Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) आम लोगों को न्याय व अपराधियों को सजा दिलाने में व्यस्त रहने वाले धनबाद के अभियोजन पदाधिकारी खुद सुविधाओं से दूर हैं. अदालत में न तो उन्हें ढंग की बैठने की जगह मिली है और न ही न्यायिक कार्यों को निपटाने का माहौल है. सिविल कोर्ट में कुल 46 अदालतों में सिविल जज के 36 और दस जिला एवं सत्र नयायालय हैं. अभियोजन का पक्ष रखने के लिए 10 अभियोजन पदाधिकारी हैं. इनमें पांच अपर लोक अभियोजक एवं पांच सहायक लोक अभियोजक श्रेणी के पदाधिकारी हैं.
एक सरकारी वकील पर 4 हजार 6 सौ मुकदमों का बोझ
एक सरकारी वकील चार पांच अदालतों में लंबित मुकदमों का बोझ उठाने को विवश हैं धनबाद सिविल कोर्ट में जुलाई माह तक अपराध के कुल 46 हजार 509 मुकदमे लंबित हैं. हिसाब लगाया जाए तो एक सरकारी वकील पर 4 हजार 6 सौ मुकदमों का बोझ है. अदालती काम सहजतापूर्वक निपटाने के लिए सुविधाएं नदारद हैं. जिस भवन में अभियोजन पदाधिकारी बैठते हैं, उसकी हालत जर्जर है. हाल के दिनों में कुछ रंग रोगन कराया गया है. गर्मी से राहत दिलाने से नाम पर कमरे में एसी तो लगाई गई है, जो चलती नहीं है.
बारिश के दिनों में दीवारों से रिसता है पानी
डिजिटल युग में भी धनबाद के अभियोजन पदाधिकारी सारे काम कागज-कलम से निपटाते है. न तो उनके कार्यालय में कंप्यूटर है और ना लैपटॉप. एक जेरोक्स मशीन है, जो मेंटेनेंस के अभाव में सही ढंग से काम नहीं करता. बैठने में दिक्कत हुई तो प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश राम शर्मा कोर्ट के एक कमरे में जगह दे दी है. अपर लोक अभियोजन श्रेणी के पदाधिकारी सिविल कोर्ट के कमरे में बैठते हैं. शेष सहायक अभियोजन पदाधिकारी पुराने कार्यालय में बैठते हैं, जहां बारिश के दिनों में पानी रिसता है.
सुरक्षा की व्यवस्था भी नहीं, और न सहायक
प्रभारी लोक अभियोजन के कार्यालय को छोड़कर किसी लोक अभियोजक के पास कोई सहायक नहीं है. उन्होंने खुद अपने खर्च पर सहायकों को रखा है. लोक अभियोजकों की सुरक्षा भी एक बड़ा मुद्दा है. उनके जिम्मे हार्डकोर अपराधियों के मुकदमे हैं. कोर्ट में उनसे रू ब रू होना पड़ता है. परंतु सुरक्षा के लिए कोई अंगरक्षक नहीं मिला है. मुकदमों से संबंधित कागजात रखने के लिए सभी लोक अभियोजकों को एक-एक अलमीरा जरूर उपलब्ध कराया गया है, परंतु वह भी पर्याप्त नहीं है. एक आलमीरा में 4600 मुकदमों की फाइल को सहेज कर रखना भी दुष्कर कार्य है.
उपेक्षा का दंश झेल रहे ये पदाधिकारी : जितेंद्र कुमार
धनबाद बार एसोसिएशन के महासचिव जितेंद्र कुमार का कहना है कि यहां के अभियोजन पदाधिकारी घोर सरकारी उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं, ना तो उनके पास बैठने के लिए ढंग के कार्यालय हैं और न कार्यालय में आधारभूत सुविधाएं हैं.
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