Chaibasa / Hat Gamharia : पश्चिमी सिंहभूम के स्कूलों की जर्जर स्थिति तो आम बात है. लेकिन वैसे स्कूल जहां से विद्यार्थी विधायक और मंत्री तक बन गए, उन स्कूलों की हालत भी खस्ता है. उस स्कूल का विद्यार्थी होने के नाते भी उन विधायक और मंत्री की नजर उस पर नहीं गई. बच्चे यहां पर मौत के मुंह में रहकर पढ़ाई करते हैं. कभी भी जर्जर भवन ढह सकता है. यह मामला 135 साल से अधिक का इतिहास संजोए पश्चिम सिंहभूम के हाट गम्हरिया प्रखंड के ठक्कर बापा उच्च विद्यालय डुमरिया का है. लगातार जिला प्रशासन के आग्रह के बावजूद भी स्कूल का जर्जर भवन ठीक नहीं किया गया है. स्कूल 71 वर्षों से एक ही भवन में चल रहा है. अब भी खपरा का भवन है. बारिश के दिनों में पूरा कमरा पानी-पानी हो जाता है. स्थानीय विधायक से भी कई बार भवन निर्माण कराने को लेकर पत्राचार किया गया है लेकिन भवन का निर्माण नहीं हो पाया.
ठक्कर बापा उच्च विद्यालय डुमरिया का इतिहास
ठक्कर बापा उच्च विद्यालय डुमरिया के इतिहास की बात करें तो इस विद्यालय की स्थापना इस क्षेत्र के पूर्वज के सूझबूझ, सहयोगात्मक एवं मजबूत संगठनात्मक क्षमता का प्रतिफल है. अपने क्षेत्र के लोगों को शिक्षित करने के उद्देश्य से महती मानकी एवं घोनों मास्टर के प्रयास से 1875 में प्राइमरी स्कूल से मिडिल स्कूल बना. सन 1885 ई में डीसी चाईबासा के समक्ष महती मानकी ने इच्छा व्यक्त की. कहा कि जमीन भी देंगे और सहयोग राशि भी दे सकते हैं. महती मानकी की मांग के अनुसार डीसी ने मंजूरी दी. चक्रधरपुर मिशन इंग्लिश मिडिल स्कूल को उठाकर डुमरिया लाया गया. महती मानकी इस विद्यालय के सलामी के रुप में 80 रुपए दाखिल करता था. ग्रामीणों की ओर से 500 रुपए जमा किये गये. सन 1950 ई में सभी मिडिल स्कूल की जगह हाई स्कूल खोलने का प्रयास किया गया. जगन्नाथपुर, असुरा, चिटीमिटी, खूंटपानी के पुर्णिया में हाई स्कूल खुल गया. यह देखकर डुमरिया के ग्रामीणों, जनता, जामदार मानकी, कोयों रासीका मानकी, खडबंद शिवचरण मानकी डुमरिया में हाई स्कूल खोलने के लिए पूरे तन-मन-धन से प्रयास किए. पहली कार्यकारी समिति बनी, कुंडिया मुंडा सभापति, रासीका मानकी ( खैरपाल ) मंत्री और जुमल सिंह मुंडा ( होबलकाण्ड ) खजांची बने. 1950 ई में आठवीं तक की क्लास खुली. हाई स्कूल की नींव तत्कालीन राजस्व मंत्री कृष्णा बल्लव सहाय के द्वारा 12 मार्च 1950 को रखा गया था. तत्कालीन जिला उपायुक्त बालेश्वर प्रसाद, एडीसी नागेश्वर प्रसाद ( भारतीय प्रसाशन सेवा ), कोल्हान अधीक्षक करीम ने कोल्हान निधि से 2000 रुपये मंजूर किये.
बिना रॉयल्टी के पत्थर से बनाया स्कूल
बिना रॉयल्टी के पत्थर लाने का आदेश जारी हुआ. कुछ दिन बाद बिहार सरकार द्वारा ठक्कर बापा योजना से 20,000 रुपए स्कूल भवन के निर्माण के लिए मिला. विद्यालय भवन निर्माण का कार्यभार प्रबंधन कार्यणी समिति ने लिया. इस विद्यालय की मंजूरी स्कूल निरीक्षक छोटानागपुर प्रमंडल रांची एनके ठाकुर और शिक्षा अधीक्षक जमशेदपुर के अब्राहम के निरीक्षण के बाद मिला. स्कूल भवन निर्माण के समय जिला वार्ड चेयरमैन सामू चरण तुबिद, एमएलए अंकुर हो दोराईबुरु और मुकुंद राम तांती, एमपी कानू राम देवगम आदि लोगों का योगदान रहा है. इस तरह ठक्कर बापा हाई स्कूल डुमारिया का निर्माण हुआ. विद्यालय से पढ़कर शिक्षक, नौकरशाह और विधायक वगैरह भी बने. इसमें पूर्व मंत्री बड़कुवांर गागराई और चाईबासा के विधायक दीपक बिरुवा भी पढ़ चुके हैं. इनसे काफी उम्मीद है. लेकिन टक्कर बापा कुमारिया उच्च विद्यालय डुमरिया अपनी बदहाली का रोना रो रहा है. विद्यालय भवन के जीर्णाेधार के साथ विद्यालय में शिक्षकों का भी अभाव है. इस स्कूल में लगभग 300 से अधिक विद्यार्थी की पढ़ाई होती है लेकिन शिक्षकों की भारी कमी है.