Sanjay Singh
अईसे तो पलामू राजनीति ला फरटाईल ग्राउंड हईए है, लेकिन ईहां के नेताजी लोगन भी कम चतुर-चालाक नहीं हैं. मौका देख के चौका लगावे में उस्ताद हैं ईहां के नेताजी लोगन. जेने नजर आईल फायदा, दन से ओने ही पलटा मार दीहिन. पलामू में दलबदलु नेताजी लोगन के बाहर रहल हैं. आब ईहां एगो रॉयल परिवार वाला नेताजी हैं, गोल मटोल धीरे से डोल. कभी उका इलाकवा में नक्सली सभे खूबे उत्पात मचाईले रहता था. गोल मटोल धीरे से डोल नेताजी भी कम या लेस नहींए रहलन. जब न तब नक्सलियन से पंगा लेते ही रहते थे. पंजा लड़वईया पार्टिया से राजनीति चमकावे में नेताजी के गॉडफादर लोगन ने खूबे मदद की थी. बिहारवाले नेताजी जेने-जेने घूरियाते थे, नेताजी उनके साथे घूरियाईत रहते थे. गोल मटोल धीरे से डोल नेताजी के आका लोगन ने जब कांग्रेस से पंगा लीहिस और अलगे पार्टिया बना लीहिस तो भला अपन कम और लेस वाले भइया जी कहां पिछवाते. जेने आका लोगन घुमाए लगे, ओनिये ई कम या लेस वाले नेताजी भी पीछे-पीछे लगल रहिन. दल बदल लीहिन, दलबदलु के लेवल भी लगा, लेकिन बिहारी आका अनवर बाबू के पीछे-पीछे लगले रहे. नेताजी के राजनीतिक नौचटंकियो में महारते हासिल है. चूंकि टिकृटिक घड़िया ब्रांड के ईकलौता राजकुमार बनल थे, तो जेने मन करता था, ओने ही लुढ़क लेते थे.
एक बार नेताजी तो अईसन काछिन की पूछिए मत. दरअसल ईहां यूपीए के सरकार बनल थी, लेकिन कोटा फुल न होवे के चलते गिर-पड़ा गई. ई समय गोल मटोल धीरे से डोल नेताजी ने तो अईसन नौटंकी कीहिन कि राजनीतियों के शरम आये लगीस, और आम लोगन के तो डॉक्टरों पर से विश्वास उठ गईस. अब का हुआ कि ईहा सरकार यूपीए वाला लोग मिलजुल कर बना लीहिस, गुरुजी के माथे सेहरा बांध दीहिस, लेकिन संख्या बल में कमे था. गोल मटोल नेताजी तो पहिले कह दीहिन की ऊ सपोर्ट करेंगे, लेकिन बाद में अईंगे-ढईंगी करे लगीन. नेताजी अईसन गायब हो गईन जइसे गदहवा से सिर से सिंग. एने सरकार बचावे ला जोर आजमाइश चल रहीस थे ओने नेताजी काछे लगीन, बेमारी के अईसन नाटकी कीहिन कि बीमारियों के लाज आवे लगीस. नेताजी हॉस्पिटलाइज हो गईन. अपोलो नामक एगाे बड़का अस्पताल में शरण में चल गईन. का जाने कौन-कौन झठकौली बेमारिया के बहाने बनाईले थे. माने पड़ेगा अस्पतलवा के डॉक्टर साहिब लोगन का. उहो लोग इनका आईसीयू में घुसिया दीहिस.. सीरियस बता दीहिस. वईसे बुरा न मानल जाओ, तो नेताजी के एगो भाइयो जी डॉक्टरें हैं, तो झुठकौली बेमारिया में मदद तो मिलिए न जाएगा. तो नेताजी के ओकरो लाभ मिलिए गईस. ओने गुरुजी खुदे पछुवा गईन, सरकार औंधे मुंह गिर गईस तो देखिए नेताजी के बीमारियो ठीक हो गईस. अवतरित हो गिये. लगे राजानीतिक चकल्लस काटे. तो पॉलिटिकल लाईफ में एगो झुठकौली बेमारी वाला नाटकवा करे के कारण भी खीबे चर्चा में रहिन. लेकिन खैर ई सभे नौटंकी तो अईसे भी राजनीति के एगो पार्टेहै न भाई. एकरा में जे जेतना पांरगत होई, ऊ ओतने आगे जाई.
खैर राजनीति में कब केकर भाग्य कुल जाए कहन न जा सकता है. गोल मटोल नेताजी के भी किस्मतवा चरचरा गईस. नेताजी के लाल बत्ती के सुख भोगे के मौका मिल गईस. नेताजी के तो मन के मुरादवे पूरा हो गईस. नेताजी चउवे पर चले लगे. लेकिन सत्ता सुख भोगे के चक्कर में गड़बड़ झाला में भी फंस गईन. पिर तो ढेरे परेसानी झेले पड़ गईस. परिवार के कई लोग केस -मकदमा झेले लगीस. लेकिन ई सब से पार पाईके नेताजी अपन राजनीतिक सफरवा में घड़िया टिकटिकाईले फिर रहीन थे. लेकिन अचानके घड़ियो में खराबी हो गईस. चाचा-भतीजा में छीना-झपटी होवे लगीस. जब भतीजा घड़िया लेले भाग गईस, तो चचा भी खिसिया गईन. लेकिन अपन झारखंडी घड़ी ब्रांड भी चच-भतीजा के लड़ाईया में भांप लीहिन कि कौन बरियार है. फिर का था, चचा के ठेंगा देखा के भतीजा संगे चल दीहिन. देख लीहिन कि ईहे रहे में फायदा है. अब चचा-भतीजा में छत्तीस का आंकड़ चल रहीस है, तो गोल मटोल नेताजी के बुझा गईस है कि अब घड़िया के टिक-टिक तो बंद होईबे करी. तो गोल मटोल नेजाती टिक-टिक घड़िया के फेंक के कमल खिलावे लगी चल दीहिन. अपन लग्गू-भग्गू से कह दीहिन-चला सखी कमल खिलावे. वईसे नेताजी अपन लाडलवा के भी साथे लेले घूरईत हैं. लाडला के भी राजनीति गुर सिखाईले हैं. देखिए कम के लेस वाले नेताजी का भविष्य चरचराता है या चरमारा कर भहराईए जाते है.
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