के होटलों में जाना पड़ता है, जबकि पुरुष पुलिसकर्मी आपात स्थिति में आधा किलोमीटर दूर जाकर शौचालय का उपयोग करते हैं.
सुजाता चौक
यहां जैप और होमगार्ड के लगभग 10 पुलिसकर्मी तैनात हैं. स्वच्छ भारत मिशन के तहत दो शौचालय बनाए गए हैं - एक पुरुष और एक महिला के लिए. लेकिन महिला शौचालय का उपयोग पुरुष कर रहे हैं, जिससे महिला पुलिसकर्मियों को वैकल्पिक व्यवस्था के लिए एलआईसी गार्ड के शौचालय का सहारा लेना पड़ रहा है. शौचालय की सफाई व्यवस्था भी बेहद खराब है. पानी की व्यवस्था वे घर से लाते हैं या अधिकारी अपने लिए जार के पानी का उपयोग करते हैं.
एसबीआई चौक (कचहरी)
यहां सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक छह महिला पुलिसकर्मी ड्यूटी करती हैं. पानी के लिए जार आता है और बैठने के लिए पास के ठेला-खोमचे की दुकानों पर बैठना पड़ता है. शौचालय के लिए वे एसबीआई बैंक पर निर्भर हैं, जहां बैंक अधिकारी सहयोग करते हैं.
एटीआई मोड़ (राजभवन के पास)
यहां सात पुलिसकर्मी तैनात हैं, जिनमें महिला और पुरुष दोनों शामिल हैं. यहां न तो शौचालय है और न ही पीने के पानी की समुचित व्यवस्था. कभी-कभार पानी का जार पहुंचाया जाता है. महिला पुलिसकर्मी वैकल्पिक रूप से 200 मीटर दूर आईएएस पूजा सिंघल के सरकारी आवास के शौचालय का उपयोग करती हैं. पुरुष पुलिसकर्मी पेड़ों के पीछे शारीरिक जरूरतें पूरी करने को मजबूर हैं. ठहरने के लिए स्वयं बांस और तिरपाल लगाकर अस्थायी आश्रय बनाया गया है.
राजधानी में ट्रैफिक व्यवस्था को संभालने वाले पुलिसकर्मी, विशेषकर महिलाएं, जिस तरह बुनियादी सुविधाओं के अभाव में कार्य कर रही हैं, वह न केवल उनकी गरिमा के खिलाफ है, बल्कि प्रशासन की लापरवाही को भी उजागर करता है. आवश्यक है कि सरकार और विभाग इस दिशा में शीघ्र ध्यान दें और पुलिस बल के लिए शौचालय, पीने का पानी और विश्राम के उचित इंतजाम सुनिश्चित करें.