मंईयां योजना में भारी लापरवाही, कई फॉर्म गुम, कई में गलत डेटा, सॉफ्टवेयर भी स्लो, सेविकाएं-लाभुक बेहाल

Manish Bhardwaj Ranchi : राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी मंइयां योजना अपने लक्ष्यों से भटकती हुई नजर आ रही है. सदर अंचल में फॉर्म भरने और सत्यापन की प्रक्रिया में अव्यवस्था और तकनीकी खामियां लाभुकों के लिए परेशानी का सबब बन गयी है. अब तक लगभग 10 से 12 हजार फॉर्म आंगनबाड़ी सेविकाओं ने अंचल कार्यालय में जमा किये हैं. लेकिन कई लाभार्थियों के फॉर्म गुम हो गये हैं या मिल नहीं रहे हैं. कुछ लाभुकों के फॉर्म में गलत वॉर्ड चढ़ा दिया गया है. जिसकी वजह से लाभुक आंगनबाड़ी और अंचल कार्यालय के चक्कर काट रही हैं. लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है. अंचल कार्यालय में कार्यरत अधिकारियों के मुताबिक, मंईयां योजना की सबसे बड़ी समस्या सॉफ्टवेयर की धीमी गति है. सदर अंचलाधिकारी ने खुद स्वीकार किया है कि फॉर्म अपलोडिंग और सत्यापन में तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं. इस संबंध में विभाग को सूचित कर दिया गया है. आंगनबाड़ी सेविकाओं के मुताबिक, सिर्फ तकनीकी दिक्कतें नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही भी परेशानी का कारण बन रही है. सेविकाओं ने बताया कि कई लाभार्थियों के फॉर्म गुम हो गये हैं या मिल ही नहीं रहे हैं. कुछ लाभुकों के फॉर्म में गलत वॉर्ड चढ़ा दिया गया है. जिसकी वजह से लाभुक आंगनबाड़ी और अंचल कार्यालय के चक्कर काट रही हैं. लेकिन उनकी समस्याओं का अब तक समाधान नहीं निकाला गया है. आंगनबाड़ी सेविकाएं बताती हैं कि प्रज्ञा केंद्र की लापरवाही के कारण समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं. उनका आरोप है कि योजना के शुरुआती चरण में जब फॉर्म जमा करने की जिम्मेदारी प्रज्ञा केंद्रों को सौंपी गयी थी, तब वहां न तो उचित प्रशिक्षण दिया गया और न ही निगरानी रखी गयी. परिणामस्वरूप, कई फॉर्म या तो गलत भरे गये या गलत तरीके से अपलोड किये गये, जिसका खामियाजा आज लाभार्थियों को भुगतना पड़ रहा है. सबसे बड़ी विडंबना यह है कि खुद सेविकाओं को भी यह स्पष्ट जानकारी नहीं है कि जिनका फॉर्म गुम हो गया है या सिस्टम में नहीं दिख रहा, उन्हें अब क्या करना है. इस संबंध में जब वे अधिकारी से पूछती हैं, तो अधिकारी कोई समाधान नहीं बताते हैं. सेविकाओं का कहना है कि यह पूरी अव्यवस्था योजना प्रबंधन की विफलता का परिणाम है. इसके सुधार के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. ऐसे में जमीनी स्तर पर काम करने वाली सेविकाओं और लाभार्थियों में तनाव उत्पन्न हो रहा है. कई स्थानों पर महिला लाभार्थियों की नाराजगी खुलकर सामने भी आयी है. बता दें कि इस योजना का उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना था, लेकिन जिस तरीके से योजना की कार्यप्रणाली चल रही है, उससे लोगों में विश्वास की जगह अब रोष और निराशा है.
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