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इन शर्तों का पालन नहीं करने से अनुदान मिलने में हो रही थी परेशानी
- कुछ मदरसों की पारस्परिक दूरी जो 4 किमी तय हैं, से काफी कम है.
- संचालित मदरसों का अपने रजिस्टर भूमि पर संचालित होना चाहिए, लेकिन एकीकृत बिहार के समय कई मदरसें ऐसे हैं, जो औद्योगिक एंव कोल्ड फील्ड क्षेत्र में अवस्थित है और लीज के माध्यम से संचालित हो रहे हैं. ऐसे मदरसे रांची, पाकुड़ एवं साहेबगंज में संचालित हैं.
- मदरसों का वर्गकक्ष के मानक शर्तों को पूरा करना होगा. इसके लिए अलग-अलग मानक जैसे 6, 10 और 12 वर्गकक्ष तय हैं. जांच में करीब 34 मदरसे वर्ग कक्ष के मानक शर्तों का अनुपालन नहीं कर रहे हैं.
- इसी तरह कई मदरसें शिक्षक-छात्र का अनुपात का भी पालन सहीं तरीके से नहीं कर पा रहे हैं.
समिति ने उपरोक्त शर्तो में छूट देने की कही थी बात
शर्तों के पालन नहीं होने से इन मदरसों को मिलने वाला अनुदान पूरी तरह से प्रभावित हो रहा था. जिससे शिक्षण व्यवस्था भी प्रभावित हो रही थी. ऐसे में शिक्षा विभाग द्वारा बनायी समिति ने सुझाव दिया है कि- अराजकीयकृत प्रस्वीकृति प्राप्त 183 मदरसों के लिए दूरी संबंधी शर्त को शिथिल किया जा सकता है.
- रजिस्टर लीज भूमि पर संचालित मदरसों की मान्यता को जारी रखा जा सकता है. लीज खत्म होने की स्थिति में अनुदान को रोका जा सकता है.
- कोविड– 19 को देखते हुए वर्गकक्ष की शर्त की पूर्ति के लिए मदरसों को 2 साल का अतिरिक्त समय दिया जाएगा.
- मदरसों में शिक्षक-छात्र अनुपात को पूरा करने के लिए समय निर्धारित किया जाना चाहिए.
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