Ranchi : नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने जेल में रसूखदार कैदियों की अय्याशी पर राज्य सरकार को निशाने पर लिया है. कहा कि वायरल वीडीओ कोई मयखाना या डांस बार का नहीं, रांची होटवार सेंट्रल जेल का है.
जेल में रसूखदार कैदियों के लिए अलग नियम है. क्योंकि, जेल में बंद रसूखदार कैदियों को पैसे के बल पर सभी तरह की सुविधाएं मिलती हैं. जेल में रसूखदार कैदियों के लिए कई खास वार्ड बने हुए हैं, इन वार्डों में रहने के लिए एंट्री फीस देनी पड़ती है.
प्रत्येक माह तय रकम खर्च करने पड़ते हैं. कुछ नामचीन कैदी जेल विभाग के पदाधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से जेल में ऐशो-अय्याशी की पूरी व्यवस्था चलाते हैं. पैसे लेकर हर तरह के वैसे काम किए जाते हैं, जो जेल मैनुअल का उल्लंघन करते हों.
जेल में गैर कानूनी काम बंद नहीं हुए
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इन गतिविधियों के बारे में सरकार को कई बार आगाह भी किया था, लेकिन जेल में गैर कानूनी काम बंद नहीं हुए, बल्कि वीआईपी कैदियों” की “विशेष मेहमाननवाजी” से इनकार कर इन पर अंकुश लगाने की कोशिश करने वाले एक अधिकारी रॉबर्ट निशांत बेसरा का ही तबादला कर दिया गया था.
वीडियो वायरल होने पर दो कर्मचारियों को निलंबित कर खानापूर्ति कर ली गई है. लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि हजारीबाग जेल में बंद विनय सिंह को विशेष सुविधाएं देने के नाम पर जिस कारापाल दिनेश वर्मा को बीस दिन पहले संस्पेड कर वहां से हटाया गया था, उसे ही निलंबन मुक्त कर एक तरह से पुरस्कार देते हुए अब बिरसा मुंडा जेल का प्रभारी कारापाल बना दिया गया है. चर्चा है कि इसके लिए वर्मा का अच्छा दोहन किया गया है.
जेल आईजी पर भी उठाए सवाल
जेल आईजी से ये पूछा जाना चाहिए कि जो हजारीबाग में गंभीर गड़बड़ी करने के लिए अभी-अभी निलंबित हुआ उसने “कौन सी जादू की छड़ी” चला दी कि उसे तुरंत निलंबन मुक्त कर बिरसा मुंडा जेल में तैनाती का इनाम दिया गया? जेल का ये गंदा खेल अकेले छोटे-मोटे कर्मचारियों के बस की बात नहीं. बिना उच्चाधिकारियों की अनुमति, सहमति एवं हिस्सेदारी के ये कैसे हो सकता है? इसके लिए सीधे जेल आईजी जिम्मेदार हैं, इसलिए निलंबन की कार्रवाई तो आईजी पर होनी चाहिए.
आईजी बताएं, किसके आदेश पर ये सब धंधा करवा रहे थे
आईजी को ये बताना चाहिए कि किसके आदेश पर वे जेल में ये सब धंधा करवा रहे थे? शराब घोटाले के जिस हाईप्रोफाइल कैदी की जेल में डांस करते और वीडियो बनाते तस्वीर वायरल हुई है, इसमें एक वही व्यक्ति है जिसे चार्जशीट समय पर दाखिल न कर जमानत पर निकलवाने की सुविधा एसीबी सह सीआईडी के पूर्व डीजीपी ने प्रदान करवाई है और जेल आईजी सीआईडी के भी आईजी हैं. लगता है ये सारे लोग आपस में मिलजुलकर ये सब गोरखधंधा चला रहे हैं.
बाबूलाल ने झारखंड हाईकोर्ट से राज्य के जेलों में हो रहे गैरकानूनी कार्यों पर संज्ञान लेने का अनुरोध किया. कहा कि हाईकोर्ट के सिटिंग जज के नेतृत्व में “जेल में चल रहे खेल” एवं उच्चाधिकारियों के संलिप्तता एवं उनके मनमाने कार्यों की जॉंच करायें ताकि लोगों की पता तो चले कि आखिर ये हो क्या रहा है?


Leave a Comment