महंगाई की मार
जेब पर भारी पड़ रही सब्जियों की बढ़ी कीमत
मॉनसून की फुहारों के साथ सब्जियों के भाव आसमान चढ़े
Ranchi: पिछले कई दिनों से राज्य के विभिन्न हिस्सों में रह रह कर हो रही मॉनसूनी वर्षा के कारण कमोवेश सभी सब्जियों के भाव बढ़ गए हैं. इसके कई कारण बताए जा रहे हैं. कुछ सब्जियां तो बारिश के पानी से गलने लगीं हैं. वहीं खेतों में पानी जम जाने से सब्जियां कम टूट रही है. इस वजह से मंडियों में सब्जियों की आवक घट गई है. जिससे बाजार में सब्जियों की मांग बढ़ गई है और आपूर्ति घटने से उनकी कीमत बढ़ गई है. सब्जियों की बढ़ी हुई कीमतें आम लोगों की जेब पर भारी पड़ने लगी है. खासकर गृहणियां बढ़ी हुई कीमत से परेशान हैं कि क्या पकाए और क्या परोसे. सच तो यह है कि कीमतें बढ़ने से खरीददारी से पहले लोगों को काफी सोचना पड़ रहा है कि क्या खरीदे कि थाली का स्वाद स्वाद बना रहे. फिलहाल आलू-प्याज के सहारे गुजारा हो रहा है. शुभम संदेश भी टीम ने राज्य के विभिन्न जिलों में सब्जियों के बढ़े भाव पर गृहणियों से बात की है. पेश है रिपोर्ट.
कीमत बढ़ने की वजह
- लगातार हो रही बारिश से गलने लगी हैं सब्जियां
- खतों में पानी भर जाने से नहीं टूट रही सब्जियां
- मंडियों में सब्जियों की आवक कम हो गई है
- मांग ज्यादा और आपूर्ति कम होने से बढ़े भाव
हजारीबाग
आसमान छू रहे भाव, आम आदमी के लिए आलू-प्याज ही विकल्प
शहर में सब्जियों के भाव आसमान छूने लगे हैं. आम आदमी की थाली में एकाध सब्जियां ही दिख रही हैं. कुछ दिनों पहले जिस टमाटर की कोई पूछ नहीं थी, उसकी कीमत सबसे अधिक हो गई है. औसतन हर सब्जी 35-40 रुपए प्रति किलो के नीचे नहीं हैं. ऐसे में लोगों का कहना है कि आलू और प्याज से ही काम चलाना होगा. इससे सस्ती सब्जी अभी बाजार में उपलब्ध नहीं है.
हजारीबाग में सब्जियों के भाव
- टमाटर : 80 से 100 रुपए प्रति किलो
- कद्दू : 40 रुपए प्रति किलो
- मूली : 30 रुपए प्रति किलो
- पटल : 40 रुपए प्रति किलो
- कच्चा केला : 30 रुपए प्रति किलो
- झिंगी : 40 रुपए प्रति किलो
- परवल : 40 रुपए प्रति किलो
- भिंडी : 40 रुपए प्रति किलो
- पत्ता गोबी : 30 रुपए प्रति किलो
- हरी मिर्च : 80 रुपए प्रति किलो
- धनिया पत्ता : 60 रुपए प्रति किलो
- अदरख : 100 रुपए प्रति किलो
- प्याज : 25 रुपए प्रति किलो
- आलू : 15 से 22 रुपए किलो
- लहसुन : 80 से 100 रुपए प्रति किलो
बिगड़ रहा घर का बजट : सविता देवी
ओकनी की सविता देवी कहती हैं कि सब्जियों के कारण घर का बजट बिगड़ रहा है. उनके पति ठेला चलाकर कमाई करते हैं. घर चलाने के लिए 12 हजार रुपए प्रति माह मिलते हैं. पांच सदस्यीय परिवार पहले चल जाता था. तीन-चार तरह की सब्जियां भी खा लेते थे. लेकिन अब सब्जियों के भाव इतने बढ़ गए हैं कि आलू और प्याज से ही काम चला रहे हैं. चाहकर भी हरी सब्जियां नहीं खरीद पा रहे. आलू का चोखा से काम चला रहे हैं.
जान मार रहा नगर निगम का टैक्स : सविता देवी
इचाक से आकर पुराने समाहरणालय के पास सब्जियां बेचनेवाली सविता देवी कहती हैं कि नगर निगम का टैक्स जान मार रहा है. गांव में उतने खरीदार नहीं मिलते. शहर में सब्जियों की अच्छी खपत है. लेकिन वाहन किराश, नगर निगम का टैक्स और सिंचाई में हुआ खर्च वापस कैसे आएगा, अगर सब्जियों के भाव नहीं बढ़ाएंगे. कई सब्जियां खरीदकर बेचती हैं. खरीदार भी अब क्रेडिट पर सब्जियां नहीं दे रहा. ऐसे में मोल-भाव करने पर पूंजी वापस लाने की चुनौती रहती है. पहले जो ग्राहक किलो में सब्जियां खरीदते थे, वे अब पाव और आधा किलो खरीद रहे हैं.
हरी सब्जियों की जगह बेसन-सत्तू पर गृहणियों का जोर
कुछ लोग हिम्मत जुटाकर बाजार जाते हैं, लेकिन वे किलो की जगह केवल पाव भर सब्जी खरीदकर लाते हैं. सब्जी विक्रेताओं ने कहा कि सब्जी के भाव रोज बढ़ रहे हैं. इस कारण बिक्री पर भी असर पड़ रहा है. बिक्री कम होने से सब्जियां सड़ रही हैं, जिससे आर्थिक नुकासान हो रहा है. गृहिणियों ने अपनी रसोई का बजट संतुलित करने के लिए सब्जियों की जगह चना, बेसन, सत्तू, काबुली चना, दाल का तड़का बना कर काम चला रही हैं. भोजन में आलू और प्याज का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं.
बड़ी पूंजी लगानी पड़ रही है : कन्हैया
नुरा निवासी कन्हैया कहते हैं कि वह इंद्रपुरी चौक पर सब्जी बेचते हैं. पहले से तीन गुनी अधिक पूंजी लगानी पड़ रही है. खाद-बीज सबके दाम बढ़ गए हैं. अन्य सामान भी महंगे हुए हैं. अगर कम में सब्जियां बेचते हैं, तो उनका मूलधन भी वापस नहीं होगा. शहर में बिजली के इस्तेमाल से सिंचाई करते हैं. घर से बाजार तक सब्जियां लाने का वाहन किराया भी बढ़ गया है. ऐसे में सब्जियों के दाम में बढ़ोतरी तो होगी ही.
चोखा और झोर खा रहे हैं : सपना
राजा बंगला निवासी सपना कुमारी कहती हैं कि आलू का चोखा और झोर खा रहे हैं. उनके घर में पति के अलावा तीन बच्चे हैं. हरी सब्जियों के भाव आसमान छू रहे हैं. उनके परिवार के पहुंच के बाहर है. उनके पति किसान हैं, फिर भी हरी सब्जियां नसीब नहीं हो रही हैं. अगर हरी सब्जियां खाएंगे, तो बच्चे की फीस के पैसे घट जाएंगे. घर का पूरा बजट ही गड़बड़ा जाएगा. अभी सबसे सस्ता आलू और प्याज ही है. उसी से काम चला रहे हैं.
कारोबार में फायदा नहीं : नागेश्वर
इचाक से सब्जी लाकर ड्रिस्ट्रक्ट मोड़ के पास बेचनेवाले नागेश्वर मेहता कहते हैं कि सब्जियों के कारोबार में फायदा नहीं रहा. पहले बाजार तक आने के लिए वाहन किराया भी कम था और सिंचाई में बिजली बिल भी कम लगता था. लेकिन दोनों चीजों में बढ़ोतरी हो गई. ऊपर से शहर घुसते ही नगर निगम का टैक्स अलग से देना पड़ता है. ऐसे में सब्जियों के दाम बढ़ाने के बाद भी चंद पैसे का ही मुनाफा होता है.
लातेहार
तीन गुणा दाम बढ़े : किरण देवी
गृहणी किरण देवी ने कहा कि इन दिनों सब्जी के भाव आसमान छू रहे हैं. दो से तीन गुणा अधिक मूल्य पर सब्जियां बिक रही हैं. थोक व्यापारी गांव के किसानों से कम मूल्य पर सब्जी क्रय करते हैं और बाजार में अधिक मूल्य पर खुदरा विक्रेताओं को बेचते हैं. इस कारण सब्जियों महंगी हो गयी है. रसोई का हिसाब किताब गड़बड़ा गया है. न सिर्फ सब्जी वरन रसोई के अन्य सामानों की भी कीमतों में बेहतहाशा वृद्धि हुई है.
जायका बिगड़ गया है: पूनम देवी
गृहणी पूनम देवी ने कहा कि सब्जियों के दाम बढ़ने से रसोई का जायका बिगड़ गया है. टमाटर 60 रूपये और बैगन 40 रूपये किलो बिक रहा है. पहले तो कई तरह की सब्जियां बनती थी. अब एक दो से ही काम चल रहा है. किसानों को अगर उनकी फसल के दाम मिले तो ठीक है, लेकिन बीच में व्यापारी अधिक मुनाफा कमा रहे हैं.
पर्याप्त स्टॉक नहीं है: विकास कुमार
सब्जी विक्रेता विकास कुमार उर्फ छोटू ने कहा कि पहले तो 8 से 10 हजार में दुकान में सब्जियां भर जाती थी, अब 20 हजार में भी दुकानों में सब्जियों का पर्याप्त स्टॉक नहीं हो पा रहा है.
सब्जियों के दाम
- टमाटर : 60-80 रूपये प्रति किलो
- पटल : 40-50 रूपये प्रति किलो
- फूलगोभी : 60 रूपये प्रति किलो
- मिर्च : 300 रूपये रूपये प्रति किलो
- धनिया पत्ती : 150 रूपये प्रति किलो
- अदरक : 300 रूपये प्रति किलो
- आलू : 20 रूपये प्रति किलो
- प्याज : 25 रूपये प्रति किलो
- कद्दू : 30 रूपये प्रति किलो
- भिंडी : 40 रूपये प्रति किलो
- नेनूआ : 40 रूपये प्रति किलो
जमशेदपुर : महंगी हुई हरी सब्जियां, किचन का बिगड़ गया जायका
कम पैदाबार से कीमतें बढ़ी : प्रताप
बरसात के मौसम में लोकल सब्जियों की पैदावार कम होने का सीधा असर लोगों की जेब पर पड़ रहा है. बरसात के शुरू होते ही हरी सब्जियां महंगी हो गई हैं. सब्जियों के महंगे होने से लोगों को ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं. वहीं किचन का जायका भी फीका पड़ने लगा है. सब्जी बेचने वाले भी अब पहले की तुलना में मंडी से कम उठाव कर रहे हैं. सब्जी विक्रेता प्रताप का कहना है कि पहले जो ग्राहक किलो में सब्जियां खरीदते थे, वे अब पाव और आधा किलो खरीद रहे हैं.
टमाटर की कमी से स्वाद घटा : सोमा
गृहिणी सोमा महतो कहती हैं कि बरसात के शुरू होते ही हरी सब्जियों के दाम आसमान छूने लगे हैं. इससे हम लोगों के लिए परेशानी बढ़ गई है. 30 रुपये मिलने वाला टमाटर अब 100 रुपये किलो बिक रहा है. सब्जी बिना टमाटर के स्वादिष्ट नहीं बन पाती है. इससे परिवार के सदस्य खाने में स्वाद को लेकर शिकायत करते हैं. इस समय बाजार जाने से काफी सोचना पड़ता है कि आखिर कौन सी सब्जी खरीदे कि थाली का जायक बना रहे. इस समय कमोवेश सभी सब्जियों को भाव बढ़े हुए हैं.
गायब हो रही हरी सब्जी : विभा कुमारी
जमशेदपुर निवासी विभा कुमारी का कहना है कि हरी सब्जियां महंगी होने से खाना बनाने में सोचना पड़ता है. खाने में सब्जियों की वेरायटी कम हो जाती है. खीरा सलाद के लिए जरुरी है, लेकिन वह 50 रुपये किलो बिक रहा है. वहीं टमाटर 100 रुपये किलो और गाजर 40 रुपये किलो बिक रही है. धनिया पत्ती तो 200 रुपये किलो हो चुकी है. घर में खाने की थाली से हरी सब्जियां गायब हो रही है. केवल आलू से काम चलाना पड़ रहा है. इस समय सब्जियों को लेकर काफी परेशानी हो रही है.
सब्जी के भाव
- टमाटर : 100 रुपये किलो
- शिमला मिर्च : 200 रुपये किलो
- बीन्स : 160 रुपए किलो
- खीरा : 50 रुपये किलो
- भिंडी : 40 रुपये किलो
- परवल : 50 रुपये किलो
- गोभी : 30 रुपये पीस
- नेनुआ : 40 रुपये किलो
- कद्दू : 40 रुपये किलो
- बैगन : 50 रुपये किलो
- गाजर : 40 रुपये किलो
- करेला : 50 रुपये किलो
- धनिया पत्ता : 200 किलो
रामगढ़ : भाव इतने बढ़े कि बंद कर दिया टमाटर का इस्तेमाल
सब्जियों की कीमत में इन दिनों भारी बढ़ोतरी देखी जा रही है. ऐसे में शहरी हो या ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में रहने वाले लोग महंगाई की मार झेल रहे हैं, मिडिल क्लास के लोग निश्चित मासिक इनकम में घर चलाते हैं. लेकिन जब वह सब्जी खरीदने के लिए बाजार पहुंच रहे हैं तो उनके भाव चढ़े हुए मिल रहे हैं.
सब्जी के भाव
- टमाटर : 80 किलो
- पटल : 40 किलो
- गोभी : 50 किलो
- मिर्च : 160 किलो
- धनिया पत्ता : 100 किलो
- मूली : 40 किलो
- भिंडी : 30 किलो
- बैगन : 40 किलो
- टोटी : 40 किलो
- खीरा : 30 किलो
सब्जी खरीदना मुश्किल : नगमा शाहीन
सब्जियों के दामों में बेतहाशा वृद्धि को लेकर गृहणी नगमा शाहीन कहती है कि अचानक सब्जियों की कीमत बढ़ने से खरीदना मुश्किल हो गया है . बाजार में सभी सब्जियों की कीमतों में काफी बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में समझ में नहीं आता कि सब्जी क्या बनाये . जितने दामों में सब्जियां बिक रही है अगर उसमें कुछ पैसे और लगा दिया जाए तो उतने में चिकन खरीद सकते हैं. बाजार से टमाटर खरीदना तो आफत हो गई है. सब्जी में टमाटर का इस्तेमाल बंद कर दिए हैं. कहां से जुटा पाएंगे इतने पैसे .घर में सभी चीजों को देखना होता है.
रसोई पर सीधा असर पड़ता है : मंजू
गृहणी मंजू देवी कहती हैं की सब्जियों के दाम में बढ़ोतरी होने से घर का बजट बिगड़ जाता है . घर चलाने में इसका सीधा असर पड़ता है . आम तौर पर महिलाओं को घर चलाने व घर को व्यवस्थित करने की जिम्मेदारी होती है. जिसे सुचारू रूप से चलाना होता है. राशन के साथ साथ सब्जियों में अगर दाम की बढ़ोतरी होती है तो महीने में लगभग 1000 रुपया की बढ़ोतरी हो जाती है. जिन पैसों से हम दूसरे कार्य भी कर सकते हैं . इसलिए सब्जियों के दाम यदि स्थिर हो तो घर चलाने में दिक्कत नहीं होती.
सब्जियों की कीमत में इतनी वृद्धि कभी नहीं हुई : धनंजय कुमार
सब्जी विक्रेता धनंजय कुमार कहते हैं कि सब्जियों की कीमत में इतनी वृद्धि कभी नहीं हुई थी, जितनी वृद्धि इन दिनों हुई है. हर सब्जियों की कीमत बढ़ी हुई है .सब्जियां बहुत ही मुश्किल से मिल रही है. जिस बाजार से सब्जी लाते हैं, वहां भी सब्जी नहीं पहुंच रही है .किसी तरह से सब्जियों का मेल जुटा पा रहे हैं . वह भी थोड़ी बहुत . अगर ऐसा ही चलता रहा तो कुछ ही दिनों में दुकान बंद करनी पड़ेगी, क्योंकि जब सब्जी नहीं मिलेगी तो बेचेंगे क्या . ऊपर से महंगाई अलग है. इतना ही नहीं इस समय सब्जी खरीदने के लिए बड़ी पूंजी लगानी पड़ रही है. ऊपर से बारिश के कारण सब्जियों के खराब होने का डर रहता है.
पाकुड़
कीमत बढ़ने से गृहणियां परेशान
एकाएक सब्जी की कीमतों में आई उछाल ने लोगों के माथे पर शिकन ला दी है. पाकुड़ में इन दिनों टमाटर ₹120 , परवल ₹50 , गोभी ₹50 , हरी मिर्च ₹200 , धनिया पत्ती ₹250 , कच्चू ₹80, झिंगी ₹40 किलो, करेली ₹100, पपीता ₹40, गाजर ₹80 , खीरा ₹60, भिंडी ₹40 , बैगन ₹50 और कद्दू ₹30 पीस बिक रही है.
बेतहाशा बढ़े हैं दाम : प्रतिभा झा
गृहिणी प्रतिभा झा ने कहा कि सब्जियों के दाम में वृद्धि होने से घर का बजट गड़बडा़ गया है. बीते एक सप्ताह में सब्जयों के भाव दो से तीन गुणा तक बढ़ गये. जो समझ से परे है. लौकी तक के दाम हैरान कर रहे हैं. कुछ भी खरीदने से पहले दस बार सोचना पड़ रहा है. पाव भर खरीदारी कर किसी तरह काम चलाया जा रहा है.
हमें तो घाटे का डर सता रहा है : तरुण शाह
सब्जी विक्रेता तरुण शाह ने कहा कि लोग पहले से ही महंगाई से त्रस्त हैं. एकाएक सब्ज़ियों की कीमत में उछाल आने से लोग परेशान हैं. लोग सब्जी खरीदने से कतरा रहे हैं. जिससे सब्जी विक्रेता भी प्रभावित हो रहे हैं. कीमत में उछाल आने से पूंजी की लागत तीन गुणा तक बढ़ गई है. लेकिन बिक्री न होने से घाटे का डर सता रहा है.
विक्रेताओं की लागत बढ़ गई है : छोटन दास
सब्जी विक्रेता छोटन कुमार दास ने कहा की सब्जी के दाम में आग लगने से पूरा बाज़ार ही प्रभावित हो रहा है. सब्जी विक्रेताओं की लागत बढ़ गई है, दूसरी तरफ लोग खरीदारी के लिए बाज़ार नहीं पहुंच रहे हैं.
सीमित आय वाले परेशान : कृष्णा
गृहिणी कृष्णा शर्मा ने कहा कि तीन-चार दिनों से सब्जी की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हो गई है. जिसके कारण सीमित आय वाले परिवार के लिए किचन का बजट बिगड़ गया है. सब्ज़ी के बिना काम भी नहीं चल सकता, इसलिए एक किलो की जगह आधा किलो और पाव भर खरीदकर सिर्फ काम चलाया जा रहा है.
कीमत बढ़ने से बाजार प्रभावित : अर्जुन
सब्जी विक्रेता अर्जुन मंडल ने कहा कि 5 दिनों से सब्जी के दामों में दो से तीन गुणा तक इजाफा हुआ है. अचानक से कीमतों में बढ़ोतरी के कारण पूरा बाजार प्रभावित हुआ है. एक तरफ पूंजी की लागत बढ़ गई है, दूसरी तरफ लोग खरीदारी कम कर रहे हैं. असंतुलन बढ़ने से घाटा होना स्वभाविक है.
बोकारो
सब्जियों पर महंगाई की मार, जनता लाचार
स्टील सिटी बोकारो में सब्जी के दाम आसमान पर पहुंच गये हैं. बोकारो के बाज़ार में फुल गोभी 60 रूपए, परवल 40 रूपए, बैगन 40 रूपए, भिंडी 30 से 40 रूपए, टमाटर 80 से 100 रूपये, करैला 80 रूपए, अरबी (कच्चू) 50 रूपए, चुकंदर 40 से 50 रूपए, सहजन 160 रूपए, कद्दू 30 से 40 रुपए, खीरा 30 से 40 रुपए प्रति किलो बिक रही हैं.
लागत दोगुनी हो गई है : राहुल कुमार
सब्जी दुकानदार राहुल कुमार ने कहा कि सब्जियों के दाम बेतहाशा बढ़ने से उनकी लागत दोगुनी हो गई है. बढ़ती कीमतों के कारण कमजोर वर्ग के साथ मध्यम परिवारों को भी काफी दिक्कत हो रही है. सब्ज़ी खरीदने के पहले कई बार लोगों को सोचना पड़ रहा है.
धनबाद
हरी सब्जियों की कीमत छू रही आसमान, गृहिणियां परेशान
इन दिनों हरी सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं. थोक मंडी के साथ लोकल बाजारों में भी हरी सब्जियों के दाम 2 गुना बढ़ गए. 50 रुपये प्रति किलो बिकने वाला टमाटर अब 100 के पार चला गया है, तो 100 रुपये प्रति किलो बिकने वाला धनिया पत्ता 200 रुपये किलो है. अदरख 200 रुपये किलो बिक रहा था, मगर अब 400 रुपय़े प्रति किलो पहुंच गया है. हरी सब्जियों के भाव में उछाल आने से निम्न व मध्य वर्गीय परिवार के लोग परेशान हैं. सब्जियों के बढ़े दाम से विक्रेता भी मुश्किल में पड़ गए हैं. उन्हें पहले की अपेक्षा दुकान सजाने में अधिक पूंजी लगानी पड़ रही है.
सब्जियों भाव में आया उतार-चढ़ाव
सब्जी के नाम – 15 दिन पहले – अभी
टमाटर – 50 – 100 से 120
सफेद पटल – 40 – 60
हरी मिर्च – 80- 120
धनिया पत्ता – 100 – 120
भिंडी – 30 से 40 – 50
बैगन – 40 – 60 से 70
पत्ता गोभी – 30 – 40
अदरक – 200 – 400
फूल गोभी – 30 से 35 – 50
शिमला मिर्च – 60 से 80 – 180
करेला – 60 से 65 – 80
खेक्सा – 80 – 120
सब्जियों के भाव से गड़बड़ हो गया बजट: मंजू देवी
सब्जी खरीदने बाजार पहुंची मंजू देवी कहती हैं कि सब्जियों के मूल्य में अचानक तेजी के कारण घर का बजट गड़बड़ हो रहा है. उन्होंने बताया कि वह साधारण परिवार की है. पति प्राइवेट कंपनी में जॉब करते हैं. बड़ी मुश्किल से घर का खर्च चलता है. पिछले सप्ताह भर से सब्जियों के मूल्य में वृद्धि ने घर का बजट गड़बड़ कर दिया है. वह बताती हैं कि विगत 3 दिनों से हरी सब्जियों को छोड़ आलू प्याज तथा सूखी सब्जियों से काम चला रही हैं.
अब सूखी सब्जियों पर ही रह गया भरोसा : नेहा साव
साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाली नेहा साव बताती हैं कि सावन से पहले ही सब्जियों के भाव आसमान छू रहे हैं. सावन में तो हरी सब्जियों की ओर देखना भी पसंद नहीं करेंगे. वह बताती हैं कि उनके घर में कुल 5 सदस्य हैं और कमाने वाला अकेला पति है, जो एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं. बहुत ही कम बजट में परिवार चलाना पड़ता है. वह भी फिलहाल आलू, प्याज और कुछ सस्ती हरी सब्जियों का उपयोग करने लगी हैं. उन्होंने कहा कि अब सूखी सब्जियों का ही उपयोग करेंगी.
अब दोगुनी पूंजी लगानी पड़ रही है: रमेश कुमार
पिछले 10 वर्षों से पुलिस लाइन स्थित चौक पर सब्जी की दुकान चला रहे रमेश कुमार बताते हैं कि मौसम के उतार-चढ़ाव के कारण हरी सब्जियों को अक्सर नुकसान पहुंचता है. आम लोगों को तो महंगाई की मार झेलनी पड़ती ही है, हम दुकानदारों को भी नुकसान उठाना पड़ता है, सब्जियों के सड़ने-गलने का नुकसान अलग है. महंगाई के कारण दुकान सजाने के लिए अब दोगुनी पूंजी भी लगानी पड़ रही है. ऊपर से डर लगा रहता है कि सब्जियां खराब न हो जाए.
हर मौसम में सहना पड़ता है नुकसान: रोशन गुप्ता
पिछले 8 वर्षों से सब्जी की दुकान चला रहे हैं रोशन गुप्ता का कहना है कि गर्मी हो या बारिश हर मौसम में सब्जियों का नुकसान सहना पड़ता है. दाम में उछाल आने के बाद से बिक्री लगभग 30 प्रतिशत तक घट गई है. ज्यादातर लोग आलू-प्याज तथा कुछ सस्ती सब्जियों की खरीदारी कर रहे हैं. महंगी सब्जियां 2 से 3 दिनों में नहीं बिकी तो इनके खराब होने का डर सताता रहता है. काफी जोखिम उठाकर दुकान चलानी पड़ती है.
घट गई है महंगी सब्जियों की खपत: मनोज कुमार
सब्जी विक्रेता मनोज कुमार बताते हैं कि बढ़ती महंगाई को देखते हुए सब्जियों का स्टॉक कम कर दिया है. क्योंकि अधिक पूंजी लगाने के बावजूद मुनाफा उतना नहीं होता. टमाटर, धनिया पत्ती, हरी मिर्च, भिंडी, बैगन, शिमला मिर्च तथा अदरक सहित कई अन्य कई महंगी सब्जियों की खपत घट गई है. लोग ऐसी सब्जियों से परहेज करने लगे हैं. अधिक स्टॉक नुकसानदायक साबित हो रहा है. इसलिए इन दिनों बहुत सोच समझ कर सब्जी खरीदनी पड़ रही है. अगर दो तीन दिन वह नहीं बिकी तो उसका खराब होना तय है. यह जोखिम भरा काम है.
गिरिडीह
कारोबार प्रभावित हुआ : बबलू
सब्जी विक्रेता बबलू ने बताया कि अचानक सब्जियों की कीमतों में आग लगने से पूरा कारोबार प्रभावित हुआ है. एक तरफ़ पूंजी दोगुणी से ज्यादा लगने लगी है. दूसरी तरफ दामों में उछाल आने से ग्राहक खरीदारी में कटौती करने लगे हैं. बढ़ी कीमतों को लेकर कई बार ग्राहक दुकानदारों से झगड़ने पर आमादा हो जाते हैं. अचानक बढ़ी कीमतों ने बाजार को बुरी तरह प्रभावित किया है. जरूरी खर्च निकालना मुश्किल हो गया है.
घर चलाना मुश्किल : नीतू देवी
गृहिणी नीतू देवी ने बताया कि महंगाई इतनी बढ़ गयी है कि घर चलाना ही मुश्किल हो गया है. सब्जियों की बढ़ी कीमतों ने किचन का बजट ही बिगाड़ कर रख दिया है. सब्जी खाना तो बंद नहीं कर सकते, इसलिए खरीदारी में कटौती करने को मजबूर होना पड़ रहा है.
हालत बहुत खराब है : फुलवंती
गृहिणी फुलवंती देवी ने कहा कि सब्जी खरीदने के लिए अब सोचना पड़ रहा है. आधा किलो की जगह पाव भर ही खरीदकर बच्चों को किसी तरह सब्जी परोस रहीं हैं. सीमित आमदनी वाले लोगों के लिए हालात ज्यादा बदतर हो गये हैं.
सब्जी के बढ़े भाव बढ़ने से बाजार गड़बड़ाया
मॉनसून के दस्तक से भले ही गर्मी से राहत मिली हो, लेकिन सब्जियों की कीमत में लगी आग ने लोगों का बजट गड़बड़ा दिया है. गिरिडीह जिले में सब्जी के दाम आसमान पर हैं. शहरी क्षेत्र में टमाटर 120 रुपए , गोभी 80 रुपए , परवल 30 रुपए , भिंडी 40 रुपए , नेनुवा 80 रुपए, अदरक 280 रुपए , मिर्च 120 रुपए और धनिया 300 रुपए प्रति किलो बिक रही हैं. सब्जियों के दाम बढ़ने से लोगों की परेशानी बढ़ गई है. सब्जी खरीदने में लोगों को काफी सोचना पड़ रहा है कि आखिर क्या खरीदा जाए कि बजट पर असर नहीं पड़े.
घाटशिला
टमाटर और मिर्ची के भाव ने किचन का बिगाड़ा जायका
घाटशिला में अचानक टमाटर, मिर्ची एवं धनिया पत्ती के भाव में उछाल आने से रसोई का जायका बिगड़ गया है. घाटशिला प्रखंड में सब्जी बाजार का भाव आसमान छू रहा है. टमाटर 160 रुपए प्रति किलो बिक रही है, जबकि हरी मिर्च भी पीछे नहीं है.
सब्जी के भाव
- टमाटर : 160 रुपए प्रति किलो
- पटल : 60 रुपए प्रति किलो
- गोबी : 60 रुपए प्रति किलो
- मिर्च : 200 रुपए प्रति किलो
- धनिया पत्ता : 200 रुपए प्रति किलो
- बरबटी : 100 रुपए प्रति किलो
- सहजन : 120 रुपए प्रति किलो
- लौकी : 40 रुपए प्रति किलो
- गजर : 50 रुपए प्रति किलो
बंगाल से नहीं आ रही सब्जियां : शंकर
घाटशिला के फुलडुंगरी चौक स्थित सब्जी दुकानदार शंकर सिंह ने बताया कि अचानक क्षेत्र में प्रचंड गर्मी और फिर बारिश होने की वजह से सब्जी को काफी नुकसान हुआ है. इससे पश्चिम बंगाल से आने वाली हरी सब्जियों की किल्लत हो गई है. एक सप्ताह पूर्व 2000 रुपए की पूंजी में दुकान चला लेते थे, परंतु अब 5000 रुपए की पूंजी में भी पूरी सब्जी नहीं मिल पाती है. बारिश के कम होने से उम्मीद है अगले कुछ दिनों में सब्जी के भाव में कुछ गिरावट हो सकती है.
अचानक वृद्धि से परेशान : बेबी
घाटशिला मुख्य बाजार की रहने वाली गृहिणी बेबी यादव ने कहा कि सब्जी के भाव में अचानक वृद्धि होने से रसोई का बजट ही बिगड़ गया है. बरबट्टी 100 रुपए किलो बिक रहा है. टमाटर एवं धनिया पत्ती की बात ही अलग है. धनिया पत्ती 200 रुपए प्रति किलो के आसपास बाजार में उपलब्ध है. ऐसे में कौन सी सब्जी खरीदे यह सोचना पड़ रहा है. सब्जियों के भाव इस कदर बढ़े हुए हैं कि बजट पर असर पड़ रहा है. इस समय लोग किसी तरह आलू ,प्याज और अन्य सस्ती सब्जियों से काम चलाना पड़ रहा है.
थाली से हरी सब्जी गायब : मौमिता
घाटशिला के दहीगोड़ा की रहने वाली मौमिता सरकार कहती हैं कि टमाटर, धनिया पत्ती एवं अन्य हरी सब्जियों के भाव बढ़ने से थाली से हरी सब्जी गायब होने लगी है. उन्होंने कहा कि एक सप्ताह पहले 40 रुपए प्रति किलो टमाटर बिक रही थी, जबकि हरी मिर्च 100 रुपए किलो बिक रही थी. अचानक ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है कि हरी सब्जियों की कीमतें आसमान छूने लगी है. इससे हम गृहिणियों का बजट बिगड़ गया है. समझ में नहीं आ रहा है कि इतनी महंगी सब्जी कब तक खरीदेंगे.
चाईबासा
लोगों को बहुत सोच समझ कर खरीदनी पड़ रही है सब्जी
पश्चिमी सिंहभूम का सबसे बड़ा बाजार चाईबासा का मंगला हाट है. यहां पश्चिम सिंहभूम के अलावा सरायकेला खरसावां के विभिन्न स्थानों से लोग खरीदारी करने पहुंचते हैं. अब बारिश होने के कारण सब्जियों के दाम आसमान छूने लगे हैं. टमाटर का भाव जहां 15 दिन पूर्व 30 रुपये किलो था, अब 90 रुपये हो चुका है. वहीं पटल का दाम 30 रुपये हो गया, जबकि गोभी 70 रुपए से अधिक प्रति किलो बिक रही है.इसी तरह अन्य सब्जियों के भाव भी बढ़े हुए हैं. लोगों को काफी सोच समझ कर सब्जी की खरीददारी करनी पड़ रही है. भाव बढ़ने से महिलाएं ज्याद परेशान हैं.
सब्जी के दाम आसमान छू रहे : श्वेता
चाईबासा सिकूरसाई निवासी श्वेता कुमारी ने कहा कि सब्जी के दाम आसमान छूने लगे हैं. शायद बारिश की वजह से यह स्थिति उत्पन्न हुई है. अचानक टमाटर के दाम बढ़ गए हैं. कहीं कहीं तो बाजार में टमाटर मिलना तक बंद हो गया है. इस मंहगाई को कंट्रोल करने की जरूरत है. अगर महंगाई इसी तरह रही तो घर चलाना मुश्किल हो जाएगा. करीब-करीब सभी सब्जियों के दाम दो से तीन गुना बढ़ गए हैं. इससे घर का बजट गड़बड़ा गया है. कुछ दिन पहले बाजार में कम कीमत पर सभी सब्जियां मिल जाती थी, पर अब ताजी सब्जियां नहीं मिल पा रही है.
कई घरों में हरी सब्जी बनना बंद : अंजू
चाईबासा की शिक्षिका सह गृहिणी अंजू बाला खाखा ने कहा कि जिस तरह से अचानक सब्जी के दामों में वृद्धि हुई है, इससे लोगों की कमर ही टूट गयी है. कई घरों में हरी सब्जी बनना बंद हो गया है. पिछले कुछ दिनों में कुंदरी 20 रुपये किलो मिलता थी. लेकिन अब उसकी कीमत 50 रुपये अधिक हो गयी है. इसके अलावा लगभग सभी सब्जियों के दर बढ़ गए हैं. इससे घर चलाना मुश्किल हो गया. बारिश के कारण सब्जियां खराब हो जा रही है. इसलिये सब्जियों की कीमत तो बढ़ी हुई है ही, वे ताजी भी नहीं मिल रही हैं.
सब्जी के भाव
सब्जी – रुपये प्रति किलो
टमाटर – 90 से 110
पटल – 30 से 40
गोभी – 70 से 80
मिर्च – 90 से 110
धनिया पत्ती – 120 से 140
बैंगन – 30 से 40
कुंदरी – 50 से 60
नींबू – 10 रुपये का 4
झींगी – 40 से 50
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