Srinagar : कश्मीर से कश्मीरी पंडितों के पलायन पर बनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ इन दिनों काफी चर्चा में है. फिल्म को लेकर काफी विवाद भी मचा हुआ है. वहीं, जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों द्वारा दर्ज करवाए गए मामलों को खोलने की बात कही है. दरअसल, फिल्म ‘कश्मीर फाइल्स’ में दिखाए गए अत्याचारों और कश्मीरी पंडितों द्वारा 90 के दशक में दर्ज करवाई गई एफआईआर को लेकर बात करते हुए दिलबाग सिंह ने कहा, ‘अगर कोई खास बात सामने आती है तो हम उस पर ध्यान देंगे.’
बहस अब सड़क से उठकर संसद तक पहुंच गई है
कश्मीरी पंडितों को लेकर चल रही बहस अब सड़क से उठकर संसद तक पहुंच गई है. मंगलवार को संसद सत्र के दौरान भी इस मुद्दे पर चर्चा होती हुई नजर आई. दरअसल, संसद सत्र में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कान्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और बीजेपी आमने-सामने आ गए हैं. संसद से बाहर निकलते हुए जब फारुक अब्दुल्ला से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि उन्हें (बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार) एक आयोग नियुक्त करना चाहिए और यह उन्हें बताएगा कि कौन जिम्मेदार है … आप सच्चाई जानना चाहते हैं, आपको एक आयोग नियुक्त करना चाहिए.’
हालात देश को पहुंचा सकते हैं नुकसान : येचुरी
इससे पहले, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने सोमवार को कहा कि हाल में रिलीज हुई फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ ऐसे हालात पैदा कर रही है, जो देश की सामाजिक एकता और अखंडता को भारी नुकसान पहुंचा सकती है. येचुरी ने 23वें माकपा महाराष्ट्र राज्य सम्मेलन से इतर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि उनकी पार्टी 1990 में कश्मीरी पंडितों की पीड़ा पर बात करने वाली पहली पार्टी थी, उसके विधायक ने उस समय जम्मू कश्मीर विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया था. उन्होंने कहा कि कश्मीर के लोगों ने कश्मीरी पंडितों की संपत्तियों की रक्षा की है.
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