Ranchi: नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के कुलपति एफिलिएटेड कॉलेज को मिली अनुदान की राशि में से 10 प्रतिशत कमीशन मांग रहे हैं. कमीशन की रकम देने से इनकार करने की वजह से वह एके सिंह कॉलेज के प्रबंधन को अलग-अलग तरीके से परेशान कर रहे हैं. कमीशन की शिकायत करने के बाद अनुदान की राशि कॉलेज को विमुक्त करने की प्रक्रिया शुरू करने की सूचना है.
एके सिंह कॉलेज की ओर से कुलपति दिनेश सिंह के खिलाफ शिकायत की गयी है. इसमें कहा गया है कि सरकार से कॉलेज के अनुदान के रूप में 96 लाख रुपये विश्वविद्यालय को दिया गया है. लेकिन कुलपति अनुदान की राशि कॉलेज को नहीं दे रहे हैं. कॉलेज प्रबंधन के साथ उभरे विवाद की मूल वजह अनुदान की राशि में कमीशन देने से इनकार करना है.
इस सिलसिले में की गयी शिकायत में कहा गया कि कुलपति ने एके सिंह कॉलेज के प्रिंसिपल को बुलाया था. कुलपति ने कॉलेज के लिए मिले अनुदान की राशि देने के लिए 10 प्रतिशत कमीशन की मांग की.
नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के कुलपति दिनेश सिंह (फाइल फोटो)
साथ ही यह भी कहा कि वह दूसरे कॉलेजों से भी अनुदान की राशि में से कमीशन दिलवायें. प्रिंसिपल द्वारा कमीशन देने से इनकार करने के बाद कुलपति ने प्रिंसिपल की योग्यता पर सवाल उठाया. इसके बाद प्रिंसिपल को हटा कर अपनी मर्जी से आनंद कुमार को प्रिंसिपल के पद पर नियुक्त करने का आदेश जारी कर दिया.
कॉलेज के गवर्निंग बॉडी के सचिव द्वारा कुलपति के इस काम पर आपत्ति दर्ज करायी. साथ ही गवर्निंग बॉडी की मीटिंग में इस मुद्दे पर फैसला करने के लिए 15 दिनों का समय मांगा. लेकिन कुलपति ने समय देने क बदले गवर्निंग बॉडी को ही भंग कर दिया. इसके बाद उन्होंने एक अस्थायी गवर्निंग बॉडी बना दी. बाद में उन्होंने कॉलेज के साइंस फेकल्टी के सत्र 2025-29 की मान्यता रद्द कर दी.
कुलपित पर अपनी मर्जी से विभिन्न पदों पर लोगों को नियुक्त करने की शिकायत भी की गयी है. इसमें कहा गया कि राज्यपाल के आदेश के आलोक में विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर रवि शंकर को परीक्षा नियंत्रक नियुक्त किया गया था.
दिनेश सिंह से जुड़े अन्य खुलासे
राज्यपाल के आदेश के आलोक में 1-10-2024 को आदेश जारी कर उन्हें एक साल के लिए इस पद पर नियुक्त किया गया था. लेकिन कुलपति ने इस समय सीमा से पहले अपने ही स्तर से डॉक्टर रवि शंकर को हटाकर डॉक्टर अजीत सेठ के परीक्षा नियंत्रक नियुक्त कर दिया. डॉक्टर सेठ की नियुक्ति के लिए 9-5-2025 को आदेश जारी किया गया.
मनमर्जी नियुक्ति के मामले में कहा गया है कि कुलपति ने अपने ही स्तर से डॉक्टर कुर्रतुल्लाह को वित्त अधिकारी के पद से हटा दिया. 26-6-2025 को एक आदेश जारी कर डॉक्टर विमल कुमार सिंह को वित्त अधिकारी के पद पर नियुक्त कर दिया. इस नियुक्ति के लिए भी उन्होंने राज्यपाल से अनुमति नहीं ली.
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