देवघर : 4 जुलाई मंगलवार से सावन का महीना प्रारंभ हो गया. इस साल का सावन कई मायनों में अतिविशिष्ट है. 19 साल बाद सावन के साथ पुरुषोत्तम मास लगा है. मालूम हो कि दो माह के बीच की अमावस्या से अमावस्या तक के समय को पुरुषोत्तम मास माना जाता है. इस वर्ष 18 जुलाई से 16 अगस्त तक पुरुषोत्तम मास रहेगा. इस महीने को पुरुषोत्तम अर्थात भगवान विष्णु का माह कहा जाता है. देवघर के वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित पंडित दुर्लभ मिश्र की मानें तो देवघर में पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वयं भगवान विष्णु ने की थी. ऐसे में इस वर्ष सावन और पुरुषोत्तम मास में बाबा का जलार्पण करने वालों को अतिविशिष्ट फल की प्राप्ति होगी, ऐसी पौराणिक मान्यता है.
सावन माह की दूसरी सोमवारी सर्वश्रेष्ठ
इस वर्ष सावन माह के पहले 15 दिनों के चरण में 2 सोमवार और दूसरे चरण में 2 सोमवार पड़ेगा. इसके बीच लगने वाला पुरुषोत्तम मास में 4 सोमवार पड़ेगा. इस दो माह के सावन में 8 सोमवार पड़ेगा, जिसमें सामान्य सावन माह में पड़ने वाली दूसरी सोमवारी 17 जुलाई को है, जो अतिविशिष्ट होगी. तिथि गणना के अनुसार इस दिन सूर्य और चंद्रमा का अतिदुर्लभ संयोग बन रहा है. इस दिन सोमवार, अमावस्या और संक्रांति तीनों एक साथ आया है. अमावस्या तो अमावस्या है, वहीं सोमवार यानी सोमवती संतान, सुख व धन को प्राप्ति के लिए उत्तम है, जबकि संक्रांति को शारीरिक अस्वस्थता से मुक्ति के लिए सर्वोत्तम माना जा रहा है. यही कारण है कि इस सावन माह की दूसरी सोमवारी को सर्वश्रेष्ट माना गया है.
सोमवती अमावस्या को करें भोलेनाथ की विशेष पूजा
संतान का सुख, आर्थिक उन्नति और शारिरीक अस्वस्थता से मुक्ति के लिए 17 जुलाई को विधि-विधान से भगवान शंकर की पूजा करनी चाहिए. इस दिन किसी भी शिवलिंग पर गंगा जल से जलाभिषेक करें. अगर आप घर पर इसका पूर्ण लाभ लेना चाहते हैं तो पहले आप अपने घर पर मिट्टी का पार्थिव शिवलिंग बनाएं, फिर उस शिवलिंग पर गंगाजल अर्पितकर बेलपत्र, पंचामृत स्नान, अबीर गुलाल, अक्षत, वस्त्र, मूल्य, फूल, बेलपत्र, नैवेद्य, फल, पान सुपारी आदि चढ़ाए. फिर धूप अगरबत्ती, कपूर आदि से आरती कर संध्या में पार्थिव शिवलिंग को विसर्जित कर दें. इस अनुष्ठान से दोगुना फल की प्राप्ति होती है.
यह भी पढ़ें: देवघर : श्रावणी मेला क्षेत्र में बेहतर व्यवस्था को लेकर राज्य सरकार गंभीर- बादल पत्रलेख
Leave a Reply