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क्या है स्टोरी लाइन
फिल्म में बुंदेलखंड के बागड़पुर में लड़कियां पसंद आने पर उन्हें पकड़कर ब्याह कर लिया जाता है. लोग इसे ‘पकड़वा शादी’ कहते हैं. इसमें आम तौर यह दिखता रहा है कि दबंग लोग पढ़े-लिखे अफसर लड़कों को किडनैप करके उनसे अपनी लड़कियों की शादी करा देते हैं. मगर बागड़पुर में लड़कियां शादी के लिए उठवाई जाती हैं. यह अपने आप में स्त्री-विरोधी आइडिया है. लोकल डॉन गुनिया शकील (Manav Vij) यहां अपने लोगों से लड़कियां उठवाता है. उसी के लिए काम करने वाले लोकल पत्रकार भंवरा पांडे (Rajkumar Rao) और कट्टानी कुरैशी (Varun Sharma) अमेरिकी रिपोर्टर की ‘पकड़वा शादी’ पर डॉक्युमेंट्री बनाने में मदद भी करते हैं. कहानी में ट्विस्ट यह है कि उठाई गई लड़कियों के शरीर में शादी के बाद चुड़ैल घुस जाती है.alt="" width="600" height="400" /> जब भंवरा और कट्टानी मिलकर रूही (Janhvi Kapoor) नाम की एक लड़की को उठा लाते हैं. दोनों ठिकाने पर पहुंचाने के बजाय रूही को जंगल में पहुंचा देते हैं. यहां पता चलता है कि रूही के जिस्म में अफजा नाम की लड़की की रूह है. रूही और अफजा मिलकर रूह-अफजा बनता है. लेकिन इससे दर्शक के दिल को ठंडक नहीं मिलती. अफजा कब रूही बन जाती है, रूही को पता नहीं चलता. और रूही जब अफजा बनती है तो दर्शक के दिल में कई सवाल पैदा हो जाते हैं. लेकिन इससे भी ज्यादा चौंकाने वाला सीन तब आता है, जब यह पता चलता है कि भंवरा रूही को दिल दे बैठा है. साथ ही कट्टानी का दिल रूही के जिस्म में रह रही अफजा पर आ जाता है. इस तरह चार आत्माओं के प्रेम का यह अनोखा ट्राईएंगल बन जाता है. इसे भी पढ़ें: प्रकाश">https://lagatar.in/prakash-javadekar-brainstorms-on-it-rules-2021-with-digital-news-publishers-association/36526/">प्रकाश
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सक्रिप्ट की वजह से नाकाम रही रूही
फिल्म की नाकामी की वजह इसकी स्क्रिप्ट है. जो कहानी बढ़ने के साथ ढीली पड़ती जाती है. हॉरर न तो कहानी में दिखता है और न रूही के अफजा बनने में. फिल्म के दूसरे हिस्से में कहानी पूरी तरह से ढलान पर आ जाती है. इक्का-दुक्का मौकों को छोड़ कर Rajkumar Rao प्रभावित नहीं कर पाते हैं.alt="" width="600" height="400" />

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