Ranchi : 7 सितंबर को साल 2025 का दूसरा और आखिरी पूर्ण चंद्र ग्रहण लगने वाला है. चंद्र ग्रहण भारत सहित दुनियाभर के कई हिस्सों में दिखाई देगी. पंडित केसरीकांत पाठक के अनुसार, ग्रहण 7 सितंबर की रात 9:58 बजे शुरू होगा और 8 सितंबर की रात 1:26 बजे समाप्त होगा. इसकी कुल अवधि लगभग 3 घंटे 28 मिनट की होगी.
क्या होता है ब्लड मून
यह ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, यानी चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की छाया में आ जाएगा. इस स्थिति में सूर्य की रोशनी सीधे चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती, लेकिन पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुजरने वाली कुछ लाल और नारंगी रोशनी चंद्रमा तक पहुंचती है. इसी कारण चंद्रमा हल्के लाल या नारंगी रंग का दिखता है, जिसे ब्लड मून कहा जाता है.
भारत के अलावा कई देशों में आयेगा नजर
चंद्र ग्रहण भारत के अलावा एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, यूरोप, अंटार्कटिका, पैसेफिक और इंडियन ओसियन में भी पूर्ण रूप से देखी जा सकेगी. जबकि अमेरिका में केवल लाइव स्ट्रीम के माध्यम से देखा जा सकेगा.
सूतक काल दोपहर 1 बजे से लगेगा
पंडित केसरीकांत पाठक के अनुसार, भारत में चंद्र ग्रहण दिखाई देगा, जिस वजह से सूतक काल भी मान्य होगा. सूतक चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले लग जाता है. ऐसे में सूतककाल 7 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 57 मिनट पर शुरू हो जायेगा. सूतक के दौरान किसी भी तरह के धार्मिक कार्य नहीं किए जाते हैं. ऐसे में सारे मंदिर के पठ बंद कर दिए जाते हैं.
ग्रहण में ये काम करना वर्जित
हिंदू मान्यता के अनुसार, ग्रहण की अवधि में पूजा, भोजन, खाने-पीने, धार्लीय उपकरण (जैसे चाकू, कैंची), मूर्तियों का स्पर्श आदि वर्जित होते हैं. ग्रहण के दौरान घर से बाहर निकलने और धारदार औजारों का प्रयोग करने से बचना चाहिए.
गर्भवती महिलाओं को रखना चाहिए खास ख्याल
हिंदू मान्यता के अनुसार, ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिये. उन्हें नुकीले उपकरण, खाना पकाने जैसे कार्य करने से बचना चाहिए. साथ ही ग्रहण के दौरान भूलकर भी तुलसी का स्पर्श ना करें. हालांकि इस दौरान ध्यान, मंत्र और जाप का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि इस समय किए गए जप-तप का फल कई गुना अधिक मिलता है.
50 साल बाद बन रहा दुर्लभ खगोलीय संयोग
इस बार लगने वाला चंद्र ग्रहण कई ज्योतिषीय और धार्मिक संयोगों के कारण अत्यंत विशेष माना जा रहा है. पंचांग के अनुसार, इस बार के चंद्र ग्रहण पर 50 वर्षों के बाद शनि वक्री और गुरु (बृहस्पति) उदय एक साथ रहेंगे.
यह अद्भुत संयोग ग्रहण को अत्यंत प्रभावशाली और शुभ-अशुभ दोनों ही दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण बनाता है. इसके साथ ही, इस दिन भाद्र पूर्णिमा और पितृ पक्ष का भी शुभ संयोग बन रहा है. ऐसे में यह दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है.
ग्रहण के ज्योतिषीय योग
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चंद्र ग्रहण कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में लगेगा, जिसमें राहु चंद्रमा के निकट युति में रहेगा. वहीं, सूर्य और केतु कन्या राशि में स्थित होंगे. इस तरह के योग शास्त्रों में प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, तूफान या बादल फटने जैसी घटनाओं की संभावनाएं दर्शाते हैं.
विशेष रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में भूकंपीय गतिविधियों की आशंका बढ़ सकती है. इसके अलावा, वैश्विक राजनीति में भी कुछ अप्रत्याशित बदलाव या उथल-पुथल देखने को मिल सकती है.
किन राशियों के लिए लाभदायक
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से यह चंद्र ग्रहण कुछ राशियों के लिए सकारात्मक परिणाम लेकर आ रहा है.
- मिथुन राशि (Gemini) : यह ग्रहण मिथुन राशि वालों के लिए आर्थिक और करियर के क्षेत्र में शुभ संकेत दे रहा है. अटके हुए कार्य पूर्ण होंगे, कमाई के नए स्रोत मिलेंगे और करियर में उन्नति के योग बनेंगे.
- कर्क राशि (Cancer): कर्क राशि के जातकों के लिए यह ग्रहण रिश्तों और कार्यक्षेत्र में सुधार लेकर आएगा. पारिवारिक संबंध बेहतर होंगे, गलतफहमियां दूर होंगी और नए संपर्क भविष्य में लाभ देंगे.
- वृश्चिक राशि (Scorpio) : वृश्चिक राशि वालों के लिए यह ग्रहण किस्मत का दरवाजा खोल सकता है. करियर में ग्रोथ और तरक्की के योग, रुका हुआ पैसा वापस मिलने की संभावना और पुराने विवाद खत्म होंगे, सभी काम समय पर पूरे होंगे.
अगला चंद्र ग्रहण मार्च 2026 में
2025 का यह अंतिम चंद्र ग्रहण है. अगला चंद्र ग्रहण अब 3 मार्च 2026 को दिखाई देगा. इससे पहले भारत में चंद्र ग्रहण 28 अक्तूबर 2023 को घटित हुआ था, जो आंशिक ग्रहण था.
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