Ranchi : झारखंड हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि किसी गवाह की गवाही की विश्वसनीयता गवाहों की संख्या पर नहीं बल्कि प्रस्तुत साक्ष्य की गुणवत्ता पर निर्भर करती है. अगर किसी मामले में गवाह विश्वसनीय और भरोसेमंद है तो अकेली गवाही पर ही दोषसिद्धि की जा सकती है. हाईकोर्ट साहिबगंज की निचली अदालत द्वारा हत्या के जुर्म में दोषी करार दिये गये गुमिद मुर्मू की अपील पर सुनवाई कर रहा था. साहिबगंज सिविल कोर्ट ने गुमिद मुर्मू को डायन हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. निचली अदालत के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की गयी थी. जिस पर हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस आनंद सेन और जस्टिस गौतम कुमार चौधरी की बेंच में सुनवाई हुई.
डायन कहकर देवर ने अपने भाभी की कर दी थी हत्या
साहिबगंज के बरहेट थाना में जो प्राथमिकी दर्ज करवायी गयी थी, उसमें यह आरोप लगाया गया था कि गुमिद मुर्मू ने अपनी भाभी की धारदार हथियार से हत्या कर दी. मृतका का शव गुमिद के घर की मेड़ (बारी) पर पाया गया था. गुमिद ने महिला की हत्या से पहले उसे डायन भी कहा था. इस मामले में मृतका की बेटी एक मात्र चश्मदीद गवाह थी. जिसने ट्रायल कोर्ट में अपनी गवाही पूरी की और उसकी गवाही के आधार पर कोर्ट ने गुमिद को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई.