तीन-चार दिन पहले की घटना है. मध्यप्रदेश के सीधी जिले में पुलिस ने पत्रकारों को पकड़ा. उनके कपड़े उतरवाये. फोटो लिया. सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. यूट्यूबर पत्रकार पर आरोप था कि उसने भाजपा विधायक के खिलाफ खबर चलाई. पत्रकार कनिष्क तिवारी पुलिस के चंगुल से छूट तो गये. पर अब उनकी बेटी उनसे सवाल कर रही, जिसका जवाब उनके पास नहीं. हिंदी दैनिक प्रभात किरण ने उनकी पीड़ा को प्रकाशित किया है. हम उनकी पीड़ा को हू-ब-हू साभार प्रकाशित कर रहे हैं, आप भी पढ़ें… [caption id="attachment_286267" align="aligncenter" width="1200"]

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फोटो- सोशल मीडिया[/caption]
मेरी बच्ची पूछ रही कपड़े क्यों उतारे...पापा
"अगर सत्ता पक्ष के विधायक के खिलाफ कुछ बोला तो सिर्फ कपड़े ही नहीं उतारे जाएंगे, जान से मारा जा सकता है. जो कुछ हमने देखा है, भोगा है, वह सरकारी जुल्म की इंतहा थी. इतना सब होने के बावजूद कहीं से मदद नहीं मिली है. कोई आगे नहीं आया है. हमें घर छोड़कर भागना पड़ा है." कनिष्क तिवारी बोल रहे थे कि उन्होंने सीधी (मध्यप्रदेश) विधायक केदारनाथ शुक्ला के खिलाफ आवाज निकाली थी. जिसकी कीमत उन्होंने कपड़े उतरवाकर चुकाई है. सीधी पुलिस ने उनके साथ जो जुल्म किए हैं, उसको बयां करते तिवारी की आवाज लड़खराने लगती है. पुलिस ने जिनके कपड़े उतारे हैं, उनमें तिवारी भी हैं. जिनका बघेली में एमपी संदेश यूट्यूब चैनल है. डेढ़ लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं. लेकिन विधायक केदारनाथ शुक्ला को इनका बोलना पसंद नहीं है. तिवारी कहते हैं- सिर्फ मैं अकेला नहीं था. मेरे साथ मेरा कैमरामैन था. कुछ रंगकर्मी और आरटीआई कार्यकर्ता थे. एक कांग्रेसी भी था. सब को उठा लिया गया. पीटा गया. मेरे सिर के आधे बाल उखाड़ दिए गए. इतना जुल्म कि सहन करना मुश्किल था. जो पुलिस वाला आ रहा था, मार रहा था. हमें बोलने की इजाजत नहीं थी. जाते ही हमारे कपड़े उतार दिए गए थे. 18 घंटे हम बिना कपड़े के रहे हैं. विधायक के गुंडे थाना तक आ गए थे. वहां उन्होंने भी धमकी दी. बिना कपड़े वाले फोटो तो हमारी जमानत होते ही वायरल हो गए थे. लेकिन बात अब ज्यादा फैली है और कल से मैं घर छोड़ चुका हूं. क्योंकि पुलिस वाले ने मुझे बताया था कि तुम पर कई धाराएं लगायी जा सकती हैं. डरा हुआ हूं. घर से दूर हूं. कुछ भी हो सकता है. जिस तरह से मुझे पकड़ा गया था, ऐसा लग रहा था कि जिंदा नहीं छोड़ा जाएगा. कपड़ा उतारना तो छोटी बात है. जान से मारने की तैयारी थी. हमारे वकील के साथ बदसलूकी की गई और जब हम मेडिकल के लिए भेजा गया तो पुलिस के जत्थे साथ थे. ताकि हम कह ना सकें कि हमें मारा गया है. मेरी 10 साल की बच्ची मुझसे पूछ रही है- आपके कपड़े किसने उतारे और इस तरह का फोटो क्यों लिया गया. मैं उसे क्या जवाब दूं. अंदर से टूट चुका हूं. मेरे पास शब्द नहीं हैं. मेरा कसूर क्या था, सिर्फ यही ना, जो सच था, वह दिखाया. विधायक शुक्ला के खिलाफ कुछ लोग धरना दे रहे थे, जिसे मैं अपने कैमरामैन के साथ कवर करने गया था. वहां विधायक मुर्दाबाद के नारे लग गए. शुक्ला को लगा कि मैं इसे दिखाऊंगा. इसलिए उन्होंने मुझे भी थाने में बंद करा दिया. विधायक मुझसे पहले से खार खाते रहे हैं. वह फर्जी नर्सिंग कॉलेज चला रहे थे. जिसको मैंने दिखाया था. उसके बाद कॉलेज बंद हो गया था. तब मुझ पर झूठा मुकदमा लगा दिया गया था. ठीक है, छोटा शहर है, लेकिन क्या यहां पत्रकार होना गुनाह है. हमारा किसी के खिलाफ कोई एजेंडा नहीं है. लेकिन उन्हें (विधायक को) लगता है कि उनके खिलाफ कोई कैसे बोल सकता है. इसलिए मेरे साथ जुल्म हुआ. जुल्म अभी भी जारी है. किसी ने मेरी कोई मदद नहीं की है. [wpse_comments_template]
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