Lagatar Desk : आज भारत समेत पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है. पूरी दुनिया में अबतक 15.83 करोड़ से ज्यादा लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं. इनमें से 32.96 लाख से ज्यादा लोगों की मौत भी हो चुकी है. रोज मरने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. लेकिन इस वायरस पर पिछले छह साल से ही शोध शुरू हो गया था. शोध भी इसे जैविक हथियार बनाने के लिए किया जा रहा था. और कोई नहीं, चीन ही ऐसा शोध कर रहा था. इसका खुलासा किया है ‘द वीकेंड ऑस्ट्रेलियन’ ने. इसने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि कोरोना वायरस 2020 में अचानक नहीं आया. चीन इसकी तैयारी 2015 से कर रहा था. चीन कोविड-19 वायरस को जैविक हथियार की तरह इस्तेमाल करने की साजिश रच रहा था. वह सार्स वायरस की मदद से जैविक हथियार बनाने की कोशिश कर रहा था.
जब भी जांच की बात उठती है चीन उससे पीछे हट जाता है, रिपोर्ट में उठाया गया सवाल
द वीकेंड ऑस्ट्रेलियन ने इस पर भी सवाल उठाया गया है कि जब भी वायरस की जांच करने की बात आती है तो चीन पीछे हट जाता है. इसकी रिपोर्ट के अनुसार, चीनी वैज्ञानिक और हेल्थ ऑफिसर्स 2015 में ही कोरोना के अलग-अलग स्ट्रेन पर चर्चा कर रहे थे. उस समय चीनी वैज्ञानिकों ने कहा था कि तीसरे विश्वयुद्ध में इसे जैविक हथियार की तरह उपयोग किया जाएगा. इस बात पर भी चर्चा हुई थी कि इसमें हेरफेर करके इसे महामारी के तौर पर कैसे बदला जा सकता है. ऑस्ट्रेलियाई साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट रॉबर्ट पॉटर ने बताया कि ये वायरस किसी चमगादड़ के मार्केट से नहीं फैल सकता. वह थ्योरी पूरी तरह से गलत है.
रिपोर्ट में किया गया दावा- हमारा रिसर्च एकदम सही है
चीनी रिसर्च पेपर पर गहरी स्टडी करने के बाद ऑस्ट्रेलियाई साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट रॉबर्ट पॉटर ने कहा- हमारा रिसर्च पेपर बिल्कुल सही है. ऑस्ट्रेलियाई मीडिया की इस रिपोर्ट को इस तरह से खारिज भी नहीं किया जा सकता. पिछले साल अमेरिका के तब के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कई बार सार्वजनिक तौर पर कोरोना को ‘चीनी वायरस’ कहा था. ट्रम्प ने तो यहां तक कहा था कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के पास इसके सबूत हैं और वक्त आने पर ये दुनिया के सामने रखे जाएंगे. अमेरिका में ब्लूमबर्ग ने पिछले दिनों एक रिपोर्ट में इस तरफ इशारा किया था कि अमेरिका इस मामले में बहुत तेजी और गंभीरता से जांच कर रहा है.