Ranchi: 9 जुलाई को श्रम संहिताओं के खिलाफ देशभर में वाम दलों द्वारा भारत बंद बुलाया गया था, झारखंड में भी सत्तारूढ़ दलों ने वाम दलों के साथ मिलकर इसका समर्थन किया. बावजूद इसके राज्य सरकार कानूनों को सरलीकृत करने की दिशा में आगे बढ़ रही है.केंद्र सरकार द्वारा देश के 29 पुराने श्रम कानूनों को चार नए श्रम संहिताओं (कोड्स) में समाहित करने के बाद अब झारखंड सरकार भी इसी दिशा में कदम बढ़ा रही है. राज्य सरकार 15 से अधिक पुराने श्रम कानूनों को चार नई नियमावलियों (रूल्स) के तहत समाहित कर लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है.
प्रस्तावित चार नियमावलियों में पहला ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन (झारखंड), दूसरा इंडस्ट्रियल रिलेशन (झारखंड), तीसरा वर्कर्स वेजेस (झारखंड), चौथा सोशल सिक्योरिटी (झारखंड) में बांटा जायेगा.इन चारों नियमावलियों का उद्देश्य संगठित और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को अधिक संरक्षित, सुरक्षित और सम्मानजनक कार्य वातावरण उपलब्ध कराना है.
राज्य सरकार की तैयारी
श्रम, नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग ने चारों नियमावलियों के प्रारूप तैयार कर विधि विभाग को भेज दिए हैं. विधि विभाग से स्वीकृति के बाद इन्हें राज्य कैबिनेट में प्रस्तुत किया जाएग. वर्ष 2021 में इन नियमावलियों के मसौदे को अधिसूचित कर आम जनता से सुझाव और आपत्तियां मांगी गई थी.
1. सोशल सिक्योरिटी (झारखंड) नियमावली: इस नियमावली के माध्यम से श्रमिकों को बीमा, पेंशन, ग्रेच्युटी, मातृत्व लाभ, अंत्येष्टि सहायता जैसी सामाजिक सुरक्षा सेवाएं सुनिश्चित की जाएंगी.
इसमें निम्नलिखित कानूनों को मर्ज किया जाएगा
• झारखंड कर्मकार प्रतिकर नियमावली, 1924
• झारखंड प्रसूति सुविधा नियमावली, 1964
• उपदान संदाय नियमावली, 1972
• भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार नियमावली, 2006
• असंगठित कर्मकार सामाजिक सुरक्षा नियमावली, 2013
2. ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन (झारखंड) नियमावली: यह नियमावली श्रमिकों को कार्यस्थल पर सुरक्षित और स्वास्थ्यपूर्ण माहौल देने के लिए है. इसमें इन कानूनों को समाहित किया जा रहे.
• कारखाना नियमावली, 1950
• ठेका श्रम नियमावली, 1972
• अन्तर्राज्यीय प्रवासी श्रमिक नियमावली, 1980
• मोटर परिवहन कर्मचारी नियमावली, 2001
• बीड़ी और सिगार कर्मकार नियमावली, 1968
• भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार नियमावली, 2006
3. इंडस्ट्रियल रिलेशन (झारखंड) नियमावली:
यह नियमावली औद्योगिक विवादों की रोकथाम और समाधान के लिए है. इसमें ट्रेड यूनियनों को संगठित करने और कामगारों के अधिकारों की रक्षा को लेकर स्पष्ट प्रावधान होंगे. दो पुराने नियमावली इससे जोड़े जाएंगे:
• औद्योगिक विवाद नियमावली, 1961
• औद्योगिक नियोजन (स्थायी आदेश) नियमावली, 1947
4. वर्कर्स वेजेस (झारखंड) नियमावली:
इस नियमावली के माध्यम से श्रमिकों को न्यूनतम वेतन और समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जाएगा.
इसमें दो पुराने कानून शामिल किए जाएंगे
• मजदूरी भुगतान नियमावली, 1937
• न्यूनतम मजदूरी नियमावली, 1951