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चावल में केंद्र का ''कंकड़''

  •  आठ माह से एफसीआई राज्य सरकार को नहीं दे रहा चावल
  • बाहर से दो रुपये प्रति किलो महंगा चावल खरीद कर वितरित कर रही प्रदेश सरकार
  •  राज्य के खजाने पर पड़ रहा लाखों रुपये प्रतिमाह का अतिरिक्त बोझ
  •  ग्रीन राशन कार्ड धारकों को प्रतिमाह 5 किलो दिया जा रहा चावल
Pravin Kumar Ranchi : राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत राशन कार्ड से वंचित गरीब परिवारों के लिए झारखंड सरकार ने 15 नवंबर 2020 को एक रुपये प्रति किलो की दर से पांच किलो चावल (प्रति व्यक्ति) देने की योजना शुरू की थी. इसके तहत भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से प्रति लाभार्थी पांच किलो अतिरिक्त चावल खरीदा जाना था. शुरुआत में सब ठीक रहा लेकिन नवंबर 2022 में राज्य के चावल में केंद्र के ``कंकड़`` ने रोड़ा डाल दिया. एफसीआई ने अचानक चावल देने से इनकार कर दिया. इसके बाद राज्य सरकार को बाहर से दो रुपये प्रति किलो महंगे दामों पर चावल खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है. इससे राज्य सरकार के खजाने पर लगभग 20 लाख रुपये महीना अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है. पहले राज्य सरकार को 35 रुपये प्रति किलो की दर से चावल मिलता था लेकिन अब एक किलो चावल के लिए राज्य सरकार को 39 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. बता दें कि इस योजना के तहत राज्य सरकार की ओर से प्रदेश के 24802 परिवारों (ग्रीन राशन कार्ड धारक) को प्रतिमाह पांच किलो चावल प्रति यूनिट दिया जाता है.

केंद्र ने खींचा हाथ तो निकाले गए टेंडर

भारत सरकार द्वारा संचालित भारतीय खाद्य निगम की ओर से राज्य सरकार को ग्रीन राशन कार्डधारियों के लिए अनाज उपलब्ध कराने से अचानक इनकार करने के बाद राज्य में चावल वितरण योजना पर प्रतिकूल असर पड़ा. पर्याप्त आपूर्ति न होने के कारण गरीबों को चावल नहीं मिल सका. इसके बाद राज्य सरकार की ओर से टेंडर निकाल कर चावल खरीद प्रकिया पूरी की गई. तब जाकर फिर से राशन मिलना शुरू हो पाया.

क्या कहते हैं मंत्री रामेश्वर उरांव

झारखंड सरकार के खाद्य आपूर्ति मंत्री रामेश्वर उरांव ने बताया कि एफसीआई ने अचानक राशन देना बंद कर दिया था. इसके बाद राज्य सरकार ने टेंडर प्रक्रिया पूरी कर अनाज उपलब्ध कराना शुरू किया. सरकार 35 रुपये प्रति किलो की दर से चावल खरीद रही है. अब यही चावल 39 रुपये प्रति किलो पड़ रहा है. जिसमें पैकेजिंग और ट्रांसपोर्टिंग की लागत भी शामिल है.

कर्नाटक का भी यही हाल

कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस ने कर्नाटक की जनता से सत्ता में आने पर मुफ्त अनाज वितरण का ऐलान किया था. लेकिन कांग्रेस के सत्ता में आने पर एफसीआई ने अनाज उपलब्ध कराने में असमर्थता जता दी. इसके बाद कर्नाटक सरकार ने वहां की जनता को अनाज के बदले पैसे देने का ऐलान कर दिया.

एफसीआई को जानें

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) भारत सरकार द्वारा संचालित निकाय है. यह संसद द्वारा खाद्य निगम अधिनियम, 1964 के अधिनियम द्वारा गठित उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अधीन है. इसका काम सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत देशभर में खाद्यान्न वितरण राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए खाद्यान्नों के बफर स्टॉक को बनाए रखना और वितरण करना है.

योजनाओं को राजनीतिक चश्मे से देखती है भाजपा : दीपिका

महगामा से कांग्रेस विधायक दीपिका पांडे सिंह ने कहा कि केंद्र में भाजपा की सरकार है. वह गैर भाजपा शासित राज्यों में चल रही गरीबों के कल्याण की योजनाओं को राजनीतिक चश्मे से देखती है. कर्नाटक सरकार को भी एफसीआई ने अतिरिक्त अनाज देने से इनकार कर दिया है. हेमंत सरकार को गरीबों की चिंता है. इसलिए एफसीआई को अनाज देने से इनकार करने के बाद भी सरकार ने बाजार से अनाज खरीद कर ग्रीन राशन कार्ड के लाभुकों को अनाज दे रही है.

केंद्र के अड़ंगों के बाद भी दे रहे राशन : सुदिव्य

गिरिडीह से झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार ने कहा कि एफसीआई केंद्रीय खाद्य आपूर्ति मंत्रालय के अधीन है. विपरीत परिस्थितियों और केंद्र की भाजपा सरकार के तमाम अड़ंगों के बाद भी गरीबों तक राशन पहुंचाने का काम हेमंत सरकार कर रही है. राज्य सरकार ने एक वैकल्पिक व्यवस्था के तहत लोगों तक राशन पहुंचाने का काम किया है.

मुझे कोई जानकारी नहीं : संजय सेठ

रांची के भाजपा सांसद संजय सेठ ने कहा कि हमें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है कि एफसीआई ने राज्य सरकार को अनाज देना बंद कर दिया है. इसकी जानकारी लेकर आपको बताता हूं.

एफसीआई अनाज नहीं दे रहा, मुझे नहीं पता : सीपी सिंह

ग्रीन राशन कार्ड धारकों के लिए एफसीआई की ओर से अतिरिक्त अनाज दिया जा रहा है अथवा नहीं, इसकी मुझे कोई जानकारी नहीं है. केंद्र की ओर से पांच किलो राशन दिया जा रहा था. इसकी तो जानकारी है.

किस जिले में कितने लाभार्थी

जिला                   परिवार                   सदस्य बोकारो                  1617                        29443 चतरा                   904                       17853 देवघर                    995                          20289 धनबाद               1618                       40169 दुमका                 1038                          19939 पूर्वी सिंहभूम      1426                       30241 गढ़वा                 950                           19441 गिरिडीह           1948                       31135 गोड्डा                  1087                         18906 गुमला              726                        12484 हजारीबाग          1381                         20636 जामताड़ा           624                       12409 कोडरमा            596                            9976 लातेहार             556                          9976 लोहरदगा           396                           7825 पाकुड़               676                       14454 पलामू                 1564                           28053 रांची                 2132                          33046 साहिबगंज          957                             16022 सरायकेला        743                           17267 सिमडेगा            485                              7449 प. सिंहभूम         1213                       29512 खूंटी                    514                             9291 रामगढ़             656                             11215 कुल                  24802                              466591 इसे भी पढ़ें – रात">https://lagatar.in/court-sitting-at-night-teesta-setalvad-gets-relief-from-supreme-court-stay-on-high-courts-order/">रात

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