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सरकार व RIMS के पास निजी प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर्स के खिलाफ कार्रवाई करने की इच्छा शक्ति ही नहीं

Ranchi: राज्य सरकार और RIMS प्रबंधन के पास नन प्रैक्टिसिंग अलाउंस लेने के बावजूद प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने की इच्छा शक्ति नहीं है. ऐसे डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पहले शुरू की गयी सारी कोशिशों ने दम तोड़ दिया. 


आयकर सर्वे के दायरे में फंसे डॉक्टरों के खिलाफ जानकारी मांगने के लिए रिम्स निदेशेक द्वारा भेजी गयी चिट्ठी आयकर विभाग को मिली ही नहीं. स्वास्थ्य विभाग की जांच समिति की रिपोर्ट बिरादरी के चक्कर में उलझ गयी. इससे किसी के ख़िलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई.

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                              रिपोर्ट का अंश

झारखंड हाईकोर्ट ने RIMS में आम लोगों की सुविधाओं को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य के कई आदेश दिये हैं. इसमें मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह की पीठ द्वारा नन-प्रैक्टिसिंग अलाउंस(NPA) लेकर भी  प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश भी शामिल है. 


इस दिशा में सरकार द्वारा की गयी कोशिशों के दम तोड़ देने की वजह से मुख्य न्यायाधीश के इस आदेश के अनुपालन की कोई गुंजाईश नजर नहीं आती है. छह सितंबर 2018 को आयकर विभाग ने रिम्स के डॉक्टर हेमंत नारायण और उनकी पत्नी गीता कुमारी सहित अन्य के ठिकानों पर सर्वे किया. 


सर्वे के दौरान कई सनसनीखेज जानकारियां सामने आयीं. जैसे हेमंत नारायण द्वारा सालाना 17-18 लाख रुपये की आमदनी से संबंधित आयकर रिटर्न का दाखिल करना. लेकिन इसके उलट उनकी पत्नी गीता कुमारी द्वारा सालाना करीब 90 लाख रुपये की रिटर्न दाखिल करना है.

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                            Comprehensive center पर जांच करती आयकर की टीम

आयकर रिटर्न के इस भारी अंतर को समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि RIMS में प्रैक्टिस पर प्रतिबंध है. जबकि राज्य के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत डॉक्टरों को ड्यूटी के समय के बाद प्रैक्टिस करने की अनुमति है. डॉक्टर हेमंत नारायण की पत्नी राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत हैं. वह Gynecologist हैं. उनकी आमदनी हेमंत नारायण की आमदनी से अधिक कैसे है, यह गहण जांच का विषय है.

 

आयकर विभाग की टीम ने बरियातु स्थित comprehensive center और अशोक नगर स्थित उनके मकान स्थित कार्यालय को सर्वे के दायरे में शामिल किया. google पर दर्ज इसी पते पर उस जमाने पर हेमंत नारायण के प्रचार से संबंधित सूचनाएं उपलब्ध हुआ करती थी. हालांकि आयकर सर्वे के बाद वहां से हेमंत नारायण से संबंधित सूचनाएं हटा ली गयी हैं. हेमंत नारायण प्रकरण की जांच के दौरान आयकर की टीम RIMC के cardiology विभाग भी पहुंची थी. 

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RIMS में आयकर की टीम

हेमंत नारायण के ठिकानों पर सर्वे के दौरान प्रकाशित खबरों और आयकर विभाग की टीम के cardiology विभाग पहुंचने के वजह से RIMS निदेशक ने आयकर विभाग को पत्र लिख कर हेमंत नारायण द्वारा प्रैक्टिस करने से संबंधित जानकारी मांगी. साथ ही आय से अधिक संपत्ति की जानकारी मांगी. 


हालांकि RIMS निदेशक की ओर से लिखा गया यह पत्र आयकर विभाग नहीं पहुंची. आयकर विभाग ने क़ानून के दायरे में रहते हुए सर्वे के दौरान मिले तथ्यों की समीक्षा की और टैक्स व दंड की राशि वसूल ली. इसके बाद आयकर विभाग की भूमिका इस प्रकरण में समाप्त हो गयी. 


आयकर का मूल विषय हेमंत नारायण प्रैक्टिस करते हैं या नहीं, यह नहीं था. आयकर का मूल विष यह था कि पति-पत्नी अपनी आमदनी के अनुरूप आयकर रिटर्न दाखिल करते हैं या नहीं. प्रैक्टिस करने का असल मुद्दा RIMS प्रशासन का था. लेकिन RIMS प्रशासन ने आयकर को पत्र लिखने के बाद इस मामले में चुप्पी साध ली.

 

डॉक्टरों के खिलाफ आयकर की कार्रवाई के बाद राज्य सरकार ने भी NPA लेने के बावजूद प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों के ख़िलाफ जांच कर कार्रवाई करने का फैसला किया. इस फैसले के आलोक में एक जांच समिति का गठन का किया गया. स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन विशेष सचिव चंद्रकिशोर उरांव की अध्यक्षता में गठित इस समिति में डॉक्टर एलएन प्रदीप बाड़ा और अभिषेक नचिकेता को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है. 


समिति को RIMS के डॉक्टरों द्वारा NP लेने के बावजूद प्रैक्टिस करने की जांच की जिम्मेवारी सौंपी गयी. समिति ने जांच के दौरान डॉक्टरों के घर पर पहुंच कर पूछताछ की. मरीजों की जांच करने के लिए नंबर लगाने और फीस लेने के लिए वहां तैनात व्यक्ति से बात की. रजिस्टर में अपना नाम दर्ज करवाया. 


जांच के बाद समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी. RIMS के डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार स्वास्थ्य विभाग के बदले RIMS के पास होने की वजह से यह मामला ब्रादरी यानी डॉक्टर-डॉक्टर भाई-भाई के मकड़जाल में फंस गया और किसी के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई.

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