Ranchi : कुड़मी समुदाय का एसटी सूची में शामिल मांग के विरोध में राज्यभर के आदिवासी समाज 20 सितंबर को राजभवन के समक्ष धरना देंगे. यह कार्यक्रम सुबह 11 बजे से शुरू होगी. इसमें हजारों आदिवासी शामिल होंगे. यह पहली बार आदिवासी समाज एकजुट होकर कुड़मी समुदाय का विरोध करते दिख रहे है.
रांची में पहली बार हुए आदिवासी संगठन एकजुट
कुड़मी समुदाय द्वारा रेल टेका डहर छेका ऐलान के बाद आदिवासी समुदाय अपने स्तर पर विरोध करना शुरू कर दिया है. रांची में केद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की ने हजारों आदिवासी युवा के साथ में बाईक रैली निकालकर विरोध दर्ज कराया था.
वहीं, विभिन्न आदिवासी संगठनो ने भी सिरमटोली सरना स्थल और नगड़ा टोली सरना भवन में प्रेस कॉम्फ्रेस आयोजित कर कुड़मी समुदाय का एसटी मांग का विरोध करते दिखे.
आदिवासी समाज क्यों कर रहा है विरोध
आदिवासी समाज के लोगों ने कहा कि कुड़मी समुदाय बीसी वन के लोग है. आदिवासी समाज के आरक्षण के हड़पने के लिए कुड़मी आदिवासी समुदाय बनने का कोशिश कर रहे है. आदिवासी समुदाय के प्रतिनिधियो ने कहा कि कुड़मी शिवाजी का वंशज है.
निशा भगत ने कहा कि कुड़मी शिवाजी का वंशज हैं. भारत के प्रथम नागरिक आदिवासी है. आदिवासी बनाए नहीं जाते है. बल्कि आदिवासी जन्म से होते है.
जाने कब खारिज किए जा चुके है कुड़मी समुदाय का एसटी मांग
टीआरआई 2004 में कुड़मी समुदाय का एसटी मांग को आधारहीन बताया है और लोकुर कमेटी भी 1955 में कुड़मी समुदाय के एसटी सूची में शामिल मांग को खारिज कर चुका है.
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