पिछले 11 महीनों में कुछ भी नहीं हुआ है
मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 192 के अनुसार राज्यपाल को निर्णय लेना होता है. पिछले 11 महीनों में कुछ भी नहीं हुआ है। हम और आदेश पारित नहीं करना चाहते हैं. कोर्ट को जवाब देते हुए मेहता ने कहा कि मैं आश्वासन देता हूं कि हम इस पर कुछ करेंगे. इस संबंध में किसी प्रकार का कोई दिशा-निर्देश पारित करने की आवश्यकता नहीं होगी. इसे भी पढें- पुणे">https://lagatar.in/raid-in-seven-places-in-the-pune-waqf-board-land-scam-the-department-comes-under-the-ministry-of-nawab-malik/">पुणेवक्फ बोर्ड जमीन घोटाला मामले में सात जगहों पर रेड, नवाब मलिक के मंत्रालय के अधीन आता है विभाग
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था - ईसी की राय को लेकर बैठे नहीं रह सकते हैं राज्यपाल
इससे पहले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मणिपुर के राज्य लाभ के मुद्दे पर बीजेपी के 12 विधायकों की अयोग्यता के संबंध में चुनाव आयोग की ओर से दी गई राय को लेकर बैठे नहीं रह सकते हैं. कोर्ट की यह टिप्पणी तब आई जब पीठ को बताया गया है कि राज्यपाल को अभी 13 जनवरी, 2021 को प्रस्तुत चुनाव आयोग की राय पर फैसला लेना है.लाभ के पद का है मामला
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट मणिपुर के करोंड से विधायक डीडी थैसी और अन्य की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें 12 विधायकों को इसलिए अयोग्य घोषित करने की मांग की गई थी कि वे संसदीय सचिवों के पदों पर हैं, जिसे `लाभ के पद` के समान माना जाता है. यह मामला साल 2018 में ही तुल पकड़ा था, जिसके बाद इस पर चुनाव आयोग की राय मांगी गई थी. चुनाव आयोग ने अपनी राय दे दी है लेकिन अभी तक विधायकों की अयोग्यता को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है. इसे भी पढें- 7th">https://lagatar.in/protest-against-disturbances-in-7th-jpsc-pt-result/">7thJPSC पीटी रिजल्ट में गड़बड़ी का विरोध, 16 नवंबर को चक्का जाम करेंगे अभ्यर्थी, देखें वीडियो
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