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चुनाव आयोग ने ममता के घायल होने पर टीएमसी के ज्ञापन में लगाये गये आरोपों को दुर्भाग्यपूर्ण बताया

NewDelhi :  यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि तृणमूल कांग्रेस द्वारा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के चोटिल होने पर उसे दिये गये ज्ञापन में काफी दोषारोपण किये गये हैं और आयोग के कामकाज पर सवाल खड़ा किया गया. यह बात चुनाव आयोग ने कही है. बता दें कि टीएमसी ने गुरुवार को  नंदीग्राम में चुनाव प्रचार के दौरान घायल हुईं बनर्जी को सुरक्षा प्रदान करने में नाकामी को लेकर चुनाव आयोग की आलोचना की और कहा कि चुनाव आयोग अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग सकता क्योंकि चुनावी राज्य में कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी उसके पास है. इसे भी पढ़ें : ममता">https://lagatar.in/tmc-and-bjp-complain-to-election-commission-after-assessing-politics-profit-and-loss-on-mamtas-injury/36280/">ममता

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टीएमसी का चुनाव आयोग पर भाजपा नेताओं के आदेशानुसार काम करने का आरोप  

जान लें कि टीएमसी के एक प्रतिनिधिमंडल ने कोलकाता में चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात कर चुनाव आयोग पर भाजपा नेताओं के आदेशानुसार काम करने का आरोप लगाया और कहा कि  ममता बनर्जी पर हमले की आशंका की रिपोर्ट के बावजूद आयोग ने कुछ नहीं किया. इसके जवाब में तृणमूल कांग्रेस को भेजे गये एक पत्र में चुनाव आयोग ने कहा कि बुधवार शाम नंदीग्राम में बनर्जी का चोटिल होना दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी और तत्काल इसकी जांच कराने की जरूरत है. चुनाव आयोग ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ज्ञापन में कई तरह के दोषारोपण किये गये और आरोप लगाये गये. चुनाव आयोग के काम-काज पर सवाल उठाया गया. इसे भी पढ़ें :  ममता">https://lagatar.in/mamta-banerjee-released-video-from-hospital-and-appealed-to-supporters-to-keep-peace/36333/">ममता

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राज्य में रोजाना के कामकाज का जिम्मा आयोग का नहीं 

आयोग ने तृणमूल को याद दिलाया कि संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव आयोग के पास चुनाव कराने का दायित्व है. चुनाव आयोग ने कहा, यह बिल्कुल गलत राय है कि आयोग ने चुनाव कराने के नाम पर राज्य में कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी अपने हाथ में ले ली है और शासन के ढांचे पर नियंत्रण स्थापित कर लिया है. चुनाव आयोग ने कहा कि पश्चिम बंगाल समेत किसी भी राज्य में रोजाना के कामकाज का जिम्मा आयोग नहीं लेता है. चुनाव आयोग ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए उसे जैसे ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना की जानकारी मिली उसने राज्य के मुख्य सचिव और विशेष पर्यवेक्षक से 48 घंटे के भीतर रिपोर्ट मांगी. आयोग ने कहा कि आयोग के सामने रिपोर्ट उपलब्ध होने तक किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचना ठीक नहीं होगा ना ही इसे डीजीपी वीरेंद्र को हटाने से जोड़ना चाहिए. चुनाव की घोषणा हो जाने पर कानूनी तौर पर राज्य सरकार से मशविरा करना जरूरी नहीं होता क्योंकि यह प्रावधान अस्थायी या कुछ समय के लिए ही होता है.

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