New Delhi : भारतीय संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो इसे जम्मू-कश्मीर में लागू होने से रोकता हो. जम्मू-कश्मीर संविधान का अनुच्छेद 5 दर्शाता है कि भारतीय संविधान जम्मू-कश्मीर पर लागू होगा. यह टिप्पणी सीजेआई चंद्रचूड़ ने कल मंगलवार को की. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5जजों की बेंच सुनवाई कर रही है
बता दें कि जम्मू-कश्मीर में Article 370 खत्म करने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में इस मामले को लेकर मंगलवार को 8वें दिन की सुनवाई में सीजेआई ने यह बात कही. डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच इस मामले पर सुनवाई कर रही है. पीठ में जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत प्रमुख रूप से शामिल हैं.
क्या 1957 में संविधान सभा द्वारा लिया गया निर्णय अंतिम है
सीजेआई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता के वकील से सवाल किया कि Article 370 की ऐसी कौन सी विशेषताएं हैं, जो दर्शाती हैं कि जम्मू-कश्मीर संविधान बनने के बाद इसका अस्तित्व समाप्त हो जायेगा? क्या संविधान सभा के किसी सदस्य द्वारा दिया गया भाषण जम्मू-कश्मीर के प्रति राष्ट्र की बाध्यकारी प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व कर सकता है? क्या 1957 में संविधान सभा द्वारा अपना निर्णय लेने के बाद, क्या संप्रभु भारत के पास संविधान के किसी भी प्रावधान को लागू करने की कोई शक्ति नहीं होगी?
सुनवाई के क्रम में बेंच में शामिल जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि यह स्वीकार करना कठिन है कि संविधान सभा की बहस इस आश्वासन तक सीमित थी कि Article 370 अपने आप समाप्त हो जायेगा. अगर आप जो कह रहे हैं, उसे हम स्वीकार कर लें, तो क्या होगा.
जम्मू-कश्मीर का संविधान बनने के बाद कुछ भी बचा नहीं है
हस्तक्षेपकर्ता प्रेम शंकर झा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील दिनेश द्विवेदी ने तर्क दिया था कि Article 370 (जो पूर्ववर्ती राज्य को विशेष दर्जा देता था) में से कुछ भी जम्मू-कश्मीर का संविधान बनने के बाद बचा नहीं है. 26 जनवरी, 1957 को अधिनियमित किया गया और राज्य की संविधान सभा का कार्यकाल समाप्त हो गया. इसी पर सीजेआई ने कहा कि : भारतीय संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो इसे जम्मू-कश्मीर में लागू होने से रोकता हो.