Ranchi : झारखंड आंदोलन के पुरोधा दिशोम गुरु के निधन पर आदिवासी समाज में शोक की लहर है. आदिवासी संगठनों ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए इसे एक युग का अंत बताया. सभी ने आदिवासी समाज की आवाज और अधिकारों की लड़ाई के प्रतीक रहे शिबू सोरेन के चले जाने को अपूरणीय क्षति करार दिया. उनके योगदान को याद करते हुए कई संगठनों ने श्रद्धांजलि दी है और कहा कि दिशोम गुरु हमेशा संघर्ष और नेतृत्व के प्रतीक के रूप में याद किए जाएंगे.
आज हर आदिवासी घर सूना हो गया : अजय तिर्की
केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की ने कहा कि आज आदिवासियों के मार्गदर्शक और संघर्ष के प्रतीक हमारे बीच नहीं रहे. वे शराबबंदी, जंगल, जमीन और जल की रक्षा के लिए अंतिम सांस तक लड़ते रहे. आज हर आदिवासी घर सुना हो गया है.
सिर्फ नेता नहीं, आदिवासी राजनीति के स्तंभ थे गुरु जी : निरंजना हेरेंज
जय आदिवासी केंद्रीय परिषद की अध्यक्ष निरंजना हेरेंज ने कहा कि शिबू सोरेन सिर्फ नेता नहीं, बल्कि आदिवासी राजनीति के स्तंभ थे. उनके निधन से आदिवासी समाज के राजनिति क्षेत्र में एक युग का अंत हो गया.
शिबू सोरेन ने आदिवासी अधिकारों को कानूनी रूप में मजबूत किया : जगदीश पाहन
पाहन महासंघ के अध्यक्ष जगदीश पाहन ने भी गुरु जी के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन वह आवाज थे. जिन्होंने आदिवासी अधिकारों को कानूनी रूप में मजबूत किया, सीएनटी और एसपीटी जैसे कानूनों को धरातल पर लाने के लिए हमेशा वकालत करते थे.
अन्याय के खिलाफ उठने वाली आवाज हमेशा के लिए खामोश हो गई : डबलू मुंडा
कांके रोड सरना समिति के अध्यक्ष डबलू मुंडा ने कहा कि दिशोम गुरु का जाना आदिवासियों के लिए बहुत बड़ा झटका है. उनकी बुलंद आवाज, जो हर अन्याय के खिलाफ उठती थी, आज हमेशा के लिए खामोश हो गई. दिशोम गुरु शिबू सोरेन की विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहेगी.
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