दालचुंआ में बिजली- पानी की व्यवस्था तो हुई, लेकिन सड़क की समस्या जस के तस
Chandwa (Latehar) : प्रखंड मुख्यालय से मात्र 12 दूरी पर स्थित माल्हन पंचायत का दालचुंआ गांव जंगलों के बीच बसा है. यहां कुछ घरों की संख्या तकरीबन 40 है. इस गांव में अधिकांश आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं. ग्रामीणों की मानें तो उनके पूर्वज यहां आजादी के पहले से रह रहे हैं. लेकिन आजादी के 75 वर्ष गुजर जाने के बाद भी गांव में मूलभूत सुविधायें बहाल नहीं हो पायी. आज भी ग्रामीण गांव में विकास की राह देख रहे है. इस गांव में ना तो पक्की सड़क है और ना ही स्कूल. जिसकी वजह से ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
बरसात के दिनों में ग्रामीणों को होती है ज्यादा परेशानी
दालचुंआ गांव में स्कूल नहीं होने के कारण बच्चे जंगली रास्ते से तकरीबन दो किलोमीटर की दूरी तय कर प्राथमिक विद्यालय जाते हैं. मध्य विद्यालय जाने के लिए छात्रों को पांच से छह किमी की दूरी तय करना पड़ती है. वहीं पक्की सड़क नहीं होने से ग्रामीणों को पंचायत व प्रखंड मुख्यायल तक जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बरसात के दिनों में ग्रामीणों को ज्यादा खामियाजा भुगतना पड़ता है. इस समय में अगर कोई बीमार पड़ता है या किसी महिला को प्रसव कराना होता है तो लोगों को खाट पर अस्पताल ले जाना पड़ता है. पक्की सड़क नहीं होने के कारण बरसात के दिनों में गांव तक एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती है.
लातेहार डीसी को कई बार पत्र लिखा, बैठक में भी अधिकारियों को बताया, लेकिन अब तक कोई पहल नहीं
दालचुंआ गांव में पहले लोग कुंआ के पानी से प्यास बुझाते थे. लेकिन पिछ्ले साल सोलर जलमीनार और बिजली की व्यवस्था की गयी. ताकि सभी ग्रामीणों को पेयजल मिल सके. चार दिन पहले जलमीनार को चालू भी कर दिया गया. लेकिन सड़क की समस्या अभी भी जस के तस है. इस संबंध में माल्हन पंचायत के मुखिया जतरू कुमार मुंडा ने कहा कि गांव में सड़क निर्माण के लिए वे लगातार प्रयासरत रहे हैं. कई बार लातेहार डीसी से पत्राचार भी किया है. बीते दिनों जिला स्तरीय बैठक में भी सड़क की समस्या से अधिकारियों को अवगत कराया था. लेकिन अब तक कोई पहल नहीं की गयी.
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