Ranchi: खनन कार्य के लिए कोल इंडिया और बीसीसीएल को आवंटित की गई वैसी जमीन जमीन, जिसमें खनन कार्य का काम पूरा हो चुका है, उस भूमि को राज्य सरकार वापस लेते हुए उस पर क्षतिपूरक वनरोपण कराएगी. सीएम ने इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति दी है. सीसीएल ने खनन और अन्य गतिविधियों के लिए लगभग 73967 हेक्टेयर भूमि ली है. बताते चलें कि भूमि अधिग्रहण के दौरान, अधिकांश मामलों में भूमि का स्वामित्व स्थापित नहीं होता है. यह मुआवज़े के भुगतान या प्रभावित परिवारों को पुनर्वास और पुनर्वास लाभ प्रदान करने के दौरान स्थापित होता है, जिनसे भूमि का कब्ज़ा प्राप्त होता है.
53 हजार एकड़ गैरमजरूआ भूमि का हो रहा है उपयोग
खनन या अन्य कार्य करने के एवज में कोयला कंपनियां राज्य सरकार को गैरमजरूआ जमीन के विरुद्ध सलामी (भूमि का मूल्य), लगान (रेंट) और सेस का भुगतान नहीं कर रही हैं. खान-खदानों के राष्ट्रीयकरण के समय कोयला कंपनियों को वर्ष 1973 में कोल बियरिंग एक्ट (सीबीए) के तहत जमीन दी गयी थी. कोयला कंपनियों ने अधिग्रहित की गयी रैयती भूमि के अलावा उसके पास की गैरमजरूआ जमीन पर भी खनन किया. कंपनियों द्वारा उस समय संबंधित अंचलों व उपायुक्त कार्यालयों में सामान्य आवेदन देकर केवल औपचारिकता पूरी की गयी.
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