New Delhi : कांग्रेस ने थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति के मई महीने में शून्य से नीचे आ जाने की पृष्ठभूमि में शुक्रवार को आरोप लगाया कि महंगाई में कमी को लेकर सरकार की तरफ से झूठ फैलाया जा रहा है, क्योंकि जरूरी वस्तुओं की कीमत में कोई गिरावट नहीं आयी है. पार्टी प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने यह दावा भी किया कि आम उपभोक्ताओं को कोई राहत नहीं मिल रही है, लेकिन सरकार और थोक विक्रेताओं को फायदा मिल रहा है.
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मोदी सरकार से हमारे सवाल…
• जब होलसेल मार्केट में हर तरह के सामान की कीमतें कम हो रही हैं तो 140 करोड़ देशवासियों को इसका बेनेफिट क्यों नहीं मिल रहा है?
• सब्जी, आलू, ऑइल सीड्स की कीमत होलसेल मार्केट में 20.12%, 18.7%, 15.6% कम हो रही है तो उसी ऑइल सीड से बना तेल आम लोगों… pic.twitter.com/fTGhj78quc
— Congress (@INCIndia) June 16, 2023
भाजपा सरकार के लोग महंगाई की दरों पर झूठ फैला रहे हैं
उल्लेखनीय है कि थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति खाद्य पदार्थों, ईंधन और विनिर्मित वस्तुओं के दाम घटने से मई में शून्य से 3.48 प्रतिशत नीचे आ गयी जो साढ़े सात वर्षों का निचला स्तर है. यह लगातार दूसरा महीना है जब थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति शून्य से नीचे रही है. इसके पहले अप्रैल में भी यह (-) 0.92 प्रतिशत पर थी. एक साल पहले मई, 2022 में थोक मुद्रास्फीति 16.63 प्रतिशत पर थी. गौरव वल्लभ ने संवाददाताओं से कहा, पिछले कुछ दिनों से भाजपा सरकार के लोग महंगाई की दरों का झूठ फैला रहे हैं कि डब्ल्यूपीआई नेगेटिव हो गया, सीपीआई (खुदरा मूल्य सूचकांक) भी कम हो गया, महंगाई से देश को राहत मिल गयी.
एक भी आवश्यक वस्तु के दाम में कोई कमी नहीं आयी
सच्चाई ये है कि एक भी आवश्यक वस्तु के दाम में कोई कमी नहीं आयी. फल, सब्जी, अनाज के दाम कम नहीं हुए, न ही पेट्रोल- डीजल सस्ता हुआ. उन्होंने सवाल किया, जब थोक बाजार में हर तरह के सामान की कीमतें कम हो रही हैं तो 140 करोड़ देशवासियों को इसका फायदा क्यों नहीं मिल रहा है? सब्जी, आलू, तिलहन की कीमत थोक बाजार में 20.12 प्रतिशत, 18.7 प्रतिशत, 15.6 प्रतिशत कम हो रही है तो उसी तिलहन से बना तेल आम लोगों को 3.15 प्रतिशत महंगा क्यों मिल रहा है? क्या किसानों की आय ऐसे दोगुनी होगी?’ वल्लभ ने पूछा, जब थोक बाजार में वस्तुओं की कीमत कम हो रही है और खुदरा बाजार में वही सामान महंगा बिक रहा है. ये सूट-बूट की सरकार मूक दर्शक बनी क्यों बैठी है? आखिर सरकार की ऐसी क्या मजबूरी है?