Dharamveer
अंग्रेज़ी के प्रतिष्ठित विदेशी अख़बार TheGuardian ने लिखा था कि क्राइसिस में पीएम मोदी को लोगों और खुद में से एक को चुनना था, उन्होंने खुद को चुना. इस खबर से दुनिया भर में पीएम मोदी की छवि खराब हुई. देश के भीतर भी कुछ लोग सोंचने को मजबूर हुए.
उसका काउंटर करने के लिए The Daily Guardian नाम के एक भारतीय न्यूज़पेपर में PM की तारीफ के पुलिंदे बांधे. मंत्रियों और BJP नेताओं ने उस टूल किट को Tweet कर दिया. इस अख़बार के बारे में शायद ही किसी ने पहले कभी नहीं सुना था. पता नहीं कि यह अख़बार कहीं से प्रिंट भी होता है या केवल ऑनलाइन ही पढ़ा जा सकता है.
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देश के लिए शर्मिंदगी इसलिए भी बड़ी है क्योंकि ख़ुद गार्जियन अखबार ने इस सारे फ़र्ज़ीवाड़े का संज्ञान लेते हुए ख़ुद से ही अपने ट्विटर पेज पर लिख दिया कि हमारी कोई ब्रांच नहीं है. नक्कालों से सावधान.
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किसी भी न्यूज़ पेपर में अपने नेता के पक्ष में विज्ञापन देने में कोई बुराई नहीं है. लेकिन विदेशी अख़बारों जैसे द आस्ट्रेलियन और गार्जीयन से मिलते जुलते नाम की न्यूज़ साइट बनाना और उन पर प्रो राजनैतिक पार्टी कंटेंट न्यूज़ के रूप में डालना ना सिर्फ़ अनैतिक है, बल्कि देश की आम जनता के साथ एक क़िस्म का फ़्रॉड भी है.
आप विज्ञापन देते हैं तो उसमें साफ़-साफ़ विज्ञापन शब्द का इस्तेमाल करिये. ना कि उसको न्यूज़ की तरह से छापिए. संपादकीय पेज़ पर पार्टी विशेष के पक्ष में लिखना तो पत्रकारिता के मूल सिद्धांत को जड़ से उखाड़ फ़ेंकने वाला कृत्य है. यह सब बहुत ग़लत और निंदनीय है !
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चित्र देखकर आप पूरा खेल समझ सकते हैं. जिस प्रकार से भाजपा के बड़े मंत्रियों ने इस आर्टीकल को शेयर किया है उससे स्पष्ट जान पड़ता है कि यह सब एक ख़ास प्लानिंग के तहत PM की इमेज़ को जनता की नज़र में सुधारने के लिए किया गया है. और यह काम भाजपा का IT Cell ही करता रहा है. बेहतर हो कि भाजपा आम जनता के लिए काम करके PM की इमेज़ सुधारे. ना कि इस तरीक़े से ऑनलाइन फ़र्जीवाड़ा करके.
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डिस्क्लेमरः ये लेखक के निजी विचार हैं और यह लेख उनके फेसबुक वॉल से लिया गया है.