- प्रशासन ने किए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम
Ranchi : कुड़मी समाज ने 20 सितंबर से अनिश्चितकालीन 'रेल टेका डहर छेका' आंदोलन की घोषणा की है, जिसके कारण झारखंड, बंगाल और ओड़िशा में रेल यातायात प्रभावित होने की संभावना है. आंदोलन के मद्देनजर रेलवे प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए हैं.
क्या है आंदोलन की वजह
कुड़मी समाज को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग को लेकर यह आंदोलन किया जा रहा है. समाज का दावा है कि 1931 की जनगणना में उन्हें एसटी सूची में शामिल किया गया था, लेकिन 1950 में नई सूची में उनका नाम हटा दिया गया. समाज का आरोप है कि उनका नाम बिना किसी आधार के हटाया गया था और अब इसे सुधारने की मांग की जा रही है.
क्या है रेलवे प्रशासन की तैयारी
प्रमुख स्टेशनों पर अतिरिक्त बल तैनात किया जाएगा और धारा 144 लागू रहेगी. रेल परिचालन में बाधा डालने वालों को तत्काल गिरफ्तार किया जाएगा. फिलहाल ट्रेनों को रद्द या मार्ग परिवर्तित करने का निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन स्थिति पर नजर रखी जा रही है.
झारखंड में 40 रेलवे स्टेशनों पर आंदोलन का प्रभाव पड़ने की संभावना है, जिनमें प्रमुख स्टेशन मूरी, टाटीसिलवे, बड़काकाना और चक्रधरपुर शामिल हैं.
क्या है रेल टेका और डहर छेका का मतलब
स्थानीय भाषा में 'रेल टेका' का अर्थ है रेल रोकना, जबकि 'डहर छेका' का अर्थ है सड़क अवरुद्ध करना. इस प्रकार, 'रेल टेका डहर छेका' का अर्थ है रेल और सड़क दोनों को रोकना या अवरुद्ध करना. इसकी वजह है कि स्थानीय भाषा का उपयोग आंदोलनों और प्रदर्शनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह समुदाय को एकजुट करने और अपनी मांगों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने में मदद करता है.
आंदोलन की फैक्ट फाइल
• 2022 का आंदोलन: कुड़मी समाज के आंदोलन ने साल 2022 में जोर पकड़ा, जब कोरोना काल के बाद झारखंड के कई रेलवे स्टेशनों पर प्रदर्शन हुआ. यह आंदोलन 20 सितंबर को शुरू हुआ और लगभग 9 दिनों तक चला.
• 2023 का आंदोलन: साल 2023 में भी 20 सितंबर को आंदोलन शुरू हुआ, जो 7-8 दिनों तक जारी रहा.
• 2024 में रही शांति: साल 2024 में लोकसभा और विधानसभा के चुनावों के कारण आंदोलन नहीं हुआ.
• वर्तमान स्थिति: इस साल, आंदोलन ने दिल्ली के जंतर मंतर तक अपनी पहुंच बनाई है, जो इसके व्यापक प्रभाव को दर्शाता है.
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