Lagatar desk : लोक आस्था का महापर्व छठ आज (25 अक्टूबर ) को नहाय-खाय के साथ हो रही है. चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व की शुरुआत कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है.पहले दिन नहाय-खाय का महत्व खास होता है. इस दिन व्रती शुद्ध होकर व्रत की शुरुआत करते हैं. वहीं, छठ में चढ़ने वाले विशेष प्रसाद ठेकुआ के लिए गेंहू को धोकर सुखाने की परंपरा भी इसी दिन निभाई जाती है.
नहाय खाय के दिन व्रती खाती हैं सात्विक भोजन
छठ पूजा में सफाई और शुद्धा का विशेष ध्यान रखा जाता है. इस दिन से घर में लहसुन-प्याज नहीं बनता है. नहाय खाय में व्रती विशेष रूप से अरवा चावल, लौकी की सब्जी चना दाल का प्रसाद बनता है. यह खाना घी में बनाया जाता है. इस दिन खाना बनाने में सेंधा नमक का प्रयोग किया जाता है. इस खाने को सबसे पहले व्रती खाती हैं. उसके बाद घर के सभी लोग इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. इस दिन से व्रती जमीन में सोती हैं.
लौकी खाने के पीछे की है विशेष मान्यता
नहाय खाय के दिन लौकी की सब्जी बनती है. ऐसी मान्यता है कि लौकी काफी पवित्र होता है. इसमें पर्याप्त मात्रा में जल भी होता है. लौकी में करीब 96 फीसदी पानी होता है. इसलिए नहाय खाय में लौकी की सब्जी बनायी जाती है. चने की दाल खाने का भी विशेष महत्व है. ऐसा कहा जाता है कि चने की दाल बाकी दालों में सबसे अधिक शुद्ध होती है. इसको खाने से ताकत भी मिलती है.
धार्मिक मान्यता
मान्यता है कि चने की दाल सूर्य देव का प्रिय भोजन है. नहाय-खाय के दिन इसे ग्रहण करने से व्रती पर सूर्य देव की कृपा बनी रहती है. यह भोजन सात्विकता और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है.
चने की दाल में प्रोटीन, फाइबर और आयरन प्रचुर मात्रा में होता है, जो शरीर को ऊर्जा और स्थिरता प्रदान करता है. इससे व्रती को 36 घंटे के निर्जला उपवास के दौरान कमजोरी महसूस नहीं होती और वह पूरी श्रद्धा व शक्ति के साथ व्रत का पालन कर पाते हैं.

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