आज क्रिसमस है. राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इसाई समुदाय के लोगों को क्रिसमस की बधाई दी है. बधाई देने की परंपरा है. निभा दिया. पर, क्या सच में ईसाई समुदाय देश में सुरक्षित महसूस कर रहा होगा? क्या सच में वह स्वतंत्र वातावरण में क्रिसमस पर्व मना रहा होगा? हर किसी के मन में सवाल उठ सकता है-क्रिसमस के दिन यह सवाल क्यों? तो इन घटनाओं पर नजर डालिये.
- यूपी के बरेली में चर्च के सामने हनुमान चलीसा का पाठ करने भीड़ पहुंच गयी. भीड़ ने जय श्री राम के नारे भी लगाये. पुलिस तैनात थी, पर मूकदर्शक के तौर पर.
- 24 दिसंबर की रात छत्तीसगढ़ के रायपुर के मैग्नेटो मॉल पर पहुंच बजरंग दल और अन्य हिंदूवादी संगठनों के लोगों ने क्रिसमस की सजावट को तोड़ दिया. सांता क्लॉज की मूर्ति को तोड़ दिया.
- 24 दिसंबर की रात असम के नलबाड़ी जिला के पानीगांव गांव में स्थित सेंट मैरी स्कूल में घुसकर क्रिसमस के सजावट को तहस-नहस कर दिया गया. साथ ही आग लगा दी. यह सब करने वाले जय श्री राम और जय हिंदू राष्ट्र का नारा लगा रहे थे. शहर के दुकानों पर भी क्रिसमस सजावट को तोड़कर उसमें आग लगाने की घटनाएं हुई.
- मध्यप्रदेश के जबलपुर में 21 दिसंबर को क्रिसमस प्रार्थना सभा में घुसकर तोड़फोड़ की गई. जय श्री राम के नारे लगाये गये. भाजपा के जिला उपाध्यक्ष पर एक नेत्रहीन लड़की पर हमला करने का भी आरोप है.
- उत्तर प्रदेश के लखनऊ के हजरतगंज कैथेड्रल में हिंदूवादी संगठन से जुड़े लोगों ने बाधा पैदा की. वहां हरे कृष्णा हरे राम के नारे लगाये.
- ओडिशा के जयपुर जिले में चर्च में तोड़फोड़ और पादरियों पर हमले किये गये.
- दिल्ली के ईस्ट ऑफ कैलाश में स्थानीय लोगों ने सांता कैप पहनी महिलाओं को डराया और भगाया.
- उत्तराखंड के हरिद्वार में बजरंग दल के लोगों ने होटल में घुसकर क्रिसमस उत्सव को रोकवा दिया और हनुमान चलीसा का पाठ किया.
- राजस्थान के जोधपुर के सिवांची गेट स्कूल पर बजरंग दल से जुड़े लोगों ने क्रिसमस पोस्टर को फाड़ कर जला दिया.
- महाराष्ट्र के मुंबई में काशीमीरा स्लम में हिंदूवादी कार्यकर्ताओं ने बच्चों को क्रिसमस मनाने से रोका और हनुमान चलीसा का पाठ कराया.
- गुजरात के बापूनगर के किंडरगार्टन में वीएचपी कार्यकर्ताओं ने क्रिसमस की सजावट को हटवा दिया.
ये महज कुछ घटनाएं हैं. जिनके बारे में अलग-अलग सोर्स से जानकारी मिल सकी है. हकीकत में ऐसी घटनाओं की संख्या हजारों में होंगी. जिन्हें शायद रिकॉर्ड भी नहीं किया जा सके कभी.
ये घटनाएं ना सिर्फ निंदनीय है, बल्कि शर्मनाक है. यह सब किया जा रहा है धर्म की आड़ में. यह खुल्लम खुल्ला गुंडागर्दी है. सरकारें चुप हैं. पुलिस खामोश है, मूकदर्शक है. क्योंकि यह सब जो कर रहे हैं, वह उनके वोटर हैं. ऐसे में क्या इस देश के रहनुमाओं को ईसाई पर्व पर बधाई देने का नैतिक अधिकार बचा हुआ है?
इन घटनाओं की वजह से ही दुनिया में भारत की छवि एक धार्मिक कट्टरता वाले देश की बन रही है. साथ ही दुनिया के सबसे बड़ी लोकतंत्र और विविध संस्कृतियों वाले देश की छवि खत्म हो रही है. इन लोगों की वजह से ही USCIRF ने भारत को विशेष चिंता वाला देश की श्रेणी में ला खड़ा किया है. लेकिन यहां फर्क किसे पड़ता है.
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