Ranchi : झारखंड में सरना धर्म कोड और पेसा को लेकर पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हो गया है. झामुमो और कांग्रेस सरना धर्म कोड के मुद्दे पर भाजपा को घेरने की कोशिश कर रही हैं, जबकि भाजपा पेसा को लेकर झामुमो को निशाने पर ले रही है. राजनीति के गलियारों में इस बात की चर्चा हो रही है कि झामुमो जातीय जनगणना को दबाने के लिए सरना धर्म कोड का मुद्दा उठा रहा है. इसकी वजह बताई जा रही है कि जनगणना में आदिवासियों की जनसंख्या में कमी आने की संभावना है, जिसका सीधा असर सुरक्षित सीटों पर पड़ेगा.
चल रहा आरोप-प्रत्यारोप का खेल
- झामुमो और कांग्रेस पर भाजपा ने सरना धर्म कोड के नाम पर आदिवासियों को गुमराह करने का आरोप लगाया है.
- भाजपा का कहना है कि झामुमो और कांग्रेस आदिवासियों के हितों की अनदेखी कर रही है और उनके वोट बैंक की राजनीति कर रही है.
- झामुमो ने कहा है कि भाजपा आदिवासियों की वास्तविक समस्याओं से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है.
पेसा को लेकर भाजपा ने छोड़ा नया शिगूफा
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि हेमंत सोरेन सरकार पेसा लागू नहीं कर आदिवासी विरोधी होने का प्रमाण दे रही है. भाजपा का तर्क है कि पेसा आदिवासी हितों के लिए बनाया गया कानून है, लेकिन झामुमो सरकार इसे लागू नहीं करना चाहती है.
किस दल पर क्या लग रहा आरोप
- कांग्रेस पर आरोप है कि उसने आजादी के बाद जनगणना में आदिवासियों के लिए अलग कॉलम का प्रावधान नहीं किया.
- भाजपा शुरू से ही आदिवासियों को हिंदू धर्म का ही एक पंथ मानती रही है.
- झामुमो ने सरना धर्म कोड के मुद्दे पर अपना रुख बदला है, जब केंद्र में भाजपा की सरकार बनी तो उसने इस मुद्दे को उठाना शुरू किया.