न्यू मीडिया बहुत तेज और व्यापक, पर इसे अपनी विश्वसनीयता और बढ़ानी होगी
Ranchi : स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन रांची विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय विमर्श ’जोहार’ के दूसरे दिन फिल्म, पत्रकारिता, न्यू मीडिया, टीवी, रेडियो जैसे क्षेत्रों के एक्सपर्ट्स ने छात्रों को अपने विचारों से अवगत कराया और कैरियर के लिये कई टिप्स भी दिये. मुबंई यूनिवर्सिटी, रांची यूनिवर्सिटी, जेवियर कॉलेज, आरकेडीएफ यूनिवर्सिटी के छात्रों ने एक्सपर्ट से कई सवाल पूछे, जिनका उत्सुकता से उन्होंने संतोषजनक जवाब दिये.
क्या बोले एक्सपर्ट
सबसे पहले झारखंड के युवा और चर्चित पत्रकार शनि शारद ने छात्रों को न्यू मीडिया की चुनौतियों और भविष्य पर बहुत ही रूचिकर जानकारियां दी. शनि शारद ने कहा कि वैश्विक और तीव्र माध्यम होने के कारण आज वेब जर्नलिज्म सबसे सफल मीडिया है, लेकिन इसे अपनी विश्वसनीयता भी बनानी होगी. शनि शारद ने कहा कि पत्रकारिता सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी भी है. हमें खबरों के पीछे की खबरों तक जाना चाहिये.
झारखंड के वरिष्ठ पत्रकार एनके. मुरलीधर ने छात्रों को रूचिकर तरीके से पत्रकारिता एवं पत्रकारों के ऊपर देश समाज की जिम्मेदारी से रू-ब-रू कराया. सभागार में छात्र एनके मुरलीधर की बातों से बहुत ही प्रभावित दिखे और उनकी बातों को बहुत ही गौर से सुने.
पत्रकार श्रेयसी मिश्र ने छात्रों को बताया कि अखबार की भाषा पर लोग भरोसा करते हैं और इससे सीखते हैं, इसलिये प्रिंट मीडिया में भाषायी शुद्धता बनाये रखनी चाहिये. उन्होंने प्रिंट मीडिया की चुनौतियां विषय पर अपने विचार रखते हुये कहा कि आज अखबारों के सामने चुनौतियां तो है, पर यह और निखर कर सामने आयेगा. प्रिंट ने टीवी रेडियो जैसी चुनौतियों को सफलता से पार किया है.
पर्यावरण पत्रकार एवं मास कॉम के शिक्षक मनोज कुमार शर्मा ने पर्यावरण पत्रकारिता की आवश्यकताओं पर प्रकाश डाला और कहा कि पर्यावरण पत्रकारिता में युवाओं को आना चाहिए. इस विषय को रूचिकर नहीं मान कर कम युवा पत्रकार इस क्षेत्र में आते हैं, पर यह आज की वैश्विक आवश्यकता है.
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प्रो. अनीता सिंह ने अंग्रेजी साहित्य की विधाओं पर प्रयास डाला और कहा कि साहित्य समाज को गढ़ता है.
संतोष किड़ो ने स्टोरी टेलिंग के बारे में छात्रों को बताया और कहा कि यह पीढ़ी दर पीढ़ी संचार का माध्यम होने के साथ ही सत्य के प्रसार का भी माध्यम है. इसकी विधा को जानने के बाद ही हम एक अच्छी किताब लिखते हैं या फिल्में बनाते हैं.
आकाशवाणी और दूरदर्शन के पूर्व निदेशक डॉ. पीके झा ने भी छात्रों को संबंधित विषय की कई सटीक जानकारी दी.
सबा इकबाल ने न्यू मीडिया, फिल्म निर्माण तथा वर्तमान पत्रकारिता पर अपने विचार रखे.
प्राध्यापक सुधीर मिश्र ने फिल्म और राष्ट्रीयता पर अपने विचार व्यक्त किये, वहीं प्रज्ञा शुक्ल ने साहित्य और फिल्म के बीच संबंध तथा साहित्यिक फिल्मों के निर्माण में कमियों और गुणों के बारे में बताया.
कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार कुंदन चौधरी ने फिल्म निर्माण, फिल्म आलोचना तथा फिल्म निर्माण पर छात्रों को कई महत्वपूर्ण बातें बतायीं. इस राष्ट्रीय विमर्श में शिक्षक संकर्षण परिपूर्णन ने साहित्यिक पत्रकारिता पर अपने विचार व्यक्त किये और छात्रों को शुभकामनाएं दी.
एक्सपर्ट्स के विचारों के बाद छात्रों को झारखंड के युवा फिल्मकार एनपीके की फिल्म ’बांधा खेत‘ दिखाया गया. जिसे छात्रों ने बहुत ही रूचि से देखा.
इस अवसर पर मास कॉम विभाग के निदेशक प्रो. डॉ. बी.पी. सिन्हा, उपनिदेशक डॉ. विष्णु महतो, शिक्षक संतोष उरांव, पूजा उरांव, केइएस श्राफ कॉलेज के शिक्षक आशीष रिछार्या और युवती नंदू सहित सैकड़ों छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे. कार्यक्रम का संचालन छात्रा अंशिता सिंह ने किया.
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