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नये कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक रोक लगायी, चार सदस्यीय कमेटी का गठन

 NewDelhi : नये कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक रोक लगा दी है. साथ ही कोर्ट ने चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. जो कृषि कानूनों पर अपनी रिपोर्ट देगी. कमेटी में  शेतकारी संगठन के अनिल धनवटे,खाद्य नीति के जानकार डॉ प्रमोद कुमार जोशी.  कृषि एक्सपर्ट भूपिंदर सिंह मान औरकृषि विशेषज्ञ अशोक गुलाटी शामिल किये गये हैं इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों से तीखे सवाल पूछे. चीफ जस्टिस ने पूछा हमारे पास एक आवेदन है जिसमें कहा गया है कि प्रतिबंधित संगठन इस प्रदर्शन में मदद कर रहे हैं. क्या अटॉर्नी जनरल इसे मानेंगे या इनकार करेंगे. इसपर अटॉर्नी जनरल जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा, हमने कहा था कि प्रदर्शन में खालिस्तानियों की घुसपैठ है. इसपर कोर्ट ने कहा कि ऐसा है तो ऐसे में केंद्र सरकार कल तक हलफनामा दे.  जवाब में अटॉर्नी जनरल ने कहा कि हम हलफनामा व आईबी का रेकॉर्ड भी देंगे. इसे भी पढ़ें : ओरमांझी">https://lagatar.in/ormanjhi-murder-case-police-found-the-head-of-a-woman-severed-will-be-revealed-soon/17187/">ओरमांझी

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कमेटी इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा होगी

किसान संगठनों के वकील विकास सिंह ने कहा कि किसान प्रदर्शन स्थल से उस जगह जा सकते हैं जहां से प्रदर्शन दिखे. अन्यथा प्रदर्शन का मतलब नहीं रह जायेगा.   इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रामलीला मैदान या कहीं और पर प्रदर्शन के लिए पुलिस कमिश्नर से किसान इजाजत के लिए आवेदन दे सकते हैं ऐसा हम ऑर्डर करेंगे. चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने कहा कि कमेटी इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा होगी.  हम कृषि कानून को निलंबित करने की योजना बना रहे हैं, लेकिन अनिश्चितकाल के लिए नहीं. इसे भी पढ़ें : मल्टीनेशनल">https://lagatar.in/vedic-paint-of-khadi-india-will-challenge-multinational-companies-launching-today/17139/">मल्टीनेशनल

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पीएम क्यों नहीं करते बात

किसान संगठनों की तरफ पेश वकील एमएल शर्मा ने कहा कि किसानों ने कहा कि कई लोग बातचीत के लिए आये हैं लेकिन मुख्य व्यक्ति प्रधानमंत्री नहीं आये हैं। इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि हम पीएम को बातचीत करने के लिए नहीं कह सकते हैं. वह इस मामले में पार्टी नहीं हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि हम कानून की वैधता को लेकर चिंतित हैं.  साथ ही नागरिकों के जीवन और संपत्ति को लेकर भी चिंतित हैं. हम समस्या के समाधान की कोशिश कर रहे हैं.  हमारे पास एक शक्ति है कि हम कानून को निलंबित कर दें और एक कमिटी का गठन करेगे इसे भी पढ़ें : परेड">https://lagatar.in/parade-and-tableaux-will-be-celebrated-republic-day-cultural-program-canceled/17119/">परेड

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हम यह नहीं सुनना चाहते  कि किसान कमेटी के पास नहीं जायेंगे

चीफ जस्टिस ने कहा कि यह कमेटी सबकी सुनेगी. जिसे भी इस मुद्दे का समाधान चाहिए वह कमेटी के पास जा सकता है.  यह कोई आदेश नहीं जारी करेगा या आपको सजा नहीं देगा.  यह केवल हमें अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. उन्होंने कहा कि हम एक कमेटी का गठन करते हैं ताकि हमारे पास एक साफ तस्वीर हो.  हम यह नहीं सुनना चाहते हैं कि किसान कमेटी के पास नहीं जायेंगे हम समस्या का समाधान करना चाहते हैं.  अगर आप अनिश्चितकाल के लिए प्रदर्शन करना चाहते हैं तो आप ऐसा कर सकते हैं.

जल्दबाजी में नहीं बनाया किसानों का कानून : सरकार

केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है. सरकार ने इसमें कहा है कि कृषि कानूनों को जल्दी में पास नहीं किया गया. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह जाहिर करने की कोशिश की गयी कि कानून जल्दी में पास किया गया है, जबकि ऐसा नहीं है. सरकार ने कहा कि इन कानूनों के लिए दो दशक से बात चल रही थी. ये किसान फ्रेंडली कानून हैं.  केंद्र ने कहा कि देश भर के किसान इस कानून से खुश हैं, क्योंकि उन्हें ज्यादा विकल्प दिया गया है और उनका कोई अधिकार नहीं लिया गया है. किसानों के साथ लगातार गतिरोध खत्म करने की कोशिश की गयी है.

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