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कुपोषण मिटाने में सहायक 75 हजार सेविका-सहायिकाओं का मानदेय दिल्ली, तमिलनाडु, हरियाणा से कम

Ranchi :  झारखंड के 38,000 आंगनबाड़ी केंद्रों में कार्यरत 75000 सेविका-सहायिकाओं को मिलने वाला मानदेय दिल्ली, तमिलनाडु, हरियाणा जैसे राज्यों की तुलना में काफी कम है. यह स्थिति तब है, जब सेविका-सहायिका प्रदेश की राजनीति में बड़ा वोट बैंक मानी जाती हैं. प्रदेश से कुपोषण हटाने और पोलिया जैसी भयावह बीमारी को खत्म करने में सेविका-सहायिकाओं का बड़ा योगदान है. अपने रोजगार को लेकर यह सभी पिछले कई सालों से नियमावली बनाने की मांग करती रही हैं. पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में तो उन्हें निराशा ही हाथ लगी, वहीं, 2 साल से अधिक समय से सत्ता पर काबिज हेमंत सरकार में नियमावली बनाने को लेकर कोई प्रस्ताव सरकार के पास नहीं है. इसे भी पढ़ें-रांची">https://lagatar.in/holi-meeting-in-bar-bhawan-of-ranchi-civil-court-advocates-drenched-in-colors/">रांची

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मानदेय के मामले में दिल्ली, हरियाणा और तमिलनाडु की स्थिति झारखंड से बेहतर

मानदेय देने की स्थिति को देखें तो झारखंड सरकार केंद्र द्वारा तय दर के तहत आंगनबाड़ी सेविकाओं के लिए प्रतिमाह 4500, लघु आंगनबाड़ी सेविकाओं को प्रतिमाह 3500 रुपये और आंगबनाड़ी सहायिकाओं को प्रतिमाह 2250 रुपये का भुगतान किया जाता है. इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा अपने संसाधनों से भी इन कर्मियों के प्रतिमाह क्रमशः 1900, 1200 और 950 रुपये का अतिरिक्त भुगतान किया जाता है. यह दर बिहार राज्य से अधिक है. - वहीं, अगर तमिलनाडु में आंगनबाड़ी सेविकाओं को 12200 रुपयेलघु आंगनबाड़ी सेविकाओं को 9400 रुपये प्रतिमाह दिया जाता है. - हरियाणा में सेविकाओं को प्रति माह 12661 रुपये, मिनी आंगनबाड़ी सेविकाओं को 11401 और सहायिका को 6781 रुपये दिए जा रहे हैं. - दिल्ली में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को 12,720 और सहायक को 6810 रुपये मानदेय दिया जा रहा है.    

नियमावली की वर्षों से कर रहीं मांग, जेएमएम का था चुनावी वादा, सरकार के पास अभी प्रस्ताव नहीं

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आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाएं पिछले कई सालों से नियमावली बनाने की मांग कर रही हैं. नियमावली में सभी खुद को तृतीय और चतुर्थवर्गीय कर्मचारी का दर्जा देकर वेतन देने, सेवानिवृत्ति लाभ सहित 65 वर्ष की सेवा करने, कार्य अवधि में किसी श्रमिकों की मृत्यु होने पर आश्रितों को 4 लाख तक का मुआवजा देने की मांग करती रही हैं. सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा का यह चुनावी वादा था कि सरकार इनके लिए नियमावली बनाएगी. लेकिन आज स्थिति यह है कि सत्ता में आये हेमंत सरकार को 2 साल से अधिक समय हो गया है, पर सरकार के पास नियमावली बनाने का कोई प्रस्ताव नहीं है. [wpse_comments_template]

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