भारतीय मीडियाकर्मियों के साथ मारपीट, बदसलूकी को लेकर सोशल मीडिया, खास कर एक्स (ट्विटर) पर नेपाल से वीडियोज आ रहे हैं, वह हमारे लिए चिंता की बात है. मीडियाकर्मियों को निशाना बनाना गलत है. ऐसी घटनाओं की आलोचना होनी चाहिए. नेपाल की सरकार व वहां की पुलिस की जिम्मेदारी है कि भारतीय मीडिया को सुरक्षा दे. पर, यह सबी वक्त है, हमें यह सोंचना चाहिए इसके जिम्मेदार कौन हैं. शायद सबसे बड़े जिम्मेदार हम ही हैं. यानी मीडिया और मीडियाकर्मी.
नेपाल से जो वीडियोज आ रहे हैं, उसमें जो दिख रहा है, वह यह कि वहां के युवाओं में भारतीय मीडिया के खिलाफ जबरदस्त गुस्सा है. वहां की घटनाओं को कवर करने गए भारतीय मीडियाकर्मियों को वहां के लोग घेर ले रहे हैं. गोदी मीडिया बोल रहे हैं. गालियां दे रहे हैं. वापस लौटने को कह रहे हैं. बदसलूकी कर रहे हैं. यहां तक कि महिला पत्रकारों के साथ भी बदसलूकी के कुछ वीडियो हैं. कुछ वीडियोज में भारतीय मीडियाकर्मियों के साथ हुई मारपीट की घटना को भी देखा जा सकता है.
यह सही है कि नेपाल में भारत के मीडियाकर्मियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी वहां की सरकार और पुलिस की है. यह भी सच है कि भारत और नेपाल के साथ बेटी-रोटी का रिश्ता है. यह भी सच है कि नेपाल के युवाओं में अपनी सरकार के साथ-साथ भारत से भी नाराजगी है. जाहिर है भारत के मीडियकर्मियों से भी. लेकिन सुरक्षा की जिम्मेदारी जिनकी है, वह भी विफल हैं. यह भी याद रखिये, इन घटनाओं पर भारत सरकार ने अब तक कुछ भी नहीं किया है. आलोचना तक नहीं.
मीडियाकर्मियों से बदसलूकी, मारपीट, सरकारी सिस्टम का इस्तेमाल कर जेल भेजने की घटनाएं भारत में भी कम नहीं होती. पर, नेपाल में जो हो रहा है, वैसी शायद नहीं. इन हालातों के लिए जिम्मेदार कौन हैं. मुझे यह मानने में कतई झिझक नहीं है कि इसके लिए जिम्मेदार हम पत्रकार और मीडिया संस्थान के मालिकान व प्रबंधन ही हैं. मीडिया प्रबंधन का पूंजी के आगे झुकना. सत्ता की दलाली करना. सत्ता को खुश करने के लिए एजेंडा चलाना. आम लोगों को सही सूचना नहीं देना. आम लोगों की तकलीफ को दिखाने-बताने-लिखने के बदले सत्ता को खुश करने की लिए खबरें देना. सारे नहीं, पर बहुत सारे पत्रकारों का दलाली करना. ट्रांसफर-पोस्टिंग, दलाली जैसे कामों में लिप्त रहना. ये कुछ वजहें हैं मीडिया को इस हाल में पहुंचाने के लिए. इसलिए नेपाल में मीडियाकर्मियों के साथ जो हो रहा है, उसके सबसे बड़े जिम्मेदार हम ही हैं.
लेकिन ऐसा नहीं है कि सिर्फ मीडिया प्रबंधन और मीडियकर्मी ही जिम्मेदार हैं, जिम्मेदार आम लोग भी हैं. जिम्मेदार, हमारा समाज भी. समाज का हर तबका, जिसमें उद्योगपति, कोरोबारी, अफसर, राजनेता और आम लोग शामिल हैं, वो भी जिम्मेदार हैं. लोग खबरों के लिए कीमत अदा नहीं करना चाहते. फिर मीडिया संस्थान चलेगा कैसे? पूंजी कहां से आएंगे. तब संस्थान चलाने के लिए प्रबंधन सरकार या पूंजीपतियों आगे झूकने को मजबूर हो जाता है. जब उस संस्थान में काम करने वाला पत्रकार यह देखता है कि प्रबंधन यह सब कर रहा है, तो वह दलाली करने लगता है. सारे मीडियाकर्मी पत्रकार ऐसे नहीं हैं, पर बहुत सारे ऐसे हैं. हर राज्य, हर शहर में ऐसे पत्रकार मिल जाएंगे.
इन सबके बीच याद रखिये, सरकार, सिस्टम व कारपोरेट ना तो अच्छा मीडिया चाहता है, ना बुरा मीडिया, वह तो गुलाम मीडिया चाहता है. इसलिए इनसे उम्मीद नहीं कर सकते. इसलिए नेपाल जैसे हालात की जिम्मेदारी लेते हुए हमें ही खुद में और अपने पेशे में सुधार करने को लेकर विचार करना होगा.
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