Search

GLA कॉलेज में नहीं दिख रहा यूनिवर्सिटी के वीसी के आदेश का असर, विभागों में लटके रहते हैं ताले

Medininagar : नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय, मेदिनीनगर अक्सर चर्चा में रहता है, लेकिन शायद ही कभी यह चर्चा सकारात्मक पहल, गुणवत्तापूर्ण अध्यापन, शोध कार्य या छात्र हित के मुद्दों को लेकर होती हो.

 

कुलपति प्रो. दिनेश प्रसाद सिंह लगातार विश्वविद्यालय और अधीनस्थ महाविद्यालयों के सभी अधिकारियों तथा कर्मचारी को निर्धारित समयावधि में उपस्थित नहीं रहने पर कार्रवाई की बात कहते आ रहे हैं.

 

उन्होंने बीते दिनों सात दिन के अंदर सभी महाविद्यालय में बायोमेट्रिक प्रणाली द्वारा उपस्थिति दर्ज करने की भी बात कही थी. लेकिन विश्वविद्यालय से ही सटे जीएलए कॉलेज में वीसी द्वारा दिए गए निर्देश का अनुपालन नहीं हो रहा है. 

 


कई विभाग नहीं खुले, प्रोफेसर मौके पर अनुपस्थित

शनिवार को पलामू के प्रीमियर कॉलेज, जीएलए कॉलेज – का हिंदी विभाग सुबह 11:38 बजे तक और गणित विभाग 11:46 बजे तक बंद पाया गया.

 

यही स्थिति कमोबेश अन्य विभागों और महाविद्यालयों की भी है. विश्वविद्यालय मुख्यालय से महज 500 मीटर दूरी पर स्थित इस कॉलेज का जब यह हाल है तो बाकी महाविद्यालयों का हाल इसे बखूबी समझा जा सकता है. 

 

नामांकन प्रक्रिया के बीच विभागों में तालेबंदी

वर्तमान समय में विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों में नामांकन प्रक्रिया चल रही है. ऐसे समय में विभागों का बंद रहना छात्रों के लिए भारी परेशानी का सबब बन रहा है.

 

ऊपर से, शिक्षकों की भारी कमी के बावजूद कई शिक्षकों को अध्यापन कार्य से हटाकर गैर-शैक्षणिक, प्रशासनिक कार्यों में लगाया गया है, जिससे शैक्षणिक गतिविधियां और प्रभावित हो रही हैं.

 

हालांकि कॉलेज के प्रिंसिपल आईजी खलखो ने शिक्षकों द्वारा क्लास लिए जाने के कारण विभाग को बंद करने का कारण बतलाया. 

 

बायोमैट्रिक प्रणाली का वादा अधूरा

कुलपति ने बीते दिनों घोषणा की थी कि एक सप्ताह के भीतर सभी महाविद्यालयों और विभागों में बायोमैट्रिक उपस्थिति प्रणाली लागू की जाएगी. पर हकीकत यह है कि आज तक वह व्यवस्था लागू नहीं हो सकी. नतीजा लापरवाही, मनमानी और छात्रों का नुकसान हो रहा है.

 

हालांकि जीएलए कॉलेज में बायोमेट्रिक मशीन की सुविधा है परंतु यहां पढ़ने वाले प्राध्यापक अपनी मर्जी से बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज करते हैं.

 

महाविद्यालय के प्रिंसिपल आईजी खलखो से जब इस बात की जानकारी ली गई तो उन्होंने शिक्षकों द्वारा नियत समय पर बिजली नहीं होने के कारण आज शिक्षकों ने उपस्थिति नहीं दर्ज करने की बात कह मामले को टाल दिया।.

 

बारह बजे लेट नहीं, उसके बाद भेंट नहीं

 

वर्तमान हालात पर छात्रों और अभिभावकों के बीच एक कहावत खूब गूंज रही है:
“12 बजे लेट नहीं, उसके बाद भेंट नहीं!”

 

अर्थात्, विभाग समय पर खुलें या न खुलें, कर्मचारियों का आना-जाना उनकी सुविधा पर निर्भर है. अब सवाल यह है कि क्या विश्वविद्यालय प्रशासन सिर्फ आदेश जारी करने तक सीमित रहेगा या जमीनी स्तर पर सुधार लाने के लिए सख्त कदम उठाएगा?

 

Lagatar Media की यह खबर आपको कैसी लगी. नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपनी राय साझा करें.

Comments

Leave a Comment

Follow us on WhatsApp