Pramod Upadhyay
Hazaribag : हजारीबाग से कोडरमा के लिए दो वक्त सुबह 7.30 बजे और शाम 7.00 बजे ट्रेन छूटती है. प्लेटफॉर्म पर अच्छे-खासे यात्री रहते हैं. लेकिन काउंटर से काफी कम टिकटें कटी रहती हैं. बिना टिकट के सफर कर रहे एक यात्री ने बताया कि टिकट कटाने की क्या जरूरत है. कोई चेक नहीं करता. कंडसार, नवादा, कटकमसांडी, पदमा, बरही आदि उतरनेवाले काफी कम यात्री ही टिकट कटवाते हैं. हालांकि इस बारे में स्टेशन से जुड़े कोई भी पदाधिकारी या कर्मी इस बारे में कुछ भी नहीं बताते. उनका कहना है कि हर दिन चेकिंग होती है. सूत्र बताते हैं कि जितना यात्री सफर करते हैं, उस हिसाब से बिजनेस नहीं होता.
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यात्री ज्यादा, आमदनी कम
हर दिन एक ट्रिप में औसतन 150 यात्री हजारीबाग से कोडरमा रूट में चढ़ते हैं. इसके अलावा लोकल स्टेशनों के लिए भी यात्री सफर करते हैं. हजारीबाग से कोडरमा का किराया 40 रुपए है. ऐसे में कम से कम 6000 रुपए का बिजनेस होना चाहिए. लेकिन 3500-4000 रुपए तक ही आ पाते हैं. ऐसे में टिकट नहीं कटाकर यात्री रेलवे को राजस्व का चूना लगा रहे हैं.
सघन चेकिंग अभियान की जरूरत
शहर के लोगों का कहना है कि बिजनेस नहीं बढ़ने के कारण इस रूट में ट्रेन नहीं बढ़ाई जा रही है. सरकार को लगता है कि हजारीबाग रेलवे स्टेशन से ज्यादा पैसेंजर नहीं निकलते हैं. ऐसे में सघन चेकिंग अभियान चलाने की जरूरत है. हजारीबाग रेलवे स्टेशन जब चालू हुआ था, तो जिलेवासियों के चेहरे पर खुशियां झलक रही थीं. जिस दिन ओपनिंग की गई थी, उस दिन शहर से हजारों की संख्या में लोग ट्रेन पर सवार होकर कोडरमा गए थे. उसके बाद हजारीबाग में भी रेलवे स्टेशन की खूब चर्चा हुई थी. लोग शौक से कोडरमा तक परिवार समेत सफर करते थे. धीरे-धीरे यह शौक खत्म हुआ, तो काम से जरूरतमंद यात्री ही बच गए. इनमें अधिकांश रेल से सफर तो करते हैं, लेकिन टिकट नहीं कटवाते हैं.
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प्लेटफॉर्म पर मवेशियों का जमावड़ा, परिसर गंदा
चार दिन पहले शनिवार की शाम 6.45 बजे बरकाकाना से कोडरमा जाने वाली पैसेंजर ट्रेन आयी, तो कई यात्री चढ़े. लेकिन गिने-चुने यात्रियों ने ही टिकट कटाई. हजारीबाग रेलवे स्टेशन में मालगाड़ी से लेकर पैसेंजर तक के लिए इस स्टेशन पर पांच कर्मी हैं. इनमें एक महिला कर्मी टिकट काउंटर संभालती हैं. इसके अलावा अतिरिक्त में आरपीएफ को भी ड्यूटी दी गई है. स्टेशन और प्लेटफॉर्म पर मवेशियों का जमावड़ा लगा रहता है. इससे परिसर गंदा रहता है. सुबह साफ-सफाई की जाती है.
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