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चुनाव से पहले ही विपक्ष में बड़े भाई -छोटे भाई का खेल शुरू

चुनावी जोड़-तोड़ 2024 आते-आते ऊंट किस करवट बैठेगा, कोई नहीं जानता

Nilay Singh Ranchi: 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर पूरे देश में राजनीतिक दल रणनीति बनाने में जुटे हैं. विपक्ष को एकजुट कर बीजेपी के खिलाफ लड़ने का प्रयास हो रहा है. लेकिन झारखंड में विपक्ष में टकराव देखने को मिल रहा है. बड़े भाई और छोटे भाई की भूमिका में बदलाव की कवायद शुरू हो गयी है. पिछले 4 जुलाई को हुई झामुमो की बैठक में ये फैसला लिया गया कि झामुमो 2024 के लोकसभा चुनाव में बड़े भाई की भूमिका निभाएगी . जबकि अब तक लोकसभा में ये भूमिका कांग्रेस निभाती आई है और विधानसभा में झामुमो को ज्यादा सीटें मिलती थीं, लेकिन झामुमो की बैठक के बाद केंद्रीय महासचिव विनोद पांडे ने कहा कि झामुमो अब पहले से ज्यादा मजबूत हुई है और परिस्थितियों में काफी बदलाव आया है, ऐसे में 2019 के फार्मूले मे पुनर्विचार की आवश्यकता है.

क्या था 2019 का फॉर्मूला

2009 में 7-4-2-1 का फार्मूला था, जिसमें 4 दल थे. कांग्रेस को 14 में 7 लोकसभा सीट मिली थी, झारखंड मुक्ति मोर्चा को 4, बाबूलाल मरांडी की तत्कालीन पार्टी झारखंड विकास मोर्चा को 2 और राष्ट्रीय जनता दल को 1 सीट मिली थी. मगर इस बार झामुमो अधिक सीटों की दावेदारी कर रहा है. इस बार राजद और वामदल भी एक- एक सीट की मांग कर रहे हैं ऐसे में लोकसभा की सीटों का बंटवारा होना अभी से ही मुश्किल लग रहा है.

हम एकजुट हैं: कांग्रेस

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता डॉ एम तौसीफ का कहना है कि विपक्षी एकता में कहीं कोई खतरा नहीं है . झामुमो की बैठक में कार्यकर्ताओं ने अपनी भावनाओं से पार्टी नेतृत्व को अवगत कराया है. सीटों का बंटवारा मिल बैठ कर होगा और हम सभी गठबंधन धर्म निभाएंगे. ये पहले से ही तय है कि लोकसभा में कांग्रेस और विधान सभा में झामुमो बड़े भाई की भूमिका में रहेगा और आगे भी यही पैटर्न रहेगा.

भाजपा को उम्मीद

इस पूरे प्रकरण में बीजेपी खुश है और मानती है कि विपक्ष की फूट का फायदा उसे लोकसभा के चुनावों में जरूर मिलेगा . बीजेपी के राज्यसभा सांसद और महामंत्री आदित्य साहू का कहना है कि झारखंड में विपक्षी एकजुटता स्वार्थ के लिए है और चुनाव से पहले अभी और भी कई चीजें देखने को मिलेंगी.

विपक्ष में दिखेगी झकझूमर

झारखंड के लिए 2024 इसलिए खास है कि इसी साल यहां लोकसभा के साथ साथ विधानसभा के भी चुनाव होने वाले हैं, जो दिसंबर में होते हैं इसलिए राजनीतिक दल फूंक फूंक कर कदम रख रहे हैं, लेकिन जिस तरह से गठबंधन के बीच में सीटों को लेकर झकझूमर चल रहा है उससे ये साफ है कि चुनाव से पहले कई दिलचस्प नजारे देखने को मिलेंगे. [wpse_comments_template]

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