New Delhi : भारत निर्वाचन आयोग ने डुप्लिकेट मतदाता पहचान पत्र (ईपीआईसी) नंबरों की समस्या को तीन महीने में सुलझाने का निर्णय लिया है. यह कदम मतदाता सूची को अपडेट करने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए उठाया गया है.
आयोग ने बताया कि भारत की मतदाता सूची दुनिया का सबसे बड़ा डेटाबेस है, जिसमें 99 करोड़ से अधिक मतदाता पंजीकृत हैं. हर साल आयोग मतदाता सूचियों को अपडेट करने के लिए विशेष संशोधन अभ्यास करता है, जो अक्टूबर से दिसंबर तक चलता है, और अंतिम सूची जनवरी में जारी की जाती है. हाल ही में संपन्न इस प्रक्रिया के लिए सूची 7 अगस्त, 2024 को जारी की गयी थी, जबकि अंतिम सूची 6 से 10 जनवरी 2025 के बीच प्रकाशित की गयी थी.
आयोग ने बताया कि प्रत्येक मतदान केंद्र पर एक बूथ स्तर का अधिकारी नियुक्त किया जाता है, जो मतदाता पंजीकरण की प्रक्रिया में मदद करता है. राजनीतिक दलों को भी बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) नियुक्त करने का अधिकार है, जो मतदाता सूची की जांच में सहायता करते हैं. सभी बीएलए को संबंधित बूथ की सूची को सत्यापित करने और किसी भी समस्या की शिकायत दर्ज करने का अधिकार होता है. बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) घर-घर जाकर मतदाता जानकारी की जांच करते हैं और फिर इसे ईआरओ (निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी) को सौंपते हैं.
इन सभी प्रक्रियाओं के बाद, ड्राफ्ट मतदाता सूची को वेबसाइट पर प्रकाशित की जाती है और राजनीतिक दलों व जनता के लिए उपलब्ध कराया जाता है. सत्यापन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही अंतिम सूची जारी की जाती है. यदि किसी को आपत्ति होती है, तो वह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 के तहत जिला कलेक्टर या कार्यकारी मजिस्ट्रेट के पास अपील कर सकता है.