NewDelhi : 20 मार्च 1927 को बाबासाहेब अंबेडकर ने महाड़ सत्याग्रह के ज़रिए जातिगत भेदभाव को सीधी चुनौती दी थी. यह केवल पानी के अधिकार की नहीं, बल्कि बराबरी और सम्मान की लड़ाई थी. 98 साल पहले शुरू हुई हिस्सेदारी की लड़ाई जारी है. बता दें कि राहुल गांधी ने जाने-माने शिक्षाविद, अर्थशास्त्री, दलित विषयों के जानकार और तेलंगाना में जातिगत सर्वेक्षण पर बनी अध्ययन समिति के सदस्य प्रो सुखदेव थोराट से इस सत्याग्रह के महत्व पर चर्चा की.
20 मार्च 1927 को बाबा साहेब अंबेडकर ने महाड़ सत्याग्रह के ज़रिए जातिगत भेदभाव को सीधी चुनौती दी थी। यह केवल पानी के अधिकार की नहीं, बल्कि बराबरी और सम्मान की लड़ाई थी।
नेता विपक्ष श्री @RahulGandhi ने इस विषय पर जाने-माने शिक्षाविद, अर्थशास्त्री, दलित विषयों के जानकार और… pic.twitter.com/uZpcia9LVd
— Congress (@INCIndia) March 20, 2025
98 साल पहले शुरू हुई हिस्सेदारी की लड़ाई जारी है।
20 मार्च 1927 को बाबासाहेब अंबेडकर ने महाड़ सत्याग्रह के ज़रिए जातिगत भेदभाव को सीधी चुनौती दी थी। यह केवल पानी के अधिकार की नहीं, बल्कि बराबरी और सम्मान की लड़ाई थी।
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राहुल गांधी ने इस पूरी बातचीत को सोशल मीडिया पर साझा किया है
राहुल गांधी ने इस पूरी बातचीत को सोशल मीडिया पर साझा किया है. कहा कि उन्होंने प्रो. थोराट के साथ दलितों की शासन, शिक्षा, नौकरशाही और संसाधनों तक पहुंच के लिए अब भी जारी संघर्ष पर भी विस्तार से बातचीत की. समाज में शिक्षा, नौकरशाही और संसाधनों के लिए दलित समाज का संघर्ष अब भी जारी है, ये सामाजिक असमानता है
चर्चा के क्रम में सामने आया कि जातिगत जनगणना इसी असमानता की सच्चाई को सामने लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, जबकि इसके विरोधी इस सच्चाई को बाहर आने देना नहीं चाहते हैं. बाबासाहेब का सपना आज भी अधूरा है उनकी लड़ाई सिर्फ अतीत की नहीं, आज की भी लड़ाई है. हम इसे पूरी ताक़त से लड़ेंगे