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Ranchi : झारखंड की अर्थव्यवस्था पर दुनिया का भरोसा और मजबूत होता जा रहा है. हाल ही में विधानसभा में पेश आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रवाह 2022-23 के 44 करोड़ से बढ़कर 2023-24 में 90 करोड़ रुपये हो गया है। यह वृद्धि मुख्य रूप से खनन, विनिर्माण और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में किए गए प्रयासों के कारण हुई है.
राज्य में औद्योगिक गलियारों का विकास भी तेजी से हो रहा है, जिसमें रांची-पतरातू रामगढ़ औद्योगिक गलियारा और एनएच 31 तथा 33 का कोडरमा-बहरागोड़ा गलियारा शामिल हैं. इसके अलावा, मेगा औद्योगिक पार्क और देविपुर औद्योगिक क्षेत्र जैसी परियोजनाएं राज्य की निवेश आकर्षित करने और रोजगार के अवसर पैदा करने के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं.
बुनियादी ढांचे में भी हुआ सुधार
झारखंड सरकार ने बुनियादी ढांचे और संचार क्षेत्रों में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जो समावेशी और सतत विकास के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है. राज्य के सकल राज्य मूल्यवर्धन (GSVA) में बुनियादी ढांचे का योगदान लगातार बढ़ रहा है, जो 2020-21 में 27.67 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 28.99 प्रतिशत हो गया है.
इसके अलावा, झारखंड का औद्योगिक प्रदर्शन ने भी लगातार वृद्धि दर्ज की है. 2017-18 में सकल राज्य मूल्यवर्धित (जीएसवीए) में उद्योग का हिस्सा 41.4 प्रतिशत था, जो 2021-22 में बढ़कर 43.5 प्रतिशत हो गया है. यह औद्योगिक योगदान झारखंड को कई अन्य राज्यों को पीछे छोड़ देता है.
पूंजी निर्माण और औद्योगिक उत्पादकता में हुई प्रगति
झारखंड ने पूंजी निर्माण, औद्योगिक उत्पादकता और सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम (एमएसएमई) के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण प्रगति की है, जो महामारी के बाद के मजबूत सुधार को दर्शाती है. 2022-23 में औद्योगिक उत्पादन में 26.85 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि सकल स्थिर पूंजी निर्माण में 81.99 प्रतिशत की उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की गयी.
महिला उद्यमशीलता को बढ़ावा देने में राज्य की भूमिका अहम
राज्य ने एमएसएमई क्षेत्र में महिला उद्यमशीलता को बढ़ावा देने में भी सफलता हासिल की है. झारखंड, भारत में सभी महिला स्वामित्व वाले एमएसएमई का 2.51 प्रतिशत हिस्सा रखता है. पारंपरिक उद्योगों के पुनर्जागरण के लिए विशेष फंड योजनाएं और हस्तशिल्प एवं रेशम उत्पादन जैसे क्षेत्रों में प्रयासों ने ग्रामीण उद्योगों को मजबूत किया है. इससे रोजगार के नये अवसर पैदा हुए हैं और पारंपरिक कौशल को संरक्षित किया गया है.